________________
am विषाद और संताप से आत्म-क्रांति की ओर -
रावण को कोई प्रेम न कर पाए। रावण को कोई प्रेम कर पाता है। | एकदम स्वाभाविक है; उसकी चिंता एकदम स्वाभाविक है। वह रावण में भी कहीं न कहीं राम किसी न किसी को दिखाई पड़ता है। थरथर कांप गया है, यह बिलकुल स्वाभाविक है। रावण को भी कोई प्रेम करता है। राम से भी कोई शत्रुता कर पाता | इस दुविधा से क्या निस्तार है? या तो आंख बंद करे और युद्ध है, तो राम की शत्रुता में भी कहीं न कहीं रावण थोड़ा दिखाई पड़ता | | में कूद जाए; या आंख बंद करे और भाग जाए। ये दो ही उपाय है। यहां बड़े से बड़े संत में भी थोड़ा पापी है, और यहां बड़े से बड़े | | दिखाई पड़ते हैं। तो आंख बंद करे और कहे, होगा कोई; जो अपनी पापी में भी थोड़ा संत है। जिंदगी सिर्फ सापेक्ष विभाजन है। | तरफ नहीं है, अपना नहीं है। मरना है, मरे। आंख बंद करे, युद्ध में
यह अर्जुन की तकलीफ है कि सब अपने ही खड़े हैं। एक ही कूद जाए-सीधा है। या आंख बंद करे और भाग जाए-सीधा है। परिवार है, बीच में से रेखा खींच दी है। उस तरफ अपने हैं, इस लेकिन कृष्ण जो उपाय सुझाते हैं, वह सीधा नहीं है। वह लीस्ट तरफ अपने हैं। हर हालत में अपने ही मरेंगे। यह पीड़ा पूरे जीवन | रेसिस्टेंस का नहीं है। ये दोनों लीस्ट रेसिस्टेंस के हैं। ये दोनों सूखी की पीड़ा है। और यह स्थिति, यह सिचुएशन पूरे जीवन की स्थिति रेखाएं हैं। इन दोनों में वह कहीं भी चला जाए, बड़ी सरल है बात। है। इसलिए अर्जुन के लिए जो प्रश्न है, वह सिर्फ किसी एक शायद अनंत जन्मों में इन दो में से कहीं न कहीं वह गया होगा। ये युद्ध-स्थल पर पैदा हुआ प्रश्न नहीं है, वह जीवन के समस्त स्थलों | सहज विकल्प हैं। पर पैदा हुआ प्रश्न है।
| लेकिन कृष्ण एक तीसरा ही विकल्प सझाते हैं. जिस पर वह .. अब वह घबड़ा गया है। उधर द्रोण खड़े हैं, उन्हीं से सीखा है। | कभी नहीं गया है। वह तीसरा विकल्प ही कीमती है। और जिंदगी अब उन्हीं पर तीर खींचना है। उन्हीं से धनुर्विद्या सीखी है। वह | में जब भी आपको दो विकल्प आएं, तो निर्णय करने के पहले उनका सबसे पट्ट शिष्य है। सबसे ज्यादा जीवन में उसके लिए ही | तीसरे के संबंध में सोच लेना। क्योंकि वह तीसरा सदा ही महत्वपूर्ण द्रोण ने किया है। एकलव्य का अंगूठा काट लाए थे इसी शिष्य के है, वे दो हमेशा वही हैं, जो आपने बार-बार चुने हैं। कभी इसको, लिए। वही शिष्य आज उन्हीं की हत्या करने को तैयार हो गया है! | इससे थक गए हैं तो विपरीत को, कभी विपरीत से थक गए तो इसी शिष्य को उन्होंने बड़ा किया है खून-पसीना देकर, सारी कला इसको उनको आप चुनते रहे हैं। दि थर्ड, वह तीसरा ही इसमें उंडेल दी है। आज इसी के खिलाफ वे धनुष-बाण खींचेंगे। | महत्वपूर्ण है, जो खयाल में नहीं आता है। उस तीसरे को ही कृष्ण बड़ा अदभुत युद्ध है। यह एक ही परिवार है, जिसमें बड़े तालमेल प्रस्तावित करेंगे, उस पर हम सांझ बात करेंगे। हैं, बड़े जोड़ हैं, बड़ी निकटताएं हैं, कटकर खड़ा हो गया है।
लेकिन अगर हम जिंदगी को देखें, बहुत गहरे से देखें, तो जिंदगी के सब युद्ध अपनों के ही युद्ध हैं, क्योंकि पृथ्वी एक परिवार से ज्यादा नहीं है। अगर हिंदुस्तान पाकिस्तान से लड़ेगा, तो एक परिवार ही लड़ेगा। कल जिन बच्चों को हमने पढ़ाया, लिखाया, बड़ा किया था, वे वहां हैं। कल जिस जमीन को हम अपना कहते थे, वह वहां है। कल जिस ताजमहल को वे अपना कहते थे और जिसके लिए मर जाते, वह यहां है। यहां सब जुड़ा है।
अगर हम कल चीन से लड़ेंगे, तो हिंदुस्तान ने चीन को सब कुछ दिया है। और हिंदुस्तान की सबसे बड़ी धरोहर, बुद्ध को, चीन ने बचाया है। और कोई बचाता नहीं। कल उनसे हम लडने खड़े हो जाएं।
सारी जिंदगी, सारी पृथ्वी, ठीक से देखें तो एक बड़ा परिवार है। उसमें सारे युद्ध पारिवारिक हैं। और सब युद्ध इसी स्थिति को पैदा कर देते हैं, जो अर्जुन के मन में पैदा हो गई है। उसकी दुविधा