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ज्ञान पवित्र करता है
अगर तार बहुत कसे हों, तो टूट जाएंगे। संगीत पैदा नहीं होगा। तार चाहिए सम, न बहुत कसे, न बहुत ढीले। तार चाहिए मध्य, न इस तरफ, न उस तरफ। तार चाहिए ऐसे कि न तो कहा जा सके कि ढीले हैं, न कहा जा सके कि कसे हैं।
तो बुद्ध ने कहा कि मैं जाता हूं भिक्षु श्रोण! तू बुद्धिमान है। तुझसे |. कुछ कहने की मुझे जरूरत नहीं है। कुछ कहने आया था, अब नहीं कहता हूं। इतना ही कहता हूं कि जो वीणा में संगीत पैदा होने का नियम है, वही प्राणों में भी संगीत पैदा होने का नियम है। तार बहुत कस मत, बहुत ढीले भी मत छोड़। समत्व को उपलब्ध हो। बीच में आ। मज्झिम निकाय। अति को छोड़।
कृष्ण कहते हैं, समत्व बुद्धि को उपलब्ध हुआ, योग संसिद्धि को उपलब्ध हुआ, शुद्ध अंतःकरण उस आत्मा से एक हो जाता है।
शेष सुबह हम बात करेंगे।
अभी संन्यासी धुन में प्रवेश करेंगे। तो आप थोड़े पीछे हट जाएं, जगह खाली छोड़ दें। और यहां मंच पर कोई न आए, पीछे हट जाएं। जिनको देखना है, वे देखें। बैठे रहेंगे, तो सबको देखना संभव हो जाएगा।
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