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श्रद्धा का सेतु
जल जाए, तो भूल-चूक बंद हो जाती है।
भगवान श्री बोलना जारी रखते हैं।) जीवन को पाजिटिवली, जीवन को विधायक दृष्टि से देखने का घबड़ाएं न। थोड़ा पानी गिरेगा, तो इतने घबड़ा न जाएं। कृष्ण रुख यह है। इसलिए कृष्ण गलत को भी समर्थन दे रहे हैं। | की बात सुनने आए हों, तो थोड़ा-सा इतना परेशान न हों कि भलीभांति जानते हुए कि वासनाओं से भरा हुआ चित्त गलत है। | दो-चार बूंदें आपके कपड़े पर गिरेंगी, तो आप मिट जाएंगे, कि मर यह भी जानते हुए कि देवताओं की शरण में गया चित्त वासनाओं जाएंगे, कि समाप्त हो जाएंगे। दो-चार बूंदे गिरती हैं, उन्हें गिर जाने की पूर्ति के लिए ही जाता है। यह भी जानते हुए कि जो आदमी | दें। इतने कमजोर लोगों को गीता सुनने नहीं आना चाहिए। देवताओं के चरणों में बैठ रहा है, उस आदमी की अभी परम खोज | वे कृष्ण समझा रहे हैं कि आग से जलती नहीं आत्मा। आपकी शुरू नहीं हुई। और यह भी जानते हुए कि वह जो मांगने आया है, । तरफ देखेंगे, तो उनको बड़ी निराशा होगी कि पानी से गल जाती वह बहुत बच्चों जैसी चीज है; देने योग्य भी नहीं है। लेकिन कृष्ण है! अभी कोई दो-चार बूंद! अभी कोई पानी भी नहीं आ गया। कहते हैं, वह हम तुझे देंगे। तेरे ही देवता में तेरी प्रतिष्ठा कर देंगे। अभी सिर्फ आसार हैं पानी के। बादल थोड़ी आवाज दे रहे हैं, तेरा और लगाव बढ़ाएंगे तेरे ही देवता में। तेरे देवता में भी मेरी आपको देखने के लिए कि आदमी किस तरह के इकट्ठे हैं यहां! शक्ति प्रवाहित होकर, तेरे देवता से ही तुझे मिल जाएगी, ताकि तू तो अपनी जगह बैठे रहें। कोई भी आदमी उठे, तो पास के लोग अपनी श्रद्धा में दृढ़ हो जाए।
| उसे पकड़कर नीचे बिठाल दें। क्योंकि नाहक इतने लोग उसको और आदमी एक-एक कदम अगर श्रद्धा में दृढ़ होता जाए, तो देखेंगे कि इतना कमजोर आदमी है। उस पर थोड़ी दया करें, उसे एक दिन वह अनिर्वचनीय घटना भी घटती है, वह विस्फोट भी, जब | | पकड़कर वहीं के वहीं बिठा दें। कुछ कहने की जरूरत नहीं; उसे श्रद्धा पूर्ण होती है, जब कोई संदेह की रेखा भी नहीं रह जाती भीतर। चुपचाप बिठा दें। उस निस्संदिग्ध श्रद्धा में परम की यात्रा अपने आप हो जाती है। पानी गिरेगा, कृष्ण की बात का पता चल जाएगा, कि आत्मा
इस कमजोर आदमी को देखकर दिया गया यह वक्तव्य है। | गलती है कि नहीं गलती है। नहीं गले, तो समझना कि कृष्ण ठीक - कृष्णमूर्ति जैसे व्यक्ति कमजोर आदमी की जरा भी फिक्र करते कहते हैं। और गल जाए, तो समझना कि कृष्ण गलत कहते हैं। तो हुए मालूम नहीं पड़ते हैं। उनके वक्तव्य उनके लिए हैं, जो कभी आज प्रयोग करके ही चलेंगे। पानी को गिरने दें। देखें कि गलते हैं भूल नहीं करते। लेकिन जो कभी भूल नहीं करते, उनके लिए किसी कि नहीं गलते हैं। के वक्तव्यं की कोई भी जरूरत नहीं है। वे जो भूल करते हैं, वे जो ___बच्चों जैसे काम न करें। और बच्चों जैसे काम करने हों, तो अंधेरे में खड़े हैं, उनके लिए वे वक्तव्य खतरनाक हैं। खतरनाक जगत में जो थोड़े-से बुद्धिमान हुए हैं, उन लोगों की बातें सुनने नहीं इसलिए हैं कि उस तरह की बातें उन्हें बौद्धिक रूप से स्मरण हो| आना चाहिए। जाएंगी। वे रट लेंगे उन बातों को। वे कहेंगे कि दीए को जलाया। कृष्ण की करुणा उन लोगों पर है, जो हर तरह से भूल से भरे नहीं जा सकता, जब तक अंधेरा है। क्योंकि अंधेरे में जो भी दीया हैं; हर तरह से जिनसे गलत ही होने का डर है; जिनसे सही न हो जलाया जाएगा, वह गलत होगा।
| पाएगा। कहते हैं, तुम्हारी गलती को भी मैं स्वीकार कर लूंगा। तुम कृष्णमूर्ति कहते हैं, यू कैन नाट टेक एनी स्टेप इन कनफ्यूजन, भूल से जाओगे मंदिर में, वह भी मैं मान लूंगा। तुम नासमझी से बिकाज ए स्टेप टेकेन इन कनफ्यूजन मस्ट बी कनफ्यूज्ड। प्रार्थना करोगे, वह भी मैं स्वीकार कर लूंगा। कनफ्यूजन में आप कोई कदम नहीं उठा सकते, भ्रमित दशा में, __बिठा दें; जो भी आपके पास भागता हो, उसे पास के लोग क्योंकि भ्रमित दशा में उठाया गया कोई भी कदम और भ्रम में ही ले | | पकड़कर बिठा दें। और आप घबड़ाएं नहीं। मैं यहां मंच पर बैठा जाएगा। वही बात, अंधेरे में आप दीया नहीं जला सकते, क्योंकि | हुआ हूं, तो यहां पानी नहीं गिर रहा है। बाथरूम में जाकर खड़ा हो अंधेरे में जो आप दीया जलाएंगे, अंधेरे में भूल-चूक हो ही जाएगी। | जाऊंगा कपड़े पहने आधा घंटा, आपकी तरफ से। तो उसको झेल
लेकिन सब दीए अंधेरे में जलाए जाते हैं; और दुनिया में सब लूंगा। आप परेशान न हों। एक पांच मिनट में पानी चला जाएगा कदम कनफ्यूजन में ही उठाए जाते हैं।
और आनंद दे जाएगा। (अब वर्षा की कुछ बूंदें प्रवचन स्थल पर गिरने लग गई हैं। तो दूसरा सूत्र पढ़ो, हूं।
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