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________________ - गीता दर्शन भाग-1 AM of तिम श्लोक। कृष्ण कह रहे हैं, इस भांति यज्ञरूपी कर्म काम आपने कोई किया और पीछे आपको लगा होगा, बड़ी हैरानी 1 करते हुए तुम देवताओं के सहयोगी बनो और वे देवता की बात है, इतनी ताकत मुझमें कहां से आ गई कि मैं यह बुरा काम तुम्हारे सहयोगी बनें। इस भांति तुम कर्तव्य को | | कर पाया! यह अनेक लोगों का अनुभव है। उपलब्ध हो सकते हो। __ आप क्रोध में इतना बड़ा पत्थर उठा सकते हो, जितना आप यह देवता शब्द को थोड़ा समझना जरूरी है। इस शब्द से बड़ी | | शांति में नहीं उठा सकते, तब आपको कल्पना भी नहीं हो सकती भ्रांति हुई है। देवता शब्द बहुत पारिभाषिक शब्द है। देवता शब्द | | कि कोई बुरी आत्मा भी आपके लिए सहयोग देती है। जब एक का अर्थ है...इस जगत में जो भी लोग हैं, जो भी आत्माएं हैं, उनके | आदमी किसी की हत्या करने जाता है, तो उसकी साधारण स्थिति मरते ही साधारण व्यक्ति का जन्म तत्काल हो जाता है। उसके लिए | नहीं रह जाती, असाधारण पजेस्ड हो जाता है। और अनेक हत्यारे गर्भ तत्काल उपलब्ध होता है। लेकिन बहुत असाधारण शुभ | अदालतों में यह कहते हैं कि हम मान नहीं सकते कि हमने हत्या आत्मा के लिए तत्काल गर्भ उपलब्ध नहीं होता। उसे प्रतीक्षा करनी | की है, क्योंकि हमें तो खयाल ही नहीं आता कि हम कैसे हत्या कर पड़ती है। उसके योग्य गर्भ के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती है। बहुत सकते हैं। असल में आपमें हत्या की वत्ति उठे. तो हत्या के लिए बुरी आत्मा, बहुत ही पापी आत्मा के लिए भी गर्भ तत्काल उपलब्ध | | उत्सुक कोई आत्मा आपके ऊपर सवार हो सकती है, आपका नहीं होता। उसे भी बहुत प्रतीक्षा करनी पड़ती है। साधारण आत्मा | सहयोग कर सकती है। के लिए तत्काल गर्भ उपलब्ध हो जाता है। इसलिए साधारण ठीक इससे उलटा, अर्जुन से कृष्ण कह रहे हैं कि अगर तू एक आदमी इधर मरा और उधर जन्मा। इस जन्म और मृत्यु और मृत्यु | शुभ कर्म में कर्ता को छोड़कर संलग्न होता है, तो अनेक देवताओं और नए जन्म के बीच में बड़ा फासला नहीं होता। कभी क्षणों का | | का सहारा तुझे मिलता है। जब आप कोई अच्छा कर्म करते हैं, तब भी फासला होता है। कभी क्षणों का भी नहीं होता। चौबीस घंटे गर्भ भी आप अकेले नहीं होते। तब भी वे अनेक आत्माएं, जो अच्छा उपलब्ध हैं; तत्काल आत्मा गर्भ में प्रवेश कर जाती है। | करने के लिए आतुर, अभीप्सित होती हैं, तत्काल आपके लेकिन एक श्रेष्ठ आत्मा नए गर्भ में प्रवेश करने के लिए प्रतीक्षा | | आस-पास इकट्ठी और सक्रिय हो जाती हैं। तत्काल आपको उनका में रहती है। इस तरह की श्रेष्ठ आत्माओं का नाम देवता है। निकृष्ट | | सहयोग मिलना शुरू हो जाता है। तत्काल आपके लिए अनंत मार्गों आत्माएं भी प्रतीक्षा में होती हैं। इस तरह की आत्माओं का नाम से शक्ति मिलनी शुरू हो जाती है, जो आपकी नहीं है। .. प्रेतात्माएं हैं। वे जो प्रेत हैं, ऐसी आत्माएं जो बुरा करते-करते मरी | ___ इसलिए अच्छा आदमी भी अकेला नहीं है इस पृथ्वी पर और हैं; लेकिन इतना बुरा करके मरी हैं। अब जैसे कोई हिटलर, कोई बुरा आदमी भी अकेला नहीं है इस पृथ्वी पर, सिर्फ बीच के आदमी एक करोड़ आदमियों की हत्या जिस आदमी के ऊपर है, इसके | | अकेले होते हैं। सिर्फ बीच के आदमी अकेले होते हैं, जो न इतने लिए कोई साधारण मां गर्भ नहीं बन सकती, और न कोई साधारण | | अच्छे होते हैं कि अच्छों से सहयोग पा सकें, न इतने बुरे होते हैं पिता गर्भ बन सकता है। ऐसे आदमी को तो गर्भ के लिए बहुत | | कि बुरों से सहयोग पा सकें। सिर्फ साधारण, बीच के, मीडियाकर, प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। लेकिन इसकी आत्मा इस बीच क्या करेगी? मिडिल क्लास-पैसे के हिसाब से नहीं कह रहा–आत्मा के इसकी आत्मा इस बीच खाली नहीं बैठी रह सकती। भला आदमी | | हिसाब से जो मध्यवर्गीय हैं, उनको, वे भर अकेले होते हैं, वे तो कभी खाली भी बैठ जाए, बुरा आदमी बिलकुल खाली नहीं बैठ | लोनली होते हैं। उनको कोई सहारा-वहारा ज्यादा नहीं मिलता। सकता। कुछ न कुछ करने की कोशिश जारी रहेगी। | और कभी-कभी हो सकता है कि या तो वे बुराई में नीचे उतरें, तब तो जब भी आप कोई बरा कर्म करते हैं, तब तत्काल ऐसी उन्हें सहारा मिले: या भलाई में ऊपर उठे. तब उन्हें सहारा मिले। आत्माओं को आपके द्वारा सहारा मिलता है, जो बुरा करना चाहती लेकिन इस जगत में अच्छे आदमी अकेले नहीं होते, बुरे आदमी हैं। आप वीहिकल बन जाते हो; आप साधन बन जाते हो। जब भी अकेले नहीं होते। आप कोई बुरा कर्म करते हो, तो ऐसी कोई आत्मा अति प्रसन्न होती । जब महावीर जैसा आदमी पृथ्वी पर होता है या बुद्ध जैसा है और आपको सहयोग देती है, जिसे बुरा करना है, लेकिन उसके आदमी पृथ्वी पर होता है, तो चारों ओर से अच्छी आत्माएं इकट्ठी पास शरीर नहीं है। इसलिए कई बार आपको लगा होगा कि बुरा सक्रिय हो जाती हैं। इसलिए जो आपने कहानियां सुनी हैं, वे सिर्फ 1350
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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