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गीता दर्शन भाग-20
शक्नोतीहैव यः सोढुं प्राक्शरीरविमोक्षणात्। हम फ्रायड से पूछे, तो वह कहेगा, काम ही मनुष्य का सब कुछ कामक्रोधोद्भवं वेगं स युक्तः स सुखी नरः ।। २३ ।। है, उसकी आत्मा है। और जहां तक साधारण मनुष्य का संबंध है, जो मनुष्य शरीर के नाश होने से पहले ही काम और क्रोध फ्रायड बिलकुल ही ठीक कहता है। धन भी कमाते हैं इसलिए कि से उत्पन्न हुए वेग को सहन करने में समर्थ है, अर्थात काम खरीदा जा सके। यश भी पाते हैं इसलिए कि काम खरीदा जा काम-क्रोध को जिसने सदा के लिए जीत लिया है, वह सके। चौबीस घंटे दौड़ हमारी, गहरे में अगर खोजें, तो किसी से मनुष्य इस लोक में योगी है और वहीं सुखी है। सुख पाने की दौड़ है।
सुना है मैंने कि फ्रेंक वू करके एक मनोचिकित्सक के पास एक
| आदमी आया है। अति क्रोध से पीड़ित है। क्रोध ही बीमारी है जीवन में काम और क्रोध के वेग को जिस पुरुष ने जीत उसकी। क्रोध ने ही उसे जला डाला है भीतर। क्रोध ने उसे सुखा UII लिया, वह इस लोक में योगी है, परलोक में मुक्त है, | | दिया है। उसके सारे रस-स्रोत विषाक्त हो गए हैं। आंखों में क्रोध ___ वही आनंद को भी उपलब्ध है।
के रेशे हैं। चेहरे पर क्रोध की रेखाएं हैं। नींद खो गई है। हिंसा ही काम से अर्थ है, दूसरे से सुख लेने की आकांक्षा। जहां भी दूसरे | हिंसा मन में घूमती है। से सुख लेने की आकांक्षा है, वहीं काम है।
फ्रेंक व उसे बिठाता है, और उसके मनोविश्लेषण के लिए एक काम बड़ी विराट घटना है। काम सिर्फ यौन नहीं है, सेक्स नहीं | छोटा-सा प्रयोग करता है। हाथ में उठाता है अपना रूमाल ऊंचा, है; काम विराट घटना है। यौन भी काम के विराट जाल का | और उस आदमी से कहता है, इसे देखो। और रूमाल को छोड़ देता छोटा-सा हिस्सा है।
है। वह रूमाल नीचे गिर जाता है। फ्रेंक वू उस आदमी से कहता __ जहां भी दूसरे से सुख पाने की इच्छा है, वहां दूसरे का शोषण | है, आंख बंद करो और मुझे बताओ कि रूमाल के गिरने से तुम्हें करने के भी रास्ते निर्मित होते हैं। जब भी मैं किसी दूसरे से सुख किस चीज का खयाल आया? तुम्हारे मन में पहला खयाल क्या लेना चाहता हूं, तभी शोषण शुरू हो जाता है। और अगर कोई मेरे | उठता है रूमाल के गिरने से? काम में, मेरे दूसरे से सुख पाने में बाधा बने, तो क्रोध उत्पन्न होता वह आदमी आंख बंद करता है और कहता है, आई एम है। इसलिए कृष्ण ने काम और क्रोध को एक साथ ही इस सूत्र में | | | रिमाइंडेड आफ सेक्स-मुझे तो कामवासना का खयाल आता है। कहा है। संयुक्त वेग हैं।
फ्रेंक वू थोड़ा हैरान हुआ, क्योंकि रूमाल के गिरने से कामवासना कामना में बाधा कोई खड़ी करे, काम के पूरे होने में कोई | | का क्या संबंध? फ्रेंक वू ने पास में पड़ी एक किताब उठाई और व्यवधान बने, कोई दीवाल बने, कोई आड़े आए, तो क्रोध जन्मता कहा, इसे मैं खोलता हूं; गौर से देखो। किताब खोलकर रखी, है। काम के वेग को जहां से भी रुकावट मिलती है. वहीं से लौटकर कहा, आंख बंद करो और मुझे कहो कि किताब खुलती देखकर वह क्रोध बन जाता है। काम के वेग को यदि व्यवधान न मिले, तुम्हें क्या खयाल आता है ? रुकावट न मिले और काम का वेग अपनी इच्छा को पूरा कर ले, | उसने कहा, आई एम अगेन रिमाइंडेड आफ सेक्स-मुझे फिर तो फ्रस्ट्रेशन, विषाद बन जाता है।
| कामवासना की ही याद आती है! काम की तृप्ति पर, काम पूरा हो जाए, तो पीछे सिर्फ विषाद की फ्रेंक वू और हैरान हुआ। उसने टेबल पर पड़ी हुई घंटी बजाई कालिमा छूट जाती है, अंधेरा छूट जाता है। और काम पूरा न हो | और कहा कि घंटी को ठीक से सुनो! आंख बंद करो। क्या याद पाए, कोई व्यवधान डाल दे, तो काम लपट बन जाता है क्रोध की। आता है? उसने कहा, आई एम रिमाइंडेड आफ सेक्स-वही क्रोध काम का ही अवरुद्ध रूप है; रुका हुआ रूप है। मैं चाहता कामवासना का खयाल आता है! था कुछ करना, नहीं कर सका, तो जिसने बाधा दी, उस पर मेरे । फ्रेंक वू ने कहा, बड़ी हैरानी की बात है कि तीन बिलकुल अलग काम की वासना क्रोध की अग्नि बनकर बरस पड़ती है। | चीजें तुम्हें एक ही चीज की याद कैसे दिलाती हैं! रूमाल का गिरना,
मैंने कहा, काम बड़ी घटना है। अगर हम मनसशास्त्रियों से किताब का खुलना, घंटी का बजना—इतनी विभिन्न बातें हैं! तुम्हें पूछे, तो वे कहते हैं कि मनुष्य काम के लिए ही जी रहा है। अगर इन तीनों में एक ही बात का खयाल आता है; कारण क्या है?
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