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- निराकार का बोध -
था, उस महाभारत के युद्ध में, जिसे पता था कि क्या होने वाला है है, वह हो रहा है। कहना भी तुम्हारा जरूरी था; मेरा सुनना भी और क्या होगा।
जरूरी था; और यह पकड़ा जाना भी जरूरी था। कृष्ण का अर्जुन से यह कहना कि तू भाग मत, बहुत दूर की फिर उनमें से एक ने कहा कि चाहे जान रहे, चाहे जाए, मैं तो जानकारियों से जुड़ा हुआ है। कृष्ण का यह कहना कि तू सोच रहा आपके साथ रहूंगा। जीसस ने कहा, तुझे पता नहीं; सुबह सूरज के है, जिन्हें तू मारेगा, मैं तुझसे कहता हूं, समय ने उन्हें पहले ही मार उगने के पहले तक तू तीन दफे मुझे इनकार कर चुका होगा। अभी डाला है। मैं उनकी लाशें देख रहा हूं। तुझे नहीं दिखाई पड़ता, मैं आधी रात है, सूरज के उगने तक तू तीन दफे मुझे इनकार कर चुका देख रहा हूं कि वे युद्ध के मैदान पर लाश होकर पड़े हैं। दो दिन होगा। उसने कहा, आप कैसी बातें करते हैं। मैं अपनी जान लगा बाद तुझे भी दिखाई पड़ेगा; बैलगाड़ी तेरे सामने आ गई होगी। तू दूंगा आपके लिए। मैं इनकार करूंगा? समझता है, तू मारेगा। मैं कहता हूं कि विधि ने उन्हें समाप्त कर जीसस मुस्कुराए। क्योंकि उस बेचारे को पता नहीं उसका भी कि दिया है; तू केवल निमित्त होगा।
वह क्या कर सकता है सुबह तक। लेकिन जीसस को दिखाई पड़ कृष्ण कहते हैं, मैं देख रहा हूं दूर तक, चारों तरफ, आगे और रहा है कि वह क्या करेगा। पीछे, लेकिन फिर भी मेरे आस-पास सैकड़ों लोग हैं, जो मुझे नहीं | ___ फिर जीसस को पकड़कर दुश्मन ले चले। बाकी शिष्य तो भाग देख रहे हैं।
गए; वह एक शिष्य पीछे हो लिया, जिसने कहा था, मैं आखिरी पहाड़ की ऊंचाई से नीचाइयों की तरफ देखना आसान है, | दम तक साथ रहूंगा। दुश्मनों ने देखा कि कोई एक अजनबी आदमी नीचाइयों से ऊंचाइयों की तरफ देखना कठिन है। जितने हम नीचे साथ में है। कौन है यह? उन्होंने अपनी मशालें उसके चेहरे की होते हैं, उतनी हमारी चेतना नैरोड, संकीर्ण हो जाती है; जितने हम तरफ कर दीं। उसको पकड़ लिया और कहा कि तू कौन है? तू 'ऊंचे होते हैं, उतनी विस्तीर्ण हो जाती है।
जीसस का साथी तो नहीं है? उसने कहा, कौन जीसस! मैं तो तो कष्ण को तो देखना आसान है कि वे देख लें सबको। लेकिन पहचानता ही नहीं। सब को देखना कठिन है कि वे कृष्ण को देख लें। हां, जो कृष्ण की जीसस ने पीछे की तरफ देखा, मुस्कुराए और कहा, अभी सूरज थोड़ी-सी भी झलक देख ले, वह समर्पण के लिए राजी हो जाएगा। | नहीं उगा। और ऐसा तीन बार हुआ। फिर थोड़ी देर बाद रास्ते पर क्योंकि वह देखेगा कि पास में एक विराट खड़ा है। और तब वह | वे आए। और सैनिक आए और उन्होंने कहा, यह आदमी कौन है, अपने छोटे-से अहंकार और अपनी छोटी-सी बुद्धि से नहीं जो बीच में चल रहा है? अजनबी मालूम पड़ता है। फिर उन्होंने उसे जीएगा; तब वह समर्पण करके जीना शुरू कर देगा। और जब वह पकड़ा। उसने कहा, मुझे क्यों पकड़ते हो? मैं परदेसी हूं। तुम समर्पण करके जीएगा, तब वह जानेगा; तब वह जानेगा कि जो | जीसस के साथी हो? उसने कहा, कौन जीसस! मैं पहचानता भी कहा गया था, वही हुआ है। जो कहा गया था, वही हो रहा है। नहीं। जीसस फिर मुस्कुराए और उन्होंने जोर से कहा, देख! अभी अन्यथा कुछ होता नहीं है। अन्यथा कुछ भी नहीं होता है। सुबह नहीं हुई। ऐसा तीन बार रात में उसने इनकार किया।
जीसस को जिस रात पकड़ा गया, तो जीसस के मित्रों ने कहा, __जीसस को पता है, क्या होने वाला है, क्या होगा। इसलिए जो हमें खबर मिली है कि दुश्मन पकड़ने आ रहे हैं। अच्छा हो कि हम | बहुत गहरे जीसस को पहचानते हैं, वे जीसस की मृत्यु को कहते हैं, यहां से भाग जाएं। तो जीसस मुस्कुराए। वह मुस्कुराहट अब तक क्राइस्ट ड्रामा। वे कहते हैं, उसको कोई ज्यादा गंभीरता से लेने की समझ के बाहर है। क्योंकि जीसस किसलिए मुस्कुराए होंगे? मैं जरूरत नहीं है; जीसस के लिए तो वह नाटक से ज्यादा नहीं था। कहता हूं, इसलिए कि जीसस जानते हैं, पकड़ा जाना जरूरी है; | क्योंकि जब पहले से ही पता हो, तो मामला नाटक हो जाता है। होने ही वाला है; इसलिए भागने का कोई अर्थ नहीं है। मुस्कुराए कृष्ण के लिए भी युद्ध नाटक से ज्यादा नहीं था। इसलिए कई होंगे इसलिए कि ये जो मित्र बेचारे चिंता से कह रहे हैं, इन्हें कुछ लोगों को कठिनाई होती है कि इस यद्ध में वे इतनी प्रेरणा दे रहे हैं। पता नहीं है। जो होने वाला है, होगा।
अर्जुन को रोकते नहीं! फिर जीसस पकड़े गए। तो मित्रों ने कहा, हमने कहा था, आपने गांधीजी को बड़ी तकलीफ थी, कि इतना बड़ा युद्ध, इतनी हिंसा न सुना। फिर वे मुस्कुराए। क्योंकि उन्हें पता है कि जो होने वाला करवा देंगे! गांधी को बहुत प्रेम था गीता से, लेकिन फिर भी गीता
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