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यज्ञ का रहस्य ॐ
से नर्क में डाला; लेकिन पीछे जो नग्नता दिखाई पड़ती है कि मोर-मुकुट के पीछे भी यह आदमी ऐसा ही है, जैसे दिगंबर हो, नग्न खड़ा हो; उसकी वजह से पहला तीर्थंकर भी बनाया!
यह दूसरी निष्ठा के व्यक्ति हैं कृष्ण। और ध्यान रहे, यह बड़े मजे की बात है, दूसरी निष्ठा का व्यक्ति पहली निष्ठा के व्यक्ति को बिलकुल विपरीत मालूम पड़ेगा, स्वाभाविक। पहली निष्ठा के व्यक्ति को दूसरी निष्ठा का व्यक्ति विपरीत मालूम पड़ेगा, वैसे ही दूसरी निष्ठा के व्यक्ति को पहली निष्ठा का व्यक्ति विपरीत मालूम पड़ेगा।
लेकिन कृष्ण दोनों निष्ठाओं को समान भाव से गीता में कहे चले जाते हैं। दोनों निष्ठाओं का अनुभव, दोनों निष्ठाओं की यात्रा, दोनों निष्ठाओं को आकाश से देखने की क्षमता; दोनों निष्ठाएं एक जगह पहुंचा देती हैं, इसकी प्रतीति उनकी प्रगाढ़ है। पूरी गीता में जगह-जगह समन्वय का यह स्वर, यह सिंथेटिक भाव मिलेगा। वही खूबी भी है। ___ अब शेष सांझ लेंगे। अभी पांच-दस मिनट संन्यासी कीर्तन में डूबते हैं, आप भी सम्मिलित हों, अन्यथा देखें।
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