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6 गीता दर्शन भाग-26
वायलेंस! कहीं कोई धब्बा नहीं, दाग नहीं। धुला हुआ रुपया है;। जो पुरुष कर्म में अकर्म को देखे, और जो पुरुष अकर्म में तिजोरी में सम्हालकर रखा है। कहीं कुछ पता नहीं चलता कि | कर्म को देखे, वह पुरुष मनुष्यों में बुद्धिमान है और वह किसकी गर्दन कटी इसमें; किसके प्राण गए इसमें; कौन सूली योगी संपूर्ण कर्मों का करने वाला है। लटका किसकी जमीन बिकी किसका मकान मिटा: कौन विधवा हुई; क्या हुआ-इसका कुछ पता नहीं चलता। रुपया बड़ा अदभुत है। वह सब तरह के खून से गुजरे, सब तरह
डी-सी बात इस संबंध में समझ लें। के अपराध से गुजरे, हमेशा ताजा बाहर आता है। वह कभी बासा
कष्ण कहते हैं, जो कर्म में अकर्म को देखे और अकर्म नहीं होता। कितने ही हाथों से गुजरे, कुछ भी उपद्रव उस पर बीते, में कर्म को देखे, वह व्यक्ति ज्ञानवान है। वह हमेशा साफ धुला बाहर निकल आता है। जब आपके हाथ में कर्म में अकर्म को देखे, उलटा। कर्म में अकर्म को देखने का आता है, तब उसके पास कोई इतिहास नहीं बचता। इतिहास खतम | | अर्थ हुआ, करते हुए भी जाने कि मैं कर्ता नहीं हूं। करते हुए भी हो जाता है। रुपया सीधा-साफ होता है। रुपए का कोई इतिहास जाने कि मैं कर्ता नहीं हूं। करते हुए भी ऐसा तभी जाना जा सकता नहीं बचता।
है, जब साक्षी का भाव हो। फिर रुपए इकट्ठे किए। इसलिए महावीर को मानने वाले- आप भोजन कर रहे हैं। भोजन करते हुए भी जाना जा सकता है महावीर ने खुद कभी न सोचा होगा कि मेरे मानने वाले! महावीर | | कि आप भोजन नहीं कर रहे हैं। अगर साक्षी हों, तो आप देखेंगे नग्न खड़े हैं रास्तों पर; धन-दौलत छोड़ दी है सब; सोचा भी न कि शरीर को ही भूख लगी है, शरीर ही भोजन कर रहा है, मैं देख होगा कि मेरे मानने वालों के पास इस मुल्क में सबसे ज्यादा रहा हूं। कठिन नहीं है। थोड़े से जागकर देखने की बात है। धन-दौलत इकट्ठी हो जाएगी। मगर निषिद्ध कर्म से हो गई। कहा स्वामी राम अमेरिका की एक सड़क से गुजर रहे हैं। कुछ लोगों तो ठीक ही था; निषिद्ध कर्म बताया था, ठीक बताया था; लेकिन | ने गालियां दीं; और कुछ लोगों ने मजाक किया। हंसते हुए लौटे। यह सोचा न था कि एक तरफ से निषिद्ध कर्म बचे, तो दूसरी तरफ | जहां ठहरे थे, वहां खिलखिलाकर आकर हंसने लगे। तो घर के से प्रकट हो सकता है।
लोग चिंतित हुए। उन्होंने कहा, क्या हो गया? अकारण हंसते हैं! इसलिए कृष्ण कहते हैं, कर्म की गति गहन है। इधर से छोड़ो, | राम ने कहा, अकारण नहीं हंसता। आज बड़ा ही मजा आया। रास्ते उधर से पकड़ लेती है। उधर से छोड़ो, इधर से पकड़ लेती है। तो | में ऐसा हुआ कि कुछ लोग राम को मिल गए। निषिद्ध कर्म क्या है, इसे ठीक से जान लेना जरूरी है। और जो इसे घर के लोग थोड़े हैरान हुए। वे राम की भाषा से परिचित न थे। ठीक से नहीं जान पाए, तो कर्म-अकर्म को जानना तो बहुत दूर है; राम को मिल गए। ऐसा खुद राम कह रहे हैं? अक्सर वह निषिद्ध कर्मों में ही जीवन को गंवा देता है। एक से | __ और फिर वे लोग राम को गालियां देने लगे और हंसी-मजाक बचता है, दूसरे में उलझ जाता है। जिंदगी का रास्ता कुएं और खाई करने लगे। राम बड़ी मुश्किल में पड़े। राम बड़ी दिक्कत में पड़ के बीच है। इधर गिरो तो कुआं है, उधर गिरो तो खाई है। और बीच गए। उनकी हंसी-मजाक और उनकी गाली के बीच ऐसा राम में चलना बहुत कठिन है। बारीक है; तलवार की धार जैसा है। कहने लगे कि राम बड़ी मुश्किल में पड़े। हम भी खड़े देखते थे। इतना बारीक है कि सम्हलना मुश्किल है बीच में।
राम बड़ी मुश्किल में पड़े। वे लोग गाली देने लगे। तो घर के लोगों किस चीज को कृष्ण निषिद्ध कहेंगे, वह उनके आगे के सूत्र में | ने कहा, आप बातें कैसी कर रहे हैं! होश में तो हैं? नशा वगैरह हम उनकी व्याख्या को समझें।
तो नहीं किया है! आखिरी सूत्र ले लें; फिर हम सुबह बात करेंगे।
राम ने कहा, नशे में तुम हो! मैं होश में हूं, इसीलिए ऐसी बात कर रहा हूं। नशे में होता, तो मेरी आंख से आग निकल रही होती
और मुंह से गालियां निकल रही होतीं। नशे में होता, तो मैं समझ कर्मण्यकर्म यः पश्येदकर्मणि च कर्म यः। जाता कि वे मुझे ही गाली दे रहे हैं, मुझ पर ही हंस रहे हैं। होश में स बुद्धिमान्मनुष्येषु स युक्तः कृत्स्नकर्मकृत् । । १८ ।। | था, इसलिए मैंने देखा, राम को गाली पड़ रही है, राम पर हंस रहे