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- गीता दर्शन भाग-3
ध्यान रहे, मालकियत मुफ्त में नहीं मिलती, मालकियत के लिए | थका-मांदा आदमी घर में और लड़ाई नहीं करना चाहता; किसी श्रम करना पड़ता है। और ध्यान रहे, बिना श्रम के जो मालकियत तरह निपटारा कर लेना चाहता है। पत्नी दिनभर लड़ी-करी नहीं, मिल जाए, वह इंपोटेंट होती है, उसमें कोई बल नहीं होता। जो श्रम | तैयार रहती है, पूरी शक्तियां हाथ में रहती हैं। वह आदमी से मिलती है, उसकी शान ही और होती है।
थका-मांदा लौट रहा है, अब लड़ने की हिम्मत भी नहीं। युद्ध के ध्यान रहे, रथ में सबसे शानदार घोड़ा वही है, जिस पर लगाम स्थल से वापस आ रहे हैं, कुरुक्षेत्र से! अब वे और दूसरा कुरुक्षेत्र न हो, तो जो रथ को खतरे में डाल दे। सबसे शानदार घोड़ा वही खड़ा करना नहीं चाहते। है। जिस पर लगाम ही न हो, तो आप कोई टट्ट या खच्चर बांधे, । पत्नी पहले दिन से ही आकर कब्जा कर ली थी उस आदमी पर;
और खतरे में भी न डाले, आपका रथ भी चला जा रहा है। जो घोड़ा बड़ी मुश्किल में डाल दिया था। और पत्नी इसकी चर्चा भी करती लगाम के न होने पर गड्ढे में गिरा दे, वही शानदार घोड़ा है; लगाम थी। और एक दिन तो और स्त्रियों ने कहा कि हम मान नहीं सकते। होने पर वही चलाएगा भी। ध्यान रखना, वही चलाएगा। यह हां, यह तो हम सब जानते हैं कि पति डरते हैं। लेकिन इतना हम
खच्चर नहीं चलाएगा, जो कि खतरे में भी नहीं डालता। लगाम नहीं नहीं मान सकते. जितना त बताती है कि डरते हैं। तो उसने कहा कि है, तो विश्राम करता है। वह लगाम होने पर भी बहुत मुश्किल है आज तुम दोपहर को घर आ जाओ। आज छुट्टी का दिन है और कि आप उसको थोड़ा-बहुत सरका लें।
पति घर पर होंगे। आज तुम आ जाओ। आज मैं तुम्हें दिखा दूं। जो इंद्रियां आपको गड्ढों में डालती हैं, वे आपकी सबल शक्तियां __पंद्रह-बीस स्त्रियां मुहल्ले की इकट्ठी हो गईं। जब सब स्त्रियां हैं। लेकिन मालकियत आपकी होनी चाहिए, तो शुभ हो जाएगा | इकट्ठी हो गईं, तो उस स्त्री ने अपने पति से कहा कि उठ और बिस्तर फलित। अगर मालकियत नहीं है, तो अशुभ हो जाएगा फलित। के नीचे सरक! वह बेचारा जल्दी से उठा और बिस्तर के नीचे सरक
सबसे ज्यादा कौन-सी इंद्रियां हमें गड्ढे में डाल देती हैं? गया। फिर उसने और रौब दिखाने के लिए कहा कि अब दूसरी
जननेंद्रिय, सेक्स सबसे ज्यादा गड्ढे में डालती है। सबसे | | तरफ से बाहर निकल! उस आदमी ने कहा कि अब मैं बाहर नहीं शक्तिशाली है इसलिए। और सबसे ज्यादा पोटेंशियल है, | निकल सकता। मैं दिखाना चाहता है, इस घर में असली मालिक ऊर्जावान है। और ध्यान रहे, जिस व्यक्ति ने अपनी काम-ऊर्जा पर | | कौन है! उसने कहा कि अब मैं बाहर नहीं निकल सकता। अब मैं मालकियत पा ली, उसके पास इतना अदभुत, उसके पास इतना | | दिखाना चाहता हूं, इस घर का असली मालिक कौन है! बलशाली घोड़ा होता है कि वही घोड़ा उसे स्वर्ग के द्वार तक पहुंचा | बिस्तर के नीचे तो घुस गया, क्योंकि बाहर रहता तो मार-पीट, देता है। काम की ऊर्जा ही, जब आप गुलाम होते हैं उसके, तो झंझट-झगड़ा हो सकता था। उसने कहा कि अब अच्छा मौका है। वेश्यालयों में पटक देती है आपको-डबरों में, गड्ढों में, | अब बिस्तर के नीचे से ही उसने कहा कि अब तू समझ ले। अब कीड़े-मकोड़ों में। और जब काम की ऊर्जा पर आपका वश होता मैं बाहर नहीं निकलता; आज्ञा नहीं मानता। अब मैं बताना चाहता है, तो वही काम-ऊर्जा ब्रह्मचर्य बन जाती है और ईश्वर के द्वार तक हूं कि हू इज़ दि रियल ओनर। ले जाने में सहयोगी हो जाती है। .
हम भी कभी अगर इंद्रियों पर कोई मालकियत करते हैं, तो वह सभी इंद्रियां—उदाहरण के लिए काम मैंने कहा, वह सबसे ऐसे ही, बिस्तर के नीचे घुसकर! और कोई मालकियत हमने कभी सबल है इसलिए सभी इंद्रियां, अगर उनकी मालकियत हो, तो इंद्रियों पर नहीं की है। कभी बहुत कमजोर हालत में, ऐसा मौका मित्र बन जाती हैं; और मालकियत न हो, तो शत्रु बन जाती हैं। | पाकर कभी हम घोषणा करते हैं। मगर ठीक सामने इंद्रिय के,
मालकियत की आप कभी घोषणा ही नहीं करते। और अगर उसकी शक्तिशाली इंद्रिय के सामने हम कभी घोषणा नहीं करते। कभी करते भी हैं, तो उसी तरह की करते हैं, जैसा मैंने सुना है कि जैसे कि आदमी बूढ़ा हो गया, तो वह कहता है, मैंने अब तो एक आदमी था दब्बू, जैसे कि अधिक आदमी होते हैं। सड़क पर काम-इंद्रिय पर विजय पा ली। वह पागलपन की बातें कर रहा है। तो बहुत अकड़ में रहता था, लेकिन घर में पत्नी से बहुत डरता था, ये बिस्तर के नीचे घुसकर बातें हो रही हैं। तो जब जवान है व्यक्ति जैसा कि सभी डरते हैं। कभी-कभी कोई अपवाद होता है, उसको और जब इंद्रिय सबल है, तभी मौका है घोषणा का। छोड़ा जा सकता है। उसके कुछ कारण हैं। दिनभर लड़ा हुआ, अब आपका पेट खराब हो गया है, लीवर के मरीज हो गए हैं,