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________________ - गीता दर्शन भाग-1 AM कि वह ममत्व से पीड़ित है, मोह से पीड़ित है, अपनों को मारने की | | कि कायर है। वजह से भागेगा। रीजनेबल होगा उसका भागना। हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। इतनी-सी बात है, लेकिन इसके कहेगा कि इतने कारण थे, इसलिए भागता हूं। अगर बिना कारण आस-पास वह बड़ा जाल, फिलासफी खड़ी कर रहा है। | भागेगा, तो दुनिया हंसेगी। यहीं उसकी चालाकी है। यहीं हम सब हम सब करते हैं। छोटी-सी बात जो होती है, अक्सर ऐसा होता | | की भी चालाकी है। हम जो भी कर रहे हैं, उसके लिए पहले कारण है कि वह बात हम छोड़ ही देते हैं, जो होती है; उसके आस-पास का एक जाल खड़ा करेंगे। जैसे मकान को बनाते हैं, तो एक स्ट्रक्चर जो जाल हम खड़ा करते हैं, वह बहुत दूसरा होता है। एक आदमी | खड़ा करते हैं, ऐसे हम एक जाल खड़ा करेंगे। उस जाल से हम को किसी को मारना है, तो वह बहाने खोज लेता है। एक आदमी | दिखाएंगे कि यह ठीक है। लेकिन मूल कारण बिलकुल और होगा। को क्रोध करना है, तो वह बहाने खोज लेता है। एक आदमी को | अगर कृष्ण को यह साफ दिखाई पड़ जाए कि अर्जुन जो कह रहा भागना है, तो वह बहाने खोज लेता है। आदमी को जो करना है, है, वही कारण है, तो मैं नहीं मानता कि वे धर्म का विनाश करवाना वह पहले आता है; और बहाने खोजना पीछे आता है। | चाहेंगे; मैं नहीं मानता कि वे चाहेंगे कि बच्चे विकृत हो जाएं; मैं नहीं ___ वह कृष्ण देख रहे हैं और हंस रहे हैं। समझ रहे हैं कि ये सब | सोचता कि वे चाहेंगे कि संस्कृति, सनातन-धर्म नष्ट हो जाए। नहीं जो दलीलें वह दे रहा है, ये चालबाजी की दलीलें हैं; ये दलीलें वे चाहेंगे। लेकिन ये कारण नहीं हैं। ये फाल्स सब्स्टीट्यूट्स हैं, ये वास्तविक नहीं हैं; ये सही नहीं हैं। यह उसकी अपनी दृष्टि नहीं है। झूठे परिपूरक कारण हैं। इसलिए कृष्ण इनको गिराने की कोशिश क्योंकि उसने कभी आज तक किसी को मारते वक्त नहीं सोचा। करेंगे, इनको काटने की कोशिश करेंगे। वे अर्जुन को वहां लाएंगे, कोई ऐसा पहला मौका नहीं है कि वह मार रहा है। वह निष्णात | | जहां मूल कारण है। क्योंकि मूल कारण से लड़ा जा सकता है, योद्धा है। मारना ही उसकी जिंदगीभर का अनुभव और कुशलता | लेकिन झूठे कारणों से लड़ा नहीं जा सकता। और इसलिए हम मूल है। मारना ही उसका बल है, तलवार ही उसका हाथ है, धनुष-बाण को छिपा लेते हैं और झूठे कारणों में जीते हैं। ही उसकी आत्मा है। ऐसा आदमी नहीं है कि कोई तराजू पकड़े बैठा ___ यह अर्जुन की मनोदशा ठीक से पहचान लेनी जरूरी है। यह रहा हो और अचानक युद्ध पर लाकर खड़ा कर दिया गया हो। रीजन की कनिंगनेस है, यह बुद्धि की चालाकी है। सीधा नहीं इसलिए उसकी बातों पर कृष्ण जरूर हंस रहे होंगे। वे जरूर देख कहता कि मैं भाग जाना चाहता हूं; नहीं होता मन अपनों को मारने रहे होंगे कि आदमी कितना चालाक है! का; यह तो आत्मघात है; मैं जा रहा हूं। सीधा नहीं कहता। दुनिया . सब आदमी चालाक हैं। जो कारण होता है, उसे हम भुलाते हैं। में कोई आदमी सीधा नहीं कहता। जो आदमी सीधा कहता है, और जो कारण नहीं होता है, उसके लिए हम दलीलें इकट्ठी करते | | उसकी जिंदगी में क्रांति हो जाती है; जो इरछा-तिरछा कहता रहता हैं। और अक्सर ऐसा होता है कि खुद को ही दलीलें देकर हम | | है, उसकी जिंदगी में कभी क्रांति नहीं होती। वह जिसको कहते हैं समझा लेते हैं और मूल कारण छट जाता है। | झाड़ी के आसपास पीटना, बीटिंग अराउंड दि बुश; बस, ऐसे ही - लेकिन कृष्ण चाहेंगे कि उसे मूल कारण खयाल में आ जाए। वह पीटेगा पूरे वक्त। झाड़ी बचाएगा, आसपास पिटाई करेगा। क्योंकि मूल कारण अगर खयाल में हो, तो समझ पैदा हो सकती | | अपने को बचाएगा और हजार-हजार कारण खोजेगा। छोटी-सी है। और अगर मूल कारण छिपा दिया जाए और दूसरे फाल्स बात है सीधी उसकी, हिम्मत खो रहा है, ममत्व के साथ हिम्मत जा रीजन्स, झूठे कारण इकट्ठे कर लिए...। | रही है। उतनी सीधी बात नहीं कहेगा और सारी बातें इकट्ठी कर रहा अर्जुन को क्या मतलब है कि आगे क्या होगा? धर्म की उसे है। उसके कारण सुनने और समझने जैसे हैं। हमारा चित्त भी ऐसा कब चिंता थी कि धर्म विनष्ट हो जाएगा! कब उसने फिक्र की थी | करता है, इसलिए समझना उपयोगी है। कि ब्राह्मण, कि कहीं कुल विकृत न हो जाएं? कब उसने फिक्र की थी? इन सब बातों की कोई चिंता न थी कभी। आज अचानक सब चिंताएं उसके मन पर उतर आई हैं। प्रश्नः भगवान श्री, अर्जुन के चित्त ने जो कुछ भी यह समझने जैसा है कि ये सारी चिंताएं क्यों उतर रही हैं, क्योंकि | | कारण बताए, उसमें है कि कुलधर्म का क्षय होने से वह भागना चाहता है। भागना चाहता है, तो ऐसा नहीं दिखाएगा दुषित स्त्रियों से वर्णसंकर प्रजा का जन्म होता है। जो
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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