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चरण-स्पर्श और गुरु-सेवा *
शेष कल सुबह।
अब संन्यासी कीर्तन करेंगे, डूबेंगे इस भाव में। आप अपनी जगह बैठे रहें। उठे न! कल जैसी भीड़ न कर लें, अपनी जगह बैठे रहें। बैठकर ही देखेंगे, ज्यादा आनंद आएगा। आगे न बढ़ें। जिनको कीर्तन करना है, वे आगे आ जाएंगे। बाकी अपनी जगह बैठे रहें। दस मिनट डूबें। ताली बजाएं साथ में। गाएं साथ में। भाव में एक साथ हों।
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