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________________ < हृदय की अंतर-गुफा - पड़ता है। जाए, तो आप सिर्फ इनवेस्टमेंट करते हैं, देते नहीं हैं। आप सिर्फ बेटा भी अगर बाप का प्रेम चुपचाप ले ले और उत्तर न दे, तो व्यवसाय में संलग्न होते हैं। बाप दुखी और पीड़ित लौटता है। बेटा अगर मां का प्रेम वापस न मैं अगर आपको प्रेम देता हूं सिर्फ इसलिए कि मैं प्रेम चाहता हूं लौटाए, तो मां भी चिंतित और परेशान और पीड़ित हो जाती है। और बिना प्रेम दिए.प्रेम नहीं मिलेगा, तो मैं सिर्फ सौदा कर रहा हूं। बूढ़े से बूढ़ा आदमी भी प्रेम वापस मांग रहा है। आदमियों से मेरी चेष्टा तो प्रेम पाने की है। देता हूं इसलिए कि बिना दिए प्रेम | नहीं मिलता, तो लोग कुत्ते पाल लेते हैं। दरवाजे पर आते हैं, कुत्ता नहीं मिलेगा। | पूंछ हिला देता है। क्योंकि अब पत्नियां पंछ हिलाएं, जरूरी नहीं यह मेरा दिया हुआ प्रेम वैसा ही है, जैसा कि कोई मछली को | है। बच्चे पूंछ हिलाएं, जरूरी नहीं है। सब गड़बड़ हो गई है पुरानी मारने वाला कांटे पर आटा लगा देता है। आटा लगाकर कांटे पर | व्यवस्था पूंछ हिलाने की। और लटकाकर बैठ जाता है अपनी बंसी को। मछलियां सोचती __ जिन-जिन मुल्कों में आदमी पूंछ हिलाना बंद कर रहे हैं, होंगी कि आटा खिलाने के लिए कोई बड़ी कृपा करके आया है! वहां-वहां कुत्ते का फैशन बढ़ता जाता है। वह सब्स्टीटयूट है। पर आटा सिर्फ ऊपर है, भीतर कांटा है। मछली आटा ही खाने को | दरवाजे पर खड़ा रहता है; आप आए, वह पूंछ हिला देता है। आप आएगी और तब पाएगी कि कांटा उसके प्राणों तक चुभ गया है। बड़े खुश हो जाते हैं। आश्चर्यजनक है! कुत्ते की हिलती पूंछ भी अगर किसी में कांटा भी डालना हो, तो आटा लगाकर ही डालना आपको तृप्ति देती है। कम से कम कुत्ता तो प्रेम दे रहा है। हालांकि कुत्ते का भी प्रयोजन वही है। वह भी पूंछ हिलाकर आटा डाल रहा अगर मुझे किसी से प्रेम लेना है और किसी के ऊपर प्रेम की | | है। उसके भी अपने कांटे हैं। वह भी जानता है कि बिना पूंछ हिलाए मालकियत कायम करनी है, तो पहले घुटने टेककर प्रेम निवेदन यह आदमी टिकने नहीं देगा। यह भोजन मिलता है, घर में विश्राम करना पड़ता है। वह आटा है। मिलता है, यह पूंछ हिलाकर वह आपसे खरीद रहा है। वह भी तो दूसरा सूत्र आप खयाल में ले लें, जब तक प्रेम की आकांक्षा | इनवेस्ट कर रहा है। सारी दुनिया इनवेस्टमेंट में है। है कि कोई मुझे प्रेम दे...। जो आदमी प्रेम मांग रहा है, वह मित्र और शत्रु के बीच समबुद्धि और ध्यान रहे, जब तक यह आकांक्षा है, तब तक आप बच्चे को उपलब्ध नहीं हो सकता। सिर्फ वही आदमी समबुद्धि को हैं, जुवेनाइल हैं, आप विकसित नहीं हुए। विकसित मनुष्य वह है, उपलब्ध हो सकता है, वह तीसरा सूत्र आपसे कहता हूं, जो प्रेम प्रेम पाने का कोई सवाल जिसे नहीं रह गया। जो बिना प्रेम के जी मांगने के पार चला गया और जो प्रेम देने में समर्थ हो गया। जिसे सकता है। प्रौढ़ मनुष्य वह है, जो प्रेम नहीं मांगता। प्रेम देना है और लेना नहीं है, वह मित्र को भी दे सकता है, शत्रु और यह बड़े मजे की बात है, और इसी से तीसरा सूत्र निकलता को भी दे सकता है। क्योंकि लेने का तो कोई सवाल नहीं है, है। जो आदमी प्रेम नहीं मांगता. वह आदमी प्रेम देने में समर्थ हो। इसलिए फर्क करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जाता है। और जो आदमी प्रेम मांगता चला जाता है. वह कभी प्रेम सना है मैंने. जीसस एक कहानी कहा करते थे। वह कहानी देने में समर्थ नहीं होता। आपको इस बात को समझाने में सहयोगी होगी। जीसस कहा करते मगर बड़ा उलटा है। हम सबको लगता है, हम प्रेम देने में समर्थ थे प्रेम को ही समझाने के लिए। कभी-कभी जीसस के शिष्य हैं। बाप सोचता है, मैं बेटे को प्रेम दे रहा हूं। लेकिन मनोवैज्ञानिक सवाल उठा देते थे कि मैं तो आपकी इतनी सेवा करता हूं, फिर भी से पूछे, मनसविद से पूछे। वह कहता है, बाप भी बेटे को आप मुझे इतना ही प्रेम करते हैं, जितना कि उस आदमी को करते थपथपाकर आशा करता है कि बेटा भी बाप को थपथपाए। हां, | हैं, जिसने आपकी कभी कोई सेवा नहीं की! मैं आपके साथ बरसों थपथपाने के ढंग अलग होते हैं। बेटा और ढंग से थपथपाएगा, | से परेशान होता हूं, दर-दर भटकता हूं। मुझे भी आप उतना ही प्रेम बाप और ढंग से थपथपाएगा। बेटा कहेगा, डैडी, आप जैसा | देते हैं, उस अजनबी आदमी को भी उतना ही प्रेम दे देते हैं, जो रास्ते ताकतवर डैडी इस दुनिया में कोई भी नहीं है! डैडी, जिनकी छाती पर आपको पहली बार मिलता है! में हड्डियां भी नहीं हैं, उनकी छाती फूलकर आकाश जैसी हो तो जीसस एक कहानी कहा करते थे। वे कहते थे कि एक बहुत जाएगी। बेटा भी थपथपा रहा है। | बड़ा धनपति था—बहुत बड़ा। उसके पास बहुत धन था, जिसका
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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