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10- फलाकांक्षारहित कर्म, जीवंत समता और परम पद
पर
जीवन में भी समता जड़ नहीं है, जैसा पत्थर पड़ा हो। जीवन की भी एक तरह की समता, जड़ समता उपलब्ध होती है। समता भी नट जैसी समता ही है-प्रतिपल जीवित है, सचेतन है, कृष्ण जिस समता की बात कर रहे हैं, वह सचेतन समता की गतिमान है।. ..
बात है। उस युद्ध के क्षण में तो बहुत सचेतन होना पड़ेगा न! युद्ध दो तरह की समता हो सकती है। एक आदमी सोया पड़ा है गहरी के क्षण में तो बेहोश नहीं हुआ जा सकता, मारिजुआना और एल सुषुप्ति में, वह भी समता को उपलब्ध है। क्योंकि वहां भी कोई एस डी नहीं लिया जा सकता, न चरस पी जा सकती है। युद्ध के चुनाव नहीं है। लेकिन सुषुप्ति योग नहीं है। एक आदमी शराब क्षण में तो पूरा जागना होगा। पीकर रास्ते पर पड़ा है; उसे भी सिद्धि और असिद्धि में कोई फर्क कभी आपने खयाल किया हो, न किया हो! जितने खतरे का नहीं है। लेकिन शराब पी लेना समता नहीं है, न योग है। यद्यपि | | क्षण होता है, आप उतने ही जागे हुए होते हो। कई लोग शराब पीकर भी योग की भूल में पड़ते हैं।
अगर हम यहां बैठे हैं, और यहां जमीन पर मैं एक फीट चौड़ी तो गांजा पीने वाले योगी भी हैं, चरस पीने वाले योगी भी हैं। और सौ फीट लंबी लकड़ी की पट्टी बिछा दूं और आपसे उस पर और आज ही हैं, ऐसा नहीं है, अति प्राचीन हैं। और अभी तो चलने को कहूं, तो कोई गिरेगा उस पट्टी पर से? कोई भी नहीं उनका प्रभाव पश्चिम में बहुत बढ़ता जाता है। अभी तो बस्तियां गिरेगा। बच्चे भी निकल जाएंगे, बूढ़े भी निकल जाएंगे, बीमार भी बस गई हैं अमेरिका में, जहां लोग चरस पी रहे हैं। मैस्कलीन, | निकल जाएंगे; कोई नहीं गिरेगा। लेकिन फिर उस पट्टी को इस लिसर्जिक एसिड, मारिजुआना, सब चल रहा है। वे भी इस | मकान की छत पर और दूसरे मकान की छत पर रख दें। वही पट्टी खयाल में हैं कि जब नशे में धत होते हैं, तो समता सध जाती है, है, एक फीट चौड़ी है। ज्यादा चौड़ी नहीं हो गई, कम चौड़ी नहीं क्योंकि चुनाव नहीं रहता।
की. उतनी ही लंबी है। फिर हमसे कहा जाए, चलें इस पर! तब · कृष्ण अर्जुन को ऐसी समता को नहीं कह रहे हैं कि तू बेहोश हो | | कितने लोग चलने को राजी होंगे? जा! बेहोशी में भी चुनाव नहीं रहता, क्योंकि चुनाव करने वाला | गणित और विज्ञान के हिसाब से कुछ भी फर्क नहीं पड़ा है। पट्टी नहीं रहता। लेकिन जब चुनाव करने वाला ही न रहा, तो चुनाव के | वही है, आप भी वही हैं। खतरा क्या है? डर क्या है? और जब न रहने का क्या प्रयोजन है? क्या अर्थ है? क्या उपलब्धि है? आप नीचे निकल गए थे चलकर और नहीं गिरे थे, तो अभी गिर
नहीं, चुनाव करने वाला है; चाहे तो चुनाव कर सकता है; नहीं जाएंगे, इसकी संभावना क्या है? करता है। और जब चाहते हुए चुनाव नहीं करता कोई, जानते हुए नहीं, लेकिन आप कहेंगे, अब नहीं चल सकते। क्यों? क्योंकि जब दो विरोधों से अपने को बचा लेता है, बीच में खड़ा हो जाता जमीन पर चलते वक्त जागने की कोई भी जरूरत न थी, सोए-सोए है, तो योग को उपलब्ध होता है, समाधि को उपलब्ध होता है। भी चल सकते थे। अब इस पर जागकर चलना पड़ेगा; खतरा नीचे
सुषुप्ति और समाधि में बड़ी समानता है। चाहें तो हम ऐसी खड़ा है। इतना जागकर चलने का भरोसा नहीं है कि सौ फीट तक परिभाषा कर सकते हैं कि सुषुप्ति मूर्छित समाधि है। और ऐसी भी जागे रह सकेंगे। एक-दो फीट चलेंगे, होश खो जाएगा। कोई कि समाधि जाग्रत सुषुप्ति है। बड़ी समानता है। सुषुप्ति में आदमी फिल्मी गाना बीच में आ जाएगा, कुछ और आ जाएगा; जमीन पर प्रकृति की समता को उपलब्ध हो जाता है, समाधि में व्यक्ति | हो जाएंगे। नीचे एक कुत्ता ही भौंक देगा, तो सब समता समाप्त हो परमात्मा की समता को उपलब्ध होता है।
जाएगी। तो आप कहेंगे, नहीं, अब नहीं चल सकते। अब क्यों नहीं इसलिए दुनिया में बेहोशी का जो इतना आकर्षण है, उसका चल सकते हैं? अब एक नई जरूरत-खतरे में जागरण चाहिए। मौलिक कारण धर्म है। शराब का जो इतना आकर्षण है, उसका | | मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि युद्ध का इतना आकर्षण भी खतरे का मौलिक कारण धार्मिक इच्छा है।
| आकर्षण है। इसलिए कभी आपने खयाल किया, जब दुनिया में __आप कहेंगे, क्या मैं यह कह रहा हूं कि धार्मिक आदमी को | | युद्ध चलता है, तो लोगों के चेहरों की रौनक बढ़ जाती है, घटती शराब पीनी चाहिए? नहीं, मैं यही कह रहा हूं कि धार्मिक आदमी | नहीं। और जो आदमी कभी आठ बजे नहीं उठा था, वह पांच बजे को शराब नहीं पीनी चाहिए, क्योंकि शराब धर्म का सब्स्टीटयूट उठकर रेडियो खोल लेता है। पांच बजे से पूछता है, अखबार कहां बन सकती है। नशा धर्म का परिपूरक बन सकता है। क्योंकि वहां है? जिंदगी में एक पुलक आ जाती है। बात क्या है ? युद्ध के क्षण
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