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________________ गीता दर्शन भाग-3 - ने सोचा कि इस मित्र कवि को ले चलूं; वह एक नई अभिनेत्री की कि दूसरी स्त्री सुंदर दिखाई पड़े और सुंदर सिद्ध न हो। दूसरी स्त्री तलाश में था। सुंदर सिद्ध हो सकती है। यही हमारा तर्क है। एक विश्व सौंदर्य प्रतियोगिता हो रही थी, जहां दुनियाभर से कोई अल्पबुद्धि का तर्क यही है कि कोई फिक्र नहीं, एक मकान सुख तीन दर्जन सुंदर युवतियां पुरस्कार लेने आई थीं। तो उसने कहा न दे पाया, तो दूसरा देगा। कोई फिक्र नहीं, एक पद पर शांति न अपने मित्र को कि तुम बैठकर एक-एक स्त्री को ठीक से देखते मिली, तो और दूसरे पद पर मिलेगी। कोई फिक्र नहीं, छोटी जाना और जो स्त्री तुम्हें ठीक जंच जाए, मुझे इशारा कर देना, तो तिजोड़ी भर गई पूरी, फिर भी मन न भरा; शायद बड़ी तिजोड़ी भर मैं उसे अपनी नई फिल्म के लिए प्रमुख पात्र बना लूं। जाए, तो मन भर जाए। लेकिन फिल्म निर्माता बड़ी मुश्किल में पड़ गया। पहली ही अल्पबुद्धि का तर्क है कि वह एक अनुभव को जीवन की सुंदर युवती आई; सभी स्त्रियां एक से एक ज्यादा सुंदर थीं; चिरस्थायी निधि नहीं बना पाता। वह अपने को धोखा दिए चला एक-एक राष्ट्र से चुनकर भेजी गई थीं। पहली स्त्री सामने | जाता है। वह कहता है, नहीं, कोई बात नहीं; यह अनुभव गलत आई-बगल में कवि बैठा था-अर्धनग्न, करीब-करीब नग्न। | | हुआ, दूसरा अनुभव ठीक होगा, तीसरा अनुभव ठीक होगा, चौथा कवि ने उसे देखा और कहा, फूः। वह बहुत हैरान हुआ; निर्माता | | अनुभव ठीक होगा। बहुत हैरान हुआ। उसने इतनी सुंदर स्त्री देखी नहीं थी। पर कवि ने | लेकिन इस जगत में एक अनुभव, उससे मिलते-जुलते सारे कहा, फूः। वह स्त्री चली गई, दूसरी स्त्री आई। और भी सुंदर थी। अनुभव की खबर दे जाता है। पर उसके लिए बहत दूर तक देखने पर कवि ने कहा, फूः। वे तीन दर्जन स्त्रियां सामने से जो गुजरती | | वाली दृष्टि, मेधा चाहिए। अल्पबुद्धि नहीं, गहरी दृष्टि चाहिए, गईं और वह एक ही काम करता रहा, फः! फः! महाबुद्धि चाहिए। तब एक अनुभव समस्त अनुभवों के लिए मार्ग वह चित्र निर्माता तो बहुत घबड़ा गया। और जब तीनों दर्जन बन जाता है, द्वार बन जाता है। स्त्रियां निकल गईं, तो उसने पूछा, आश्चर्य, मैं तो तुम्हें लाकर बड़ी लेकिन बहुत कठिन है। अगर आपके हाथ में एक रुपया आया मुश्किल में पड़ गया। कोई भी स्त्री पसंद नहीं पड़ी! जो भी स्त्री और आपके हाथ में कुछ न आया, तो आप यह मानने को कभी राजी तुमने देखी, कहा, फूः। तो क्या मतलब है तुम्हारा? क्या चाहते हो न होंगे कि दूसरा आएगा और कुछ न आएगा, तीसरा आएगा और तुम? क्या मापदंड है तुम्हारा? कुछ न आएगा। आपका मन धोखा दिए चला जाएगा। वह कहेगा, उस कवि ने कहा, यू हैव मिसअंडरस्टुड मी सर; आप मुझे गलत एक से नहीं मिला; तो वह कहेगा, दूसरा पाने की शीघ्रता करो। दूसरे समझे। आई वाज़ नाट सेइंग फू:-फूटु दीज गर्ल्स। आई वाज़ सेइंग | से नहीं मिला, तो तीसरा पाने की शीघ्रता करो। बस, मन इतना ही फू: टु माई वाइफ। यह मैं इन लड़कियों के लिए फू:-फू: नहीं कह रहा | कहेगा, और तेजी से दौड़ो, और तेजी से दौड़ो; कभी तो वह दिन आ था; यह तो मैं अपनी पत्नी के लिए फू:-फू: कर रहा था। | जाएगा, जब उतने रुपए हाथ में होंगे, जब तृप्ति हो जाए। पर उसने कहा कि पत्नी का इससे क्या संबंध? तो उसने कहा, | __ लेकिन कभी लौटकर इतिहास में भी तो लोगों से पूछे कि वह जब मैंने पत्नी को पहली दफा देखा था, तो वह भी ऐसी ही अतीव तृप्ति कभी आई? सुंदरी मालूम पड़ी थी। फिर जैसे-जैसे पास आई, सब फूः-फूः। अशोक युद्ध पर गया था। अल्पबुद्धि आदमी नहीं था। कलिंग सिद्ध हो गया। तो मैं जानता हूं कि यह सब जो रूपरेखा दिखाई पड़ के युद्ध पर लड़ा। एक लाख आदमी मारे गए। अशोक के पहले भी रही है, यह पीछे फू:-फूः सिद्ध हो जाने वाला है। अब इस जगत में सम्राट लड़े हैं, बाद में भी लड़ते रहे हैं, सदा लड़ते रहेंगे। लेकिन जो दुबारा शरीर की रेखाएं मुझे आकर्षित न कर पाएंगी। अब दुबारा | अशोक को दिखाई पड़ा, वह पहले के सम्राटों को भी कभी दिखाई शरीर का अनुपात मेरे लिए सौंदर्य न बन सकेगा। एक ही अनुभव नहीं पड़ा, बाद के सम्राटों को भी कभी दिखाई नहीं पड़ा। ने मुझे बहुत कुछ कह दिया है। अशोक कलिंग के युद्ध से वापस लौटा, जीतकर लौटा था, निश्चित ही, यह कवि सौंदर्य का पारखी रहा हो या न रहा हो, लेकिन उदास लौटा। अल्पबुद्धि नहीं था। अल्पबुद्धि होता, तो सोचता कि एक पत्नी, जीतकर दुनिया में बहुत कम लोग हैं, जो उदास लौटते हैं। सुंदर दिखाई पड़ी, फिर सुंदर नहीं सिद्ध हुई, तो जरूरी तो नहीं है जीतकर तो आदमी प्रसन्न होकर लौटता है, अल्पबुद्धि का लक्षण 1434
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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