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सत्य एक-जानने वाले अनेक
जैसे हमें हवा दिखाई नहीं पड़ती, ऐसे ही मछली को सागर | | खिले, तो राजयोगी हैं। खिलने के लिए कुछ करना नहीं पड़ता; दिखाई नहीं पड़ता। न दिखाई पड़ने का कारण सिर्फ यही है कि सदा | खिल जाते हैं। आकाश में बादल देखें, तो राजयोगी हैं। कुछ करते मौजद है। हम जब आंख खोले, तब भी मौजद था। जब हम आंख | नहीं; डोलते रहते हैं। कभी आकाश में देखी हो चील, परों को बंद करेंगे, तब भी मौजूद होगा। जो सदा मौजूद है, एवरप्रेजेंट है, | तिराकर रह जाती है थिर; पर भी नहीं हिलाती! डोलती है हवा पर। वह अदृश्य हो जाता है। इसलिए परमात्मा दिखाई नहीं पड़ता है। | उड़ती नहीं, तिरती है। तैरती भी नहीं, तिरती है। बस, पंखों को जो सदा मौजूद है, वह दिखाई नहीं पड़ सकता। दिखाई वही पड़ फैलाकर रह जाती है। हवा जहां ले जाए; डोलती रहती है। सकता है, जो कभी मौजूद है, और कभी गैर-मौजूद हो जाता है। | । राजयोग उस बात का नाम है, उस प्रक्रिया का, जहां व्यक्ति पूर्ण
सांख्य की निष्ठा कहती है, कुछ मत करो। करने के भ्रम में ही विश्राम में जीता है; कुछ करता नहीं, तिरता है। श्वास भी नहीं लेता मत पड़ो। न ध्यान, न धारणा, न योग-कुछ नहीं। कुछ करो ही अपनी तरफ से। भविष्य का विचार नहीं करता, क्योंकि भविष्य का मत। लेकिन न करना बहुत बड़ा करना है। बाकी सब करना बहुत | | जो विचार करेगा, वह तैरना शुरू कर देगा; उसके तनाव शुरू हो छोटे-छोटे करना है। बाकी करना सब कर सकते हैं हम। न करना! | जाएंगे। अतीत का विचार नहीं करता, क्योंकि जो अतीत का विचार प्राण कंप जाते हैं। कैसे न करो?
करेगा, वह टेंस हो जाएगा, वह रिलैक्स नहीं हो सकता, वह विश्राम सबसे कठिन करना, न करना है। इसलिए सांख्य सबसे कठिन | में नहीं हो सकता। पूर्ण वर्तमान में होता है, अभी और यहीं, हिअर योग है। सांख्य के मार्ग से जो जाते हैं, वे राजऋषि हैं। जो उस योग | | एंड नाउ। जो हो रहा है, उसमें है। और चील की तरह तिरता है। को साध लेते हैं, न करने को, निश्चित ही वे ऋषियों में राजा हैं। | ___जीसस एक गांव से गुजरे, और अपने शिष्यों से उन्होंने कहा कि
लेकिन जो नहीं साध पाते, उनके लिए फिर योग है-यह करो, देखो इन लिली के फूलों को। खेत में लिली के फूल खिले हैं। यह करो, यह करो। ऐसा नहीं कि उस करने से उनको मिल जाएगा। जीसस ने कहा, देखो इन लिली के फूलों को। सम्राट सोलोमन लेकिन करने से थकेंगे, परेशान होंगे, कर-करके मुश्किल में अपने पूर्ण वैभव में भी इतना शानदार न था, जितने ये लिली के पड़ेंगे; जन्म-जन्म भटकेंगे। आखिर में करने से इतने ऊब जाएंगे गरीब फूल शानदार हैं। इनके शानदार होने का राज क्या है? कि छोड़कर पटक देंगे और बैठ जाएंगे कि अब बहुत कर लिया; शिष्य क्या कहते! उन्हें तो राज का कुछ पता नहीं था। जीसस अब नहीं करते। और जब नहीं करेंगे, तब पा लेंगे। | उन लिली के फूलों को दिखाकर यह कह रहे हैं कि लिली के
लेकिन करने से गुजरना पड़ेगा उन्हें। उनका योग हठयोग | | छोटे-छोटे फूल सम्राट सोलोमन से भी ज्यादा शानदार हैं। क्या है-जिद्द से, कर-करके। मिलता तो तब है, जब न करना ही फलित बात है? सम्राट सोलोमन भी तनाव में जीएगा, लेकिन लिली के होता है, चाहे वह न करने से आया हो, और चाहे करने से आया | | फूलों को कोई तनाव नहीं है। न मौत की चिंता है, जो कल होगी; हो। मिलता तो तभी है, जब न करना फलित होता है। पूर्ण अकर्म, न जन्म की फिक्र है, जो कल हो चुका। कुछ भी करना नहीं है; हो तभी। और अकर्म में जो मिलता है, वह राजा जैसा मिलना है। । | रहा है सब। परमात्मा के हाथ में समर्पित हैं। जो परमात्मा करा रहा
मजदूर को करना पड़ता है, तब भोजन मिलता है। दुकानदार को | कुछ करना पड़ता है, तब भोजन मिलता है। राजा बैठा है अपने राजऋषि का अर्थ है, समर्पित; विश्राम को उपलब्ध व्यक्ति; जो सिंहासन पर; कुछ करता नहीं; सब मिलता है। ऐसा कोई राजा होता | कुछ करता नहीं; जो हो रहा है, उसे होने देता है। स्पांटेनियस, नहीं। राजा को भी बहुत कुछ करना पड़ता है। लेकिन यह राजा की | | सहज जिसकी जिंदगी है; सहज जिसका जीना है। मौत आ जाए, चरम धारणा है। राजऋषि का यहां जो अर्थ है, वह यही है कि जिसने | | तो इतनी ही सहजता से मर जाएगा। सम्मान कोई दे, तो इतनी ही बिना कुछ किए सब पा लिया, वह ऋषियों में राजा है। सहजता से ले लेगा। और अपमान कोई करे, तो इतनी ही सहजता और तीसरी बात, फिर हम सांझ बात करेंगे।
से पी जाएगा। दुख आए, तो इतनी ही सहजता से स्वीकृत है। और राजऋषि का एक तीसरा अर्थ भी खयाल में लेना जरूरी है। | सुख आए, तो इतनी ही सहजता से। कहीं कोई असहजता नहीं है, व्यक्ति में दो तरह के जीवन हो सकते हैं: तनाव से भरा, टेंस | | कोई तनाव नहीं है। जीवन जो भी ले आए, उसके लिए राजी है। लिविंग; और रिलैक्स्ड, विश्रामपूर्ण, सहज। फूल देखें वृक्षों पर यह राजीपन, टोटल एक्सेप्टिबिलिटी, समग्र स्वीकार।
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