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दुरुपयोग भी / अधिक वासना-तो परमात्मा से अधिक दूरी / कम वासना तो कम दूरी / वासना की चरम ऊंचाई पर रूपांतरण कैसे? / हममें पापी होने का भी साहस नहीं है / पापी छलांग लगाना जानता है / दो नावों पर यात्रा-वासना भी, गीता-पाठ भी / परमात्मा से सर्वाधिक दूर व्यक्ति को-सर्वाधिक कमी का अनुभव। / इंद्रियां, मन और बुद्धि-इनके द्वारा ही वासनाओं का सम्मोहन उठता है / इंद्रियों को वश में कर, काम को मार डाल / रूपांतरण ही ठीक अर्थ में मृत्यु है / मारने से नहीं-रूपांतरण से ही इंद्रियों का मरना / इंद्रियों को सीधे मारने से विकृति (परवर्सन) / साक्षित्व और अकर्ताभाव से इंद्रियां वश में / तुम अंशी हो-इंद्रियां अंश हैं, तुम मालिक हो-इंद्रियां नौकर हैं / इंद्रियां माने मन की, मन माने बुद्धि की और बुद्धि माने परमात्मा की / बुद्धि पर रुक जाएं तो अहंकार प्रगाढ़ / इंद्रियों को सौंपें-मन के हाथ में, मन को सौंपें-बुद्धि के हाथ में और बुद्धि को सौंपें-परमात्मा के हाथ में।