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________________ IITRA विषाद की खाई से ब्राह्मी-स्थिति के शिखर तक पर अस्तित्व नहीं है, उसे तलवार से न काटा जा सकता है, न धक्के से | | चोरियां न कर ले। जाट का लड़का जब चोरी करने जाता है, तो कभी निकाला जा सकता है। असल में अंधेरा सिर्फ एब्सेंस है किसी चीज | | उसके मन में नहीं आता कि बुरा कर रहा है। अंतःकरण उसके पास की, अंधेरा अपने में कुछ भी नहीं है। अंधेरा सिर्फ अनुपस्थिति है | | भी है, आपके पास ही नहीं है। लेकिन सोशल जो बिल्ट-इन आपके प्रकाश की; बस। | भीतर डाली गई धारणा है, वह उसके पास नहीं है। इसलिए आप अंधेरे के साथ सीधा कुछ भी नहीं कर सकते हैं। | मेरे एक मित्र पख्तून इलाके में घूमने गए थे। तो पेशावर में उन्हें और अंधेरे के साथ कुछ भी करना हो, तो प्रकाश के साथ कुछ मित्रों ने कहा कि पख्तून इलाके में जा रहे हैं, जरा सम्हलकर बैठना। करना पड़ता है। प्रकाश जलाएं, तो अंधेरा नहीं होता। प्रकाश | जीप तो ले जा रहे हैं, लेकिन होशियारी रखना। उन्होंने कहा, क्या, बुझाएं, तो अंधेरा हो जाता है। सीधा अंधेरे के साथ कुछ भी नहीं | खतरा क्या है ? हमारे पास कुछ है नहीं लूटने को। उन्होंने कहा कि किया जा सकता है, क्योंकि अंधेरा नहीं है। और जो नहीं है, उसके नहीं, यह खतरा नहीं है। खतरा यह है कि पख्तून लड़के अक्सर साथ जो सीधा कुछ करने में लग जाएगा, वह अपने जीवन को ऐसे सड़कों पर निशाना सीखने के लिए लोगों को गोली मार देते उलझाव में डाल देता है, जिसके बाहर कोई भी मार्ग नहीं होता। वह हैं—निशाना सीखने के लिए; दुश्मन को नहीं! पख्तून लड़के एब्सर्डिटी में पड़ जाता है। निशाना सीखने के लिए सड़क के किनारे से चलती हुई कार में अंतःकरण अगर शुद्ध है, तो अंतःकरण को शुद्ध करने की सब | गोली मारकर देखते हैं कि निशाना लगा कि नहीं। मित्र तो बहत चेष्टा खतरनाक है; अंधेरे को निकालने जैसी चेष्टा है। क्योंकि जो | घबड़ा गए। उन्होंने कहा कि आप क्या कहते हैं, निशाना लगाने के नहीं है अशुद्धि, उसे निकालेंगे कैसे? सांख्य कहता है, अंतःकरण | लिए! तो क्या उनके पास कोई अंतःकरण नहीं है? अशुद्ध नहीं है। और अगर अंतःकरण भी अशुद्ध हो सकता है, तो ___ अंतःकरण तो पख्तून के पास भी है। अंतःकरण किसी की बपौती इस जगत में फिर शुद्धि का कोई उपाय नहीं है। फिर शुद्ध कौन । | नहीं है। लेकिन पख्तून के पास, जिसको हिंसा-अहिंसा का करेगा? क्योंकि जो शुद्ध कर सकता था, वह अशुद्ध हो गया है। सामाजिक बोध कहते हैं, उसे डालने का कोई बचपन से प्रयास नहीं ___ अंतःकरण अशुद्ध नहीं है। अगर ठीक से समझें, तो अंतःकरण किया गया है। ही शुद्धि है—दि वेरी प्योरीफिकेशन, दि वेरी प्योरिटी। अंतःकरण । एक हिंदू को कहें कि चचेरी बहन से शादी कर ले, तो उसका शुद्ध ही है। लेकिन अंतःकरण का हमें कोई पता नहीं है कि क्या है। | अंतःकरण इनकार करता है, मुसलमान का नहीं करता। कारण यह आप किस चीज को अंतःकरण जानते हैं? नहीं है कि मुसलमान के पास अंतःकरण नहीं है। सिर्फ चचेरी बहन अंग्रेजी में एक शब्द है, कांशिएंस। और गीता के जिन्होंने भी से शादी करने की धारणा का भेद है। वह समाज देता है। वह अनुवाद किए हैं, उन्होंने अंतःकरण का अर्थ कांशिएंस किया है। अंतःकरण नहीं है। उससे गलत कोई अनुवाद नहीं हो सकता। कांशिएंस अंतःकरण समाज ने एक इंतजाम किया है, बाहर अदालत बनाई है और नहीं है। कांशिएंस अंतःकरण का धोखा है। इसे थोड़ा समझ लेना भीतर भी एक अदालत बनाई है। समाज ने पुख्ता इंतजाम किया है जरूरी होगा, क्योंकि वह बहुत गहरे, रूट्स में बैठ गई भ्रांति है कि बाहर से वह कहता है कि चोरी करना बुरा है; वहां पुलिस है, सारे जगत में। अदालत है। लेकिन इतना काफी नहीं है, क्योंकि भीतर भी एक जहां भी गीता पढ़ी जाती है, वहां अंतःकरण का अर्थ कांशिएंस पुलिसवाला होना चाहिए, जो पूरे वक्त कहता रहे कि चोरी करना कर लिया जाता है। हम भी अंतःकरण से जो मतलब लेते हैं, वह बुरा है। क्योंकि बाहर के पुलिसवाले को धोखा दिया जा सकता है। क्या है? आप चोरी करने जा रहे हैं। भीतर से कोई कहता है, चोरी | उस हालत में भीतर का पुलिसवाला काम पड़ सकता है। मत करो, चोरी बुरी है। आप कहते हैं, अंतःकरण बोल रहा है। यह कांशिएंस अंग्रेजी का जो शब्द है, उसको हमें कहना चाहिए कांशिएंस है, अंतःकरण नहीं। यह सिर्फ समाज के द्वारा डाली गई | | अंतस-चेतन, अंतःकरण नहीं। सांख्य का अंतःकरण, बात ही और धारणा है, अंतःकरण नहीं। क्योंकि अगर समाज चोरों का हो, तो | है। अंतःकरण को अगर अंग्रेजी में अनुवादित करना हो, तो ऐसा नहीं होगा। ऐसे समाज हैं। | कांशिएंस शब्द नहीं है। अंग्रेजी में कोई शब्द नहीं है ठीक। क्योंकि जाट हैं। तो जाट लड़के की शादी नहीं होती, जब तक वह दो-चार अंतःकरण का मतलब होता है, दि इनरमोस्ट इंस्ट्रमेंट, अंतरतम 283
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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