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आध्यात्मिक बल >
जैसे कि आपने अगर महावीर या बुद्ध का जीवन पढ़ा हो, तो बुद्ध ने घोषणा की है कि दो हजार साल बाद मैं पुनः एक नए इस मुल्क ने एक पूरा का पूरा ड्रीम एनालिसिस, एक स्वप्न-विज्ञान रूप में, मैत्रेय के रूप में पृथ्वी पर उतरूंगा। दो हजार साल पूरे हो निर्मित किया था। फ्रायड ने तो अभी-अभी स्वप्न के लक्षणों को गए, लेकिन मैत्रेय को ठीक गर्भ नहीं मिल पा रहा है। इसलिए एक समझना शुरू किया है। वह भी समझ अभी बहुत बालपन की है। अड़चन खड़ी हो गई है। इसलिए जो लोग जीवन की गहराइयों से वह अभी बहुत गहरी नहीं है।
संबंधित हैं उनकी इस वक्त सबसे बडी बेचैनी यही है कि कोई मां लेकिन जैन परंपरा कहती है कि जब तीर्थंकर किसी मां के गर्भ मैत्रेय को ग्रहण करने के लिए तैयार हो जाए। लेकिन कोई मां पृथ्वी में प्रवेश करता है, तो इस-इस तरह के स्वप्न इस-इस समय पर पर दिखाई नहीं पड़ती है। उस मां को आने शुरू होते हैं। वह इस बात की खबर है कि तीर्थंकर बुद्ध का वचन खाली न जाए, इसलिए और तरह के प्रयोग भी की कोटि की आत्मा उस मां के गर्भ में प्रवेश करना चाहती है। वे | किए गए। वे भी असफल हो गए। कोई गर्भ देने वाली मां नहीं स्वप्न सूचनाएं हैं। उन स्वप्नों से खबर मिलती है कि कोई एक मिलती है, तो कोशिश यह की गई कि किसी व्यक्ति के शरीर में, विराट आत्मा मां के भीतर प्रवेश करना चाहती है। वे स्वप्न जो हैं, जीवित व्यक्ति के शरीर में ही बुद्ध की आत्मा को प्रवेश करा दिया सिंबालिक मैसेजेस हैं।
जाए। और एक ही शरीर से दोनों आत्माएं काम कर लें। यह आत्मा और यह बड़े मजे की बात है कि जैनों के चौबीस तीर्थंकर बहुत | जो मौजूद है, सिकुड़ जाए और उस आत्मा को जगह दे दे। वे प्रयोग लंबे फासले पर हुए; अंदाजन कम से कम दस हजार साल का भी सफल नहीं हो सके। कृष्णमूर्ति के साथ भी वही प्रयोग किया फासला-कम से कम; इससे ज्यादा हो सकता है लेकिन गया था; वह सफल नहीं हो सका। उनकी माताओं को आने वाले स्वप्नों का क्रम एक है। वे स्वप्न एक और गहरे तल पर गर्भ का विज्ञान सोचा, समझा और सूचक हैं। वे इस बात की खबर दे रहे हैं कि इनकार मत कर देना। | पहचाना गया था। कृष्ण उसी की बात कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि क्योंकि जो व्यक्ति पैदा होने वाला है, वह तुम्हें सिर्फ मार्ग बना रहा | | जिस दिन धर्म से भरा हुआ होता है चित्त, उस दिन काम की वासना है, लेकिन इस जगत के लिए बहुत काम का है, उसको इनकार मत | भी मैं ही हूं। कर देना। वह कोई साधारण आत्मा नहीं, जो तुमसे आ रही है।
और बुद्ध के मामले में तो यह भी जाहिर था कि बुद्ध जिससे भी जन्म लेंगे, वह मां जन्म देकर तत्काल मर जाएगी जी न सकेगी। प्रश्नः भगवान श्री, बुद्धिमानों में बुद्धि और संपूर्ण भूतों क्योंकि बुद्ध जैसे व्यक्तित्व को जन्म देना! ।
का सनातन कारण, इसे भी स्पष्ट करने की कृपा करें। हम जानते हैं, साधारण बच्चे को जन्म देने में कितनी प्रसव-पीड़ा होती है। साधारण बच्चे को जन्म देने में कितनी प्रसव-पीड़ा होती है। लेकिन शरीर को ही पीड़ा होती है। बुद्ध जैसे पूर्ण भूतों का सनातन कारण! व्यक्ति को जन्म देने में आत्मा तक प्रसव-पीड़ा का प्रवेश होता है। I कारण दो तरह के होते हैं। एक तो, जिन्हें हम कारण वह कोई छोटी घटना नहीं है। एक बहुत महान घटना, एक विराट
कहते हैं। हम कहते हैं, पानी भाप बन गया। कारण ? घटना घट रही है शरीर के भीतर।
क्योंकि गर्मी मिल गई। हम कहते हैं, आदमी मर गया। क्यों? तो यह जाहिर थी बात कि बुद्ध की मां जन्म देने के बाद बचेगी कारण? क्योंकि हृदय की धड़कन बंद हो गई। ये कारण नहीं हैं नहीं। फिर भी बुद्ध की मां राजी थी। क्योंकि बुद्ध जैसा व्यक्ति पैदा वस्तुतः। ये तो अस्थायी, ऊपर, सतह पर घटने वाली घटनाओं का होता है, यह सौभाग्य छोड़ने जैसा नहीं है। और कहा जाता है कि तारतम्य हैं। यह वैसा ही झूठ है, जैसे कि कोई आदमी दो घड़ियां देवताओं ने बुद्ध की मां को न मालूम कितनी-कितनी तरह से राजी अपने घर में लगा ले...। किया। और कहा कि इनकार मत कर देना। क्योंकि जो व्यक्ति आ डेविड ह्यूम, एक अंग्रेज विचारक, इसकी बात हमेशा किया रहा है, वह करोड़ों के जीवन को प्रकाशमान कर देगा। उसके लिए करता था। क्योंकि वह कार्य-कारण के सिद्धांत के बड़े खिलाफ इतना कष्ट झेलने की तैयारी रखना।
था। वह कहता था कि तुम कहते हो, पानी गर्म करने से भाप बन
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