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________________ mm गीता दर्शन भाग-1 AM के लिए थे। कृष्ण सिर्फ एक मनस-शास्त्री हैं। अर्जुन की पोटेंशियलिटी को बहुत घबड़ाया वह धनुर्धर। उसने कहा, सिर्फ अभ्यास ही! तो समझते हैं; अर्जुन क्या हो सकता है, यह समझते हैं; और अर्जुन आगे और कौन-सी धनुर्विद्या है ? तो उस बूढ़े ने कहा, आओ मेरे क्या होकर तृप्त हो सकता है, यह समझते हैं। और अर्जुन क्या होने साथ। वह बूढ़ा उसे लेकर पहाड़ के कगार पर चला गया, जहां नीचे | से चूक जाए, तो सदा के लिए दुख और विषाद को उपलब्ध हो हजारों फीट का गड्ड है। | जाएगा और अपने ही हाथ नर्क में, आत्मघाती हो जाएगा, यह भी ___ वह बूढ़ा आगे बढ़ने लगा, वह धनुर्धर पीछे खड़ा रह गया। वह | | समझते हैं। बूढ़ा आगे बढ़ा, उसके पैरों की अंगुलियां पत्थर के बाहर झांकने | अब आज सारी दुनिया में मनस-शास्त्र के सामने जो गहरे से लगीं। उसकी झुकी हुई गरदन खाई में झांकने लगी। उसने कहा कि गहरा सवाल है, वह यही है कि हम प्रत्येक बच्चे को उसकी बेटे, और पास आओ; इतने दूर क्यों रुक गए हो! उसने कहा, | संभावना, उसकी पोटेंशियलिटी बता सकें, वह क्या हो सकता है। लेकिन वहां तो मुझे बहुत डर लगता है। आप वहां खड़े ही कैसे सब अस्तव्यस्त है। हैं? मेरी आंखें भरोसा नहीं करतीं, क्योंकि वहां तो जरा श्वास भी रवींद्रनाथ के पिता रवींद्रनाथ को कवि नहीं बनाना चाहते हैं। चूक जाए...! कोई भी पिता नहीं बनाना चाहेगा। मैंने तो सुना है कि महाकवि तो उस बूढ़े ने कहा, जब अभी मन इतना कंपता है, तो निशाना | निराला के घर एक रात एक छोटी-सी बैठक चलती थी। तुम्हारा अचूक नहीं हो सकता। और जहां भय है, वहां क्षत्रिय कभी | सुमित्रानंदन पंत थे, महादेवी थीं, मैथिलीशरण गुप्त थे, और कुछ पैदा नहीं होता है। उस बूढ़े ने कहा, जहां भय है, वहां क्षत्रिय कभी | लोग थे। मैथिलीशरण गुप्त बहुत दिन बाद आए थे। तो जैसी उनकी पैदा नहीं होता है। वहां धनुर्धर के जन्म की संभावना नहीं है। आदत थी, निराला के भोजन बनाने वाले महाराज को भी पूछा कि भयभीत किस चीज से हो? और अगर भय है, तो मन में कंपन होंगे | ठीक तो हो? सब ठीक तो है? उसने कहा, और तो सब ठीक है ही, कितने ही सूक्ष्म हों, कितने ही सूक्ष्म हों, मन में कंपन होंगे ही। | महाराज, लेकिन मेरा लड़का, किसी तरह उसे ठीक करें, बर्बाद तो कृष्ण अर्जुन को कह रहे हैं, तू और भयभीत? तो कल जो | हुआ जा रहा है। तो मैथिलीशरण ने पूछा, क्या हुआ तुम्हारे लड़के तेरा सम्मान करते थे, कल जिनके बीच तेरे यश की चर्चा थी, कल को? क्या गुंडा-बदमाश हो गया? चोर-लफंगा हो गया? उसने , जो तेरा गुणगान गाते थे, कल तक जो तेरी तरफ देखते थे कि तू | कहा कि नहीं-नहीं, मेरा लड़का कवि हो गया है। ' एक जीवंत प्रतीक है क्षत्रिय का, वे सब हंसेंगे। अपयश की चर्चा | इन सब कवियों पर क्या गुजरी होगी, पता नहीं। हो जाएगी, कीर्ति को धब्बा लगेगा। तू यह क्या कर रहा है? तेरा | रवींद्रनाथ के पिता भी नहीं चाहते थे कि कवि हो जाए लड़का। निज-धर्म है जो, तेरी तैयारी है जिसके लिए, जिसके विपरीत होकर | सब चेष्टा की, पढ़ाया, लिखाया, पूरा परिवार बड़ा ही धुआंधार तू जी भी न सकेगा; कीर्ति के शिखर से गिरते ही, तू श्वास भी न | | पीछे लगा था-इंजीनियर बन जाए, डाक्टर बन जाए, प्रोफेसर बन ले सकेगा। जाए-कुछ भी बन जाए, काम का बन जाए। और ठीक कहते हैं कृष्ण। अर्जुन जी नहीं सकता। क्षत्रिय मर | | रवींद्रनाथ के घर में एक किताब रखी है, जोड़ासांको भवन में। सकता है गौरव से, लेकिन पलायन करके गौरव से जी नहीं | बड़ा परिवार था, बहुत बच्चे थे, सौ लोग थे घर में। हर बच्चे के सकता। वह क्षत्रिय होने की संभावना में ही नहीं है। तो कृष्ण कहते | जन्मदिन पर उस किताब में उस बच्चे के संबंध में घर के सब हैं, जो तेरी संभावना है, उससे विपरीत जाकर तू पछताएगा, उससे | बड़े-बूढ़े भविष्यवाणियां लिखते थे। उस किताब में रवींद्रनाथ के विपरीत जाकर तू सब खो देगा। सारे भाई-बहन-काफी थे, दर्जनभर-सबके संबंध में बहुत इस संबंध में दो-तीन बातें अंत में आपसे कहूं, जो खयाल ले अच्छी बातें लिखी हैं। रवींद्रनाथ के संबंध में किसी ने अच्छी बात लेने जैसी हैं. उनसे बडी भ्रांति होती है. अगर वे खयाल में न रहें। नहीं लिखी है। रवींद्रनाथ की मां ने खद लिखा है कि रवि से हमें लग सकता है कि कृष्ण क्या युद्धखोर हैं, वार-मांगर हैं। लग कोई आशा नहीं है। सब लड़के बड़े होनहार हैं; कोई प्रथम आता सकता है कि युद्ध की ऐसी उत्तेजना! युद्ध के लिए ऐसा प्रोत्साहन! | है, कोई गोल्ड मेडल लाता है, कोई युनिवर्सिटी में चमकता है। यह तो भूल हो जाएगी, अगर आपने ऐसा सोचा। लड़का बिलकुल गैर-चमक का है। 164
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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