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< गीता दर्शन भाग-3
यह नहीं पूछेगा, नाचने से क्या होगा? वह नाचने लगेगा। और सम्राट ने आर्किमिडीज को कहा है...। सम्राट को किसी ने एक नाचने से सब हो जाएगा।
| बहुत बहुमूल्य मुकुट भेंट किया है सोने का। लेकिन सम्राट को नाचने में वह क्षण आता है, कि नाचने वाला भी मिट जाता है, शक है कि उस बहुमूल्य सोने के मुकुट में भीतर तांबा मिलाया गया नाचने का खयाल भी मिट जाता है, नृत्य ही रह जाता है-नृत्य | | है। लेकिन तोड़कर मुकुट को देखे बिना कोई उपाय नहीं है। और ही। परमात्मा भी भूल जाता है, जिसके लिए नाच रहे हैं; जो नाचता तोड़ो तो इतना बहुमूल्य मुकुट है कि शायद दुबारा फिर न बन सके। था, वह भी भूल जाता है; सिर्फ नाचना ही रह जाता है—सिर्फ तो सम्राट ने आर्किमिडीज को कहा है कि तू बिना तोड़े पता नृत्य, जस्ट डांसिंग। जस्ट नोइंग की तरह घटना घट जाती है। जैसे लगा। इसको छूना भी नहीं; इसको जरा भी खरोंच भी नहीं लगनी सिर्फ जानना रह जाता है, बस द्वार खुल जाता है। सिर्फ नृत्य रह चाहिए। और पता लगाना है कि भीतर कहीं कोई और धातु तो नहीं जाता है, तो भी द्वार खल जाता है।
डाल दी गई है। मीरा अगर गाएगी, तो गाने में कृष्ण भी खो जाएंगे, मीरा भी खो वह आर्किमिडीज बड़े प्रयोग कर रहा है। फिर वह उस दिन जाएगी, गीत ही रह जाएगा। ध्यान रहे, जब मीरा गाती है, मेरे तो | अपने बाथरूम में जाकर अपने टब में बैठा है। टब पूरा भरा था। गिरधर गोपाल, तो न तो गोपाल रह जाते, न मेरा कोई रह जाता। मेरे | | वह उसके अंदर बैठा है, तो बहुत-सा पानी टब के बाहर निकल तो गिरधर गोपाल, यह गीत ही रह जाता है—सिर्फ यह गीत। गिरधर | गया है उसके बैठने से। अचानक उसे, टब में बैठने से और पानी भी भूल जाते हैं, गायक भी भूल जाता है; मीरा भी खो जाती है, कृष्ण के निकलने से. एक अंतःप्रज्ञा, एक इनसाइट उसके मन में कौंध भी खो जाते हैं; बस, गीत रह जाता है। सिर्फ गीत जहां रह जाता है, गई कि मैं जरा इस पानी को तो तौल लूं कि यह कितना पानी निकल वहां वही घटना घट जाती है, जो सिर्फ ज्ञान रह जाता है। | गया बाहर! यह पानी उतना ही तो नहीं है, जितना मेरा वजन है!
लेकिन महावीर गीत को पसंद नहीं कर पाएंगे। महावीर कहेंगे, | | अगर यह मेरे वजन के बराबर पानी बाहर निकल गया है, तो फिर केवल ज्ञान, जस्ट नोइंग, सिर्फ ज्ञान रह जाए, बस। वहीं द्वार | कोई रास्ता खोज लिया जाएगा। खुलेगा। वह महावीर का टाइप है। मीरा कहेगी, ज्ञान का क्या बस, उसको बात सूझ गई। वह चिल्लाया। नंगा था, दरवाजा करेंगे। गीत रह जाए। ज्ञान बड़ा रूखा-सखा है। ज्ञान का करेंगे भी खोलकर सडक पर भागा। चिल्लाया. यरेका। मित क्या! गीत बड़ा आर्द्र, बड़ा गीला, नहा जाता है आदमी। ज्ञान तो | के लोगों ने कहा कि क्या कर रहे हो यह? कहां भागे जा रहे हो? रेगिस्तान जैसा मालम पडेगा मीरा को। उसके चारों तरफ रेगिस्तान वह नंगा भाग रहा है महल की तरफ कि मिल गया। सम्राट ने भी था भी। वह परिचित भी थी अच्छी तरह। रेगिस्तान जैसा मालूम | | कहा कि रुको। कुछ होश तो लाओ! नंगे भाग रहे हो सड़क पर, पड़ेगा, रूखा-सूखा, जहां कभी कोई वर्षा नहीं होती। और गीत तो | लोग क्या कहेंगे! बड़ी हरियाली से भरा है। अमृत बरस जाता है। गीत बड़ा गीला | __ आर्किमिडीज वापस लौट आया। वह कर्म की एक समाधि में है-स्नान से। प्राणों के कोने-कोने तक गीत स्नान करा जाता है। | प्रवेश कर गया था। कर्मठ आदमी था। वह भूल गया स्वयं को, वह मीरा कहेगी, ज्ञान का क्या करिएगा? गीत काफी है। भूल गया सम्राट को, वह भूल गया सवाल को। रह गया सिर्फ एक
लेकिन और लोग भी हैं, जिनको न गीत में कोई अर्थ होगा और बोध, मिल जाने का, एक उपलब्धि का। बस, वही रह गया शेष। न ज्ञान में कोई अर्थ होगा। जिनका अर्थ और जिनके जीवन का | आर्किमिडीज कहता था कि जिंदगी में जो आनंद उस क्षण में अभिप्राय तो कर्म से खुलेगा। कर्म ही!
| जाना, कभी नहीं जाना। जो रहस्य उस दिन खुल गया, वह मिला आर्किमिडीज के बाबत आपने सुनी होगी कहानी कि सो मिला, वह तो कोई बड़ी कीमत की बात न थी। लेकिन नग्न आर्किमिडीज अपने स्नानगृह में टब में लेटा हुआ है। वैज्ञानिक है। | सड़क पर दौड़ना, और मुझे पता ही नहीं कि मैं हूं। मुझे यह भी पता कर्मठ है। कुछ करना ही उसकी जिंदगी है। कुछ करके खोजना ही न रहा, जब सड़क पर लोगों ने पूछा, क्या मिल गया? तो मुझे उसकी जिंदगी है। एक पहेली पर हल कर रहा है प्रयोगशाला में। | एकदम से यह भी पता न रहा कि क्या मिल गया? वह सवाल क्या बहुत मुश्किल में पड़ा है। कोई हल सूझता नहीं है। हजार तरह के | था, जो मिल गया है? सिर्फ मिल गया। बस, एक धुन रह गई मन प्रयोग कर लिए हैं। कोई रास्ता निकलता नहीं है।
में कि मिल गया।
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