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Im+ विषाद और संताप से आत्म-क्रांति की ओर AM
होगा। मेरा कोई संबंध नहीं है इससे। तब उन दोनों के बीच कोई अध्यात्म का मतलब, जो जाना है जीसस ने, वह वक्तव्य दे रहे हैं। संवाद नहीं हो सकता था। तब एक आदमी आकाश में और एक वही तकलीफ हुई। क्योंकि जीसस आकाश की बातें कर रहे हैं। आदमी पाताल में होता। अर्जुन के सिर पर से बातें निकल जातीं। सुनने वाले जमीन की बातें समझ रहे हैं, इसलिए सूली पर लटकाए कुछ पकड़ में अर्जुन को नहीं आने वाला था।
| गए। सूली पर लटकाने का कारण है। और बहत-सा कारण जीसस लेकिन कृष्ण, ठीक अर्जुन जहां है, वहां से उसका हाथ पकड़ते के ऊपर है। हैं। और वहीं से सारी समस्याओं को सुलझाना शुरू करते हैं। ___ जीसस कह रहे हैं, दि किंग्डम आफ गॉड, मैं तुम्हें परमात्मा के इसलिए गीता एक बहत साइकिक. एक बहत मनस की गतिमान | राज्य का मालिक बना दूंगा। लोग समझ रहे हैं कि वे जमीन के राज्य व्यवस्था है। एक-एक कदम अर्जुन ऊपर उठता है, तो गीता ऊपर का मालिक बनाने वाले हैं। यहूदियों ने रिपोर्ट कर दी उनकी कि यह उठती है। अर्जुन नीचे गिरता है, तो गीता नीचे गिरती है। अर्जुन आदमी खतरनाक है, रिबेलियस है। यह कुछ राज्य हड़पने की जमीन पर गिर जाता है, तो कृष्ण नीचे झुकते हैं। अर्जुन खड़ा हो कोशिश कर रहा है। और जब उनसे पूछा पायलट ने कि क्या तुम जाता है, तो कृष्ण खड़े हो जाते हैं। पूरे समय अर्जुन केंद्र पर है, राज्य हड़पने की कोशिश कर रहे हो? उन्होंने कहा कि हम राज्य पर कृष्ण नहीं हैं केंद्र पर। उपनिषद का ऋषि केंद्र पर है; वह अपने हमला बोल रहे हैं। मगर वह दूसरे राज्य की बात कर रहे हैं, किंग्डम वक्तव्य दे रहा है। वह कह रहा है, जो मैंने जाना, वह मैं कहता हूं। आफ गॉड। वह राज्य कहीं किसी को पता नहीं है। उन्होंने कहा, यह उसका आपसे कोई संबंध नहीं है। इसलिए मैं गीता को एक शिक्षक आदमी खतरनाक है। इस आदमी को सूली पर लटकाना चाहिए। के द्वारा कही हुई बातें कह रहा हूं।
- जीसस जहां से बोल रहे हैं, वहां सुनने वाले लोग नहीं हैं। और कृष्ण सिर्फ ब्रह्मज्ञानी की तरह बोलें, तो अर्जुन से कोई नाता नहीं | | जहां जीसस बोल रहे हैं, वहां उनको सुनने वाला एक भी आदमी रह जाएगा। वे बहुत नीचे झुककर अर्जुन के साथ खड़े होकर बोलते | नहीं है। इसलिए जीसस और उनके सुनने वाले में कोई तालमेल हैं। और धीरे-धीरे जैसे अर्जुन ऊपर उठता है, वैसे ही वे ऊपर उठते | | नहीं है। हैं। और वहां छोड़ते हैं गीता के आखिरी सूत्रों को, जहां से मनस कृष्ण अदभुत शिक्षक हैं। वे अर्जुन को प्रायमरी क्लास से लेकर समाप्त हो जाता है और अध्यात्म शुरू हो जाता है। उसके बाद चर्चा ठीक युनिवर्सिटी के आखिरी दरवाजे तक पहुंचाते हैं। बहुत लंबी बंद हो जाती है। उसके बाद चर्चा का कोई मतलब नहीं है। यात्रा है। बहुत लंबी यात्रा है और बड़ी सूक्ष्म यात्रा है। और मैं वैसे __इसलिए मैंने बहुत जानकर, कंसीडर्ड-मेरा जो वक्तव्य है, ही चाहूंगा कि हम वैसे ही यात्रा करें। ऐसे ही नहीं कह देता हूं, कुछ भी नहीं ऐसे कह देता हूं-बहुत जानकर कहा कि गीता एक साइकोलाजी है।
और भविष्य सिर्फ उन्हीं ग्रंथों का है, जो साइकोलाजी हैं। प्रश्नः भगवान श्री, आपने बताया कि मनुष्य भविष्य उन ग्रंथों का नहीं है, जो मेटाफिजिक्स हैं। मेटाफिजिक्स जन्मों-जन्मों का पुनरावर्तन करता रहता है। तो क्या मर गई; अब उसकी कोई जगह नहीं है। अब आदमी कहता है, पुनर्जीवन पाने के लिए वह पुनरावर्तन जरूरी नहीं है? हमारी समस्याएं हैं, इन्हें हल करिए। और जो इन्हें हल करेगा, यदि न हो, तो उसमें से अतिक्रमण कब होता है? उसकी जगह होगी। अब फ्रायड, जुंग, एडलर और फ्रोम और | और उसमें क्या गुरु या ग्रंथ कुछ मदद नहीं कर सलीवान, इनकी दुनिया है; अब यह कपिल, कणाद की दुनिया | सकते? कृपया बताइए। नहीं है। और आने वाले भविष्य में कृष्ण अगर फ्रायड और मुंग
और एडलर की पंक्ति में खड़े होने का साहस दिखलाते हैं, तो ही गीता का भविष्य है; अन्यथा कोई भविष्य नहीं है।
जीवन का अनंत पुनरावर्तन है; उपयोगिता है उसकी; मैंने बहुत सोचकर कहा है, बहुत जानकर कहा है। बाइबिल को UII उससे प्रौढ़ता आती है। खतरा भी है उसका; उससे मैं नहीं कह सकता कि वह मनस-शास्त्र है, नहीं कह सकता। कुछ
जड़ता भी आ सकती है। एक ही चीज से दुबारा वक्तव्य हैं जो मानसिक हैं, लेकिन बहुत गहरे में वे अध्यात्म हैं। | गुजरने में दो संभावनाएं हैं। या तो दुबारा गुजरते वक्त आप उस
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