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C काम-क्रोध से मुक्ति
भरे हुए हैं। उस एक क्षण को एक क्षण मत मान लेना, नहीं तो एक मनोवैज्ञानिक भी कि कौन-सा जानवर है! हाथ में तस्वीर देखी, तो क्षण के मुकाबले सैकड़ों घंटे वासनारहित मालूम पड़ेंगे और एक घोड़े की तस्वीर है। आपको भ्रम पैदा होगा अपने बाबत कि मैं तो वासना से मुक्त ही उस मनोवैज्ञानिक ने कहा, आप घोड़े के प्रेम में पड़ गए हैं! उस हूं। और हर आदमी इस जंगत में जो सबसे बड़ा धोखा दे सकता आदमी ने कहा, क्या तुम मुझे पागल समझते हो? यह घोड़ा नहीं है, वह अपनी ही गलत इमेज, अपनी ही गलत प्रतिमा बनाकर दे | है। उस मनोवैज्ञानिक ने कहा. तस्वीर तो घोडे की है। उस आदमी पाता है।
ने कहा, मैं और घोड़े को प्रेम करूं! यह घोड़ा नहीं है, घोड़ी है। मैं हम सब अपनी गलत प्रतिमाएं बनाए रखते हैं। और जो प्रतिमा कोई पागल हूं! हम बना लेते हैं, उसके लिए जस्टीफिकेशंस खोजते रहते हैं। __ अब यह जो आदमी है, उस सीमा पर भी रेशनलाइजेशन खोज
अरस्तू ने कहा है कि आदमी बुद्धिमान प्राणी है। रेशनल एनिमल रहा है। वह यह खोज रहा है कि घोड़े को जो प्रेम करे, वह पागल। कहा है। लेकिन अब? अब जो जानते हैं, वे कहते हैं, आदमी | घोड़ी को करे, तो उतना पागल नहीं है। विपरीत लिंगीय, रेशनल एनिमल है, यह कहना तो मुश्किल है; रेशनलाइजिंग | हेट्रो-सेक्सुअल है, इसलिए उतना पागल नहीं है! एनिमल है। बुद्धिमान तो नहीं मालूम पड़ता, लेकिन हर चीज को अगर मनोवैज्ञानिक के दफ्तर में बैठ जाएं, तो दिनभर ऐसे लोग बुद्धिमानी के ढंग से बताने की चेष्टा में रत जरूर रहता है। हर चीज | आते हुए मालूम पड़ेंगे, जो रेशनलाइजेशन की तलाश में आए हुए को बुद्धियुक्त ठहरा लेता है।
हैं। इस तलाश में आए हुए हैं कि किसी तरह कोई सिद्ध कर दे कि एक आदमी एक मनोचिकित्सक के पास गया है और उसने | वे ठीक हैं; ज्यादा गलत नहीं हैं। हम सब...। जाकर उसको कहा कि मैं बहुत परेशान हैं। मझे कुछ सहायता करें। जब आप क्रोध करते हैं. तो खयाल करना. सच में ही क्रोध क्या आप सोचते हैं, यह कुछ गलत बात है कि कोई आदमी किसी करने योग्य कारण होता है या क्रोध आपको करना होता है, इसलिए जानवर को प्रेम करने लगे? मनोवैज्ञानिक ने कहा, इसमें कोई कारण खोजते हैं? क्रोध करने योग्य कारण शायद ही जिंदगी में गलती नहीं है। सैकड़ों लोग जानवरों को प्रेम करते हैं। मैं खुद ही | मौजूद होते हैं। और क्रोध करने योग्य कारण उन्हें ही मिल सकते मेरे कुत्ते को प्रेम करता हूं।
हैं, जो अकारण क्रोध नहीं करते हैं। लेकिन हम कारण खोजते हैं। वह आदमी कुर्सी पर आगे झुककर बैठा था। अब आराम से । छोटे-छोटे बच्चे भी जानते हैं कि अगर माता और पिता में कोई कुर्सी पर बैठ गया। रेशनलाइजेशन मिल गया उसे। जानवर को प्रेम | झगड़ा हो गया है, तो आज उनकी पिटाई हो जाएगी। कोई भी करने में कोई बात नहीं है। जब मनोवैज्ञानिक खुद प्रेम करता है, तो कारण मिल जाएगा। वे उस दिन जरा मां से सचेत, दूर रहेंगे। ऐसा हम तो साधारण आदमी हैं। पर उसने पूछा कि फिर भी एक बात मैं नहीं है, कल भी यही था। कल भी वे स्कूल से लौटे थे, तो किताब पूछना चाहता हूं, यह प्रेम साधारण नहीं है; बहुत रोमांटिक हो गया फट गई थी। और कल भी स्कूल से आए थे, तो कपड़े गंदे हो है, रूमानी हो गया है। मनोवैज्ञानिक ने कहा, मैं समझा नहीं! | गए थे। और कल भी पड़ोस के गंदे लड़के के साथ खेल खेला तुम्हारा क्या मतलब ? उसने कहा, यह प्रेम ऐसा हो गया है कि उस | | था। कल पिटाई नहीं हुई थी; आज हो जाएगी। क्यों? कल सब जानवर को दिन में दो-चार-दस दफे देखे बिना मुझे बड़ी बेचैनी | | कारण मौजूद थे, पिटाई नहीं हुई थी। आज भी वही कारण है, कोई रहती है। उस जानवर की तस्वीर मैं अपने हृदय के पास रखता हूं। | फर्क नहीं पड़ गया है, लेकिन पिटाई हो जाएगी। क्योंकि मां तैयार
तब जरा मनोवैज्ञानिक भी चौंका। उसने कहा कि यह जरा सीमा है। कोई भी कारण खोजेगी। से बाहर चले जाना है। एबनार्मल है। यह थोड़ा असाधारण हो गया | __क्रोध के कारण होते कम, खोजे ज्यादा जाते हैं। और हमारे भीतर है। फिर भी मैं जानना चाहूंगा कि वह जानवर कौन है? | क्रोध इकट्ठा होता रहता है पीरियाडिकल। अगर आप अपनी डायरी
उस आदमी ने अपनी छाती के पास के खीसे से एक तस्वीर | | रखें, तो बहुत हैरान हो जाएंगे। आप डायरी रखें कि ठीक कल निकाली। ठीक वैसे ही जैसे अगर मजनू लैला की तस्वीर | आपने कब क्रोध किया; परसों कब क्रोध किया। एक छः महीने की निकालता, या रोमियो जूलियट की तस्वीर निकालता, या फरिहाद | डायरी रखें और ग्राफ बनाएं। तब आप बहुत हैरान हो जाएंगे। आप शीरी की तस्वीर निकालता, वैसे ही रोमांच, मंत्रमुग्ध! हैरान हुआ | | प्रेडिक्ट कर सकते हैं कि कल कितने बजे आप क्रोध करेंगे।