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________________ विचारवान अर्जुन और युद्ध का धर्मसंकट र कंदराओं से आ रहे हैं हम, जंगली कंदराओं से होकर गुजरे हैं हम। सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोऽभवत् । । १३ ।। अंधेरा बड़ा खतरनाक था। जंगली जानवर हमला कर देता; रात इस प्रकार द्रोणाचार्य से कहते हुए दुर्योधन के वचनों को डराती थी। इसलिए अग्नि जब पहली दफा प्रकट हो सकी, तो हमने | सुनकर, कौरवों में वृद्ध, बड़े प्रतापी पितामह भीष्म ने उसके उसे देवता बनाया। क्योंकि रात निश्चित हो गई: आग जलाकर हम हृदय में हर्ष उत्पन्न करते हुए उच्च स्वर से सिंहनाद के निर्भय हए। अंधेरा हमारे अनुभव में भय से जुड़ गया है। रोशनी | समान गर्जकर शंख बजाया। उसके उपरांत शंख और नगाड़े हमारे हृदय में अभय से जुड़ गई है। तथा ढोल. मदंग और नसिंहादि बाजे एक साथ ही बजे। लेकिन अंधेरे का अपना रहस्य है, रोशनी का अपना रहस्य है। उनका वह शब्द बड़ा भयंकर हआ। और इस जीवन में जो भी महत्वपूर्ण घटित होता है, वह अंधेरे और ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ । रोशनी दोनों के सहयोग से घटित होता है। एक बीज हम गड़ाते हैं माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शंखौ प्रदध्मतुः ।। १४ ।। अंधेरे में, फूल आता है रोशनी में। बीज हम गड़ाते हैं अंधेरे में, पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनंजयः । जमीन में; जड़ें फैलती हैं अंधेरे में, जमीन में। फूल खिलते हैं पौण्ड्रं दध्मौ महाशंखं भीमकर्मा वृकोदरः ।। १५ ।। आकाश में, रोशनी में। एक बीज को रोशनी में रख दें, फिर फूल अनन्तविजयं राजा कुन्तीपुत्रो युधिष्ठिरः । कभी न आएंगे। एक फूल को अंधेरे में गड़ा दें, फिर बीज कभी नकुलः सहदेवश्च सुघोषमणिपुष्पकौ । । १६ ।। पैदा न होंगे। एक बच्चा पैदा होता है मां के पेट के गहन अंधकार | इसके अनंतर सफेद घोड़ों से युक्त उत्तम रथ में बैठे हुए में, जहां रोशनी की एक किरण नहीं पहुंचती। फिर जब बड़ा होता | श्रीकृष्ण और अर्जुन ने भी अलौकिक शंख बजाए । उनमें है, तो आता है प्रकाश में। अंधेरा और प्रकाश एक ही श्रीकृष्ण ने पांचजन्य नामक शंख और अर्जुन ने देवदत्त जीवन-शक्ति के लिए आधार हैं। जीवन में विभाजन, विरोध, | नामक शंख बजाया। भयानक कर्म वाले भीमसेन ने पौण्ड्र पोलेरिटी मनुष्य की है। नामक महाशंख बजाया। कुंतीपुत्र राजा युधिष्ठिर ने फ्रायड जो कहता है कि शैतान से जुड़ा है...। फ्रायड अनंतविजय नामक और नकुल तथा सहदेव ने सुघोष और यहूदी-चिंतन से जुड़ा था। फ्रायड यहूदी घर में पैदा हुआ था। मणिपुष्पक नाम वाले शंख बजाए। बचपन से ही शैतान और परमात्मा के विरोध को उसने सुन रखा था। यहूदियों ने दो हिस्से तोड़ रखे हैं—एक शैतान है, एक भगवान प्रश्नः भगवान श्री. भीष्म के गगनभेदी शंखनाद के लगा कि जहां-जहां से बुरी चीजें उठती हैं अचेतन से, वे बुरी-बुरी प्रतिशब्द में कृष्ण शंखनाद करते हैं। तो क्या उनकी चीजें शैतान डाल रहा होगा। शंखध्वनि एक्शन के बजाय रिएक्शन, प्रत्याघात कही नहीं, कोई शैतान नहीं है। और अगर शैतान हमें दिखाई पड़ता | | जा सकती है? भगवद्गीता के इस प्रथम अध्याय में है, तो कहीं न कहीं हमारी बुनियादी भूल है। धार्मिक व्यक्ति शैतान | कृष्ण का पांचजन्य शंख या अर्जुन का देवदत्त शंख को देखने में असमर्थ है। परमात्मा ही है। और अचेतन-जहां से | बजाना-यह उदघोषणा के बजाय कोई और तात्पर्य वैज्ञानिक सत्य को पाता है या धार्मिक सत्य को पाता है-वह | रखता है? परमात्मा का द्वार है। धीरे-धीरे हम उसकी गहराई में उतरेंगे, तो खयाल में निश्चित आ सकता है। कष्ण का शंखनाद, भीष्म के शंखनाद की प्रतिक्रिया, y० रिएक्शन है? ऐसा पूछा है। तस्य संजनयन्हर्ष कुरुवृद्धः पितामहः । ८ नहीं, सिर्फ रिस्पांस है, प्रतिसंवेदन है। और शंखनाद सिंहनादं विनद्योच्चैः शंखं दध्मौ प्रतापवान् । । १२ ।। से केवल प्रत्युत्तर है—युद्ध का नहीं, लड़ने का नहीं शंखनाद से ततः शंखाश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखाः । सिर्फ स्वीकृति है चुनौती की। वह चुनौती जो भी लाए, वह चुनौती के दो हिस्से
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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