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गीता दर्शन भाग-3 -
अब दुबारा जब मन कोई राग का विषय बनाए, तो मन से पूछना है। उस आदमी ने कहा, उसी देखने की सुंदरता के पीछे तो मैं कि तेरा अतीत अनुभव क्या है! और मन से पूछना कि फिर तू एक | फंसा। फिर पीछे नरक ही निकला है! नया उपद्रव निर्मित कर रहा है!
जीवन के जो चेहरे हमें दिखाई पड़ते हैं, वे असलियत नहीं हैं। __एक मनोवैज्ञानिक के पास एक व्यक्ति गया था। ऐसे ही एक इसलिए बुद्ध अपने भिक्षुओं से कहते थे, जब तुम्हें कोई चेहरा सुंदर मित्र, यहां मैं आया, उस पहले दिन ही मुझसे मिलने आ गए। उस दिखाई पड़े, तो आंख बंद करके स्मरण करना, ध्यान करना, चमड़ी मनोवैज्ञानिक के पास जो व्यक्ति गया था, उसने कहा कि मेरी के नीचे क्या है? मांस। मांस के नीचे क्या है? हड्डियां। हड्डियों के पहली पत्नी मर गई। मनोवैज्ञानिक भलीभांति जानता था कि पहली | नीचे क्या है? उस सब को तुम जरा गौर से देख लेना। एक्सरे पत्नी और उसके बीच क्या घटा था। लेकिन पति भूल चुका था | | मेडिटेशन, कहना चाहिए उसका नाम। बुद्ध ने ऐसा नाम नहीं मरते ही। तो मैं दूसरा विवाह कर लूं या न कर लूं? दिया। मैं कहता हूं, एक्सरे मेडिटेशन! एक्सरे कर लेना, जब मन
उस मनोवैज्ञानिक ने कहा, क्या तेरे मन में दूसरे विवाह का में कोई चमड़ी बहुत प्रीतिकर लगे, तो दूर भीतर तक। तो भीतर जो खयाल आता है? उसने कहा, आता है। आप इससे क्या नतीजा | दिखाई पड़ेगा, वह बहुत घबड़ाने वाला है। . लेते हैं? उस मनोवैज्ञानिक ने कहा, इससे मैं नतीजा लेता हूं, मैं एक गांव में ठहरा हुआ था। वहां गोली चली। चार लोगों को अनुभव के ऊपर आशा की विजय।
गोली लग गई, तो उनका पोस्टमार्टम होता था। मेरे एक मित्र, जो अनभव के ऊपर आशा की विजय। एक पत्नी की कलह और चमड़ी के बड़े प्रेमी हैं...। उपद्रव और संघर्ष और दुख और पीड़ा से बाहर नहीं हुआ है कि अधिक लोग होते हैं। उपनिषद कहते हैं इस तरह के लोगों को वह नई पत्नी की तलाश में चित्त निकल गया। लेकिन मन कहता | चमार-चमड़ी के प्रेमियों को। चमड़े के जूते बनाने वाले को नहीं; है कि इस स्त्री के साथ सुख नहीं बन सका, तो जरूरी तो नहीं है | जरूरी नहीं कि वह चमार हो। लेकिन चमड़ी के प्रेमी को! ' कि किसी स्त्री के साथ न बन सके। पृथ्वी पर बहुत स्त्रियां हैं। कोई | तो एक चमड़ी के प्रेमी मेरे मित्र थे। मुझे मौका मिला, मैंने उनसे दूसरी स्त्री सुख दे पाएगी; कोई दूसरा पुरुष सुख दे पाएगा। कोई | कहा कि चलो, डाक्टर परिचित है, मैं तुम्हें पोस्टमार्टम दिखा दूं। दूसरी कार, कोई दूसरा बंगला, कोई दूसरा पद, कोई दूसरा गांव, उन्होंने कहा, उससे क्या होगा? मैंने कहा, थोड़ा देखो भी, आदमी कोई कहीं और जगह सुख होगा। यहां नहीं, कोई बात नहीं। यद्यपि के भीतर क्या है, उसे थोड़ा देखो। इस जगह आने के पहले भी यही सोचा था। और जिस गांव में आप पोस्टमार्टम के गृह में भीतर प्रवेश किए, तो भयंकर बदबू थी, जाने की सोच रहे हैं, उस गांव के लोग भी यही सोच रहे हैं कि क्योंकि लाशें तीन दिन से रुकी थीं। वे नाक पर रूमाल रखने लगे। कहीं चले जाएं, तो उन्हें सुख मिल जाए!
मैंने कहा, मत घबड़ाओ। जिन चमड़ियों को तुम प्रेम करते हो, सुना है मैंने कि एक दिन सुबह-सुबह एक आदमी भागा हुआ उनकी यही गति है। थोड़ा और भीतर चलो। उन्होंने कहा, बहुत पागलखाने पहुंचा। जोर से दरवाजा खटखटाया। पागलखाने के | उबकाई आती है। वॉमिट न हो जाए! मैंने कहा, हो जाए तो कुछ प्रधान ने दरवाजा खोला। उस आदमी ने पूछा कि मैं यह पूछने आया हर्जा नहीं है। और भीतर आओ।
खाने से कोई निकलकर तो नहीं भाग गया? जब हम गए. तो डाक्टर ने एक आदमी, जिसके पेट में गोली नहीं; कोई निकलकर भागा नहीं। आपको इसका शक क्यों पैदा | | लगी थी, उसके पूरे पेट को फाड़ा हुआ था। तो सारी मल की हुआ? उसने कहा, और कोई कारण नहीं है। मेरी पत्नी को कोई | | ग्रंथियां ऊपर फूटकर फैल गई थीं। वे मेरे मित्र भागने लगे। मैं उन्हें लेकर भाग गया है। तो में अपने होश में नहीं मान सकता कि जिसमें | पकड़ रहा हूं, खींच रहा हूं; वे भागते हैं। कहते हैं, मुझे मत थोड़ी भी बुद्धि होगी, वह मेरी पत्नी को लेकर भाग जाएगा! तो मैंने | | दिखाओ! उन्होंने आंखें बंद कर लीं। मैंने कहा, आंखें खोलो। ठीक सोचा, पागलखाने में जाकर देख लूं कि कोई निकल तो नहीं गया। से देख लो। उन्होंने कहा, मुझे मत दिखाओ, नहीं तो मेरी जिंदगी
पर उस प्रधान ने कहा कि माफ कर मेरे भाई। तेरी पत्नी के साथ खराब हो जाएगी! तुम्हारी जिंदगी क्यों खराब हो जाएगी? उन्होंने मैंने तुझे कई बार रास्ते पर घूमते देखा है। मेरा तक मन बहुत बार कहा, फिर मैं किसी शरीर को प्रेम न कर पाऊंगा। जब भी शरीर हुआ कि तेरी पत्नी को लेकर भाग जाऊं। वह देखने में बहुत सुंदर | को देखुंगा, तो यह सब दिखाई पड़ेगा।
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