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भय वाला आदमी उलटा घड़ा है / प्रलोभन नहीं-अभीप्सा, ममक्षा।
मुखौटों से मुक्ति ... 409
प्रभु को जानने वाला प्रभु ही हो जाता है / हम व्यक्ति नहीं-भीड़ हैं / हम एक सतत बदलता हुआ प्रवाह हैं / हमारे अनेक चेहरे / हर आदमी चेहरा लगाए घूम रहा है / स्वयं को धोखा देना / परमात्मा से जुड़ने के लिए भीतर एक होना जरूरी / विराट से जुड़ते ही क्षुद्रताओं का जल जाना / जानना और परिचय का फर्क / हमारा सब जानना द्वैत का / वानगॉग का सूर्य के साथ तादात्म्य / पहले बांस हो जा—फिर उनके चित्र बनाना / ब्रह्मतत्व-जहां होना और जानना एक है | ब्रह्म सत्य-तो संसार स्वप्नवत / खोजी खो जाता-परमात्मा बचता / अर्थार्थी-सांसारिक पदार्थों के लिए प्रार्थना करने वाले / आर्त-दुख और पीड़ा से प्रार्थना करने वाले / जिज्ञासु-विचारक, दार्शनिक / ज्ञानी भक्त-आमूल रूपांतरण के लिए जीवन दांव पर लगाने वाला / भक्तों की संख्या अत्यंत विरल / सकामी आराधक-तथाकथित, नाममात्र के भक्त / वासना-चेतना का पतन है / हर वासना के बाद दीनता
और विषाद / विचार प्रवाह को तोड़ने के उपाय / फरीद का बेबूझ और तर्कातीत व्यवहार / विभिन्न धर्मों की विधियां-चेतना-धारा को वासना से हटाना / मंदिर के घंटे / पूजा के पहले स्नान / जूते बाहर निकालना / साष्टांग प्रणाम / ज्ञान स्वभाव है / वासना को पकड़ना पड़ता है / कैलाश-अंतस चेतना का शिखर / प्रार्थना की पहली शर्त-कोई मांग न हो/सस्ते देवी-देवता-मनोनिर्मित / मोहम्मद ने काबा की मूर्तियां हटवाई-ताकि लोग एक परमात्मा को पुकार सकें / सिर चढ़ाने के बदले नारियल चढ़ाना / शुभ मृतात्माओं से सहायता मिलना संभव / परम उपलब्धि के लिए देवता सहायता नहीं कर सकते / वासना-शून्य भक्त भगवान हो जाता है।
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श्रद्धा का सेतु ... 425
श्रद्धा हो—किसी भी बहाने / श्रद्धा-न विश्वास है, न अविश्वास / श्रद्धा है-अविश्वास का अभाव / झूठी श्रद्धा के कारण धर्म मृत हो गया है । विश्वासी संदेह और जिज्ञासा से डरता है / सकाम उपासना धीरे-धीरे निष्काम बने / वासना पूरी हो जाए, तो पता चले कि कुछ भी पूरा नहीं हआ / एक रास्ता है : गलत छोड़ें, तो सही मिले / दूसरा रास्ता है : सही मिले, तो गलत छूट जाए / कृष्ण का जोर दूसरे रास्ते पर है / कृष्णमूर्ति का जोर-कि गलत पहले छूटे / कृष्ण की करुणा अपरिसीम है / कृष्ण प्रौढ़ बनाते हैं-खिलौने नहीं छुड़ाते / दीया जले, तो अंधेरा आप ही आप न हो जाए / कृष्ण गलत को भी समर्थन देते हैं / देवताओं के बहाने श्रद्धा को बढ़ाना / कमजोर लोगों की फिक्र करना / कृष्णमूर्ति की कठोरता / विविध नाम-रूप में परमात्मा की ही शक्ति काम करती है।