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________________ mm गीता दर्शन भाग-1 - है, वह अपवाद है; उसका कोई हिसाब नहीं रखा जा सकता। अधिकतर बच्चे तो नकल करके ही जीएंगे। बाप डरता है कि कहीं मेरी नकल न कर ले। मां डरती है कि लड़की कहीं मेरी नकल न कर ले, नहीं तो बिगड़ जाए, क्योंकि सारा मनोविज्ञान कह रहा है कि बिगाड़ मत देना। और मजा यह है कि वे बच्चे तो नकल करेंगे ही। तब वे किसी की भी नकल करते हैं। और वह नकल जो परिणाम ला रही है, वह हमारे सामने है। कृष्ण ने जब यह कहा अर्जुन से, तो उस कहने का प्रयोजन इतना ही है कि तेरे ऊपर न मालूम कितने लोगों की आंखें हैं। तू ऐसा कुछ कर, तू कुछ ऐसा जी कि उनकी जिंदगी में तेरा अनुशासन, मार्ग, प्रकाश, ज्योति बन सके। उनका जीवन तेरे कारण अंधकारपूर्ण न हो जाए। इससे लोकमंगल सिद्ध होता है। शेष कल बात करेंगे। 384
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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