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________________ Sam गीता दर्शन भाग-1 - छोटा-सा बिंदु, यह काला धब्बा-यह मैं। मजाक कर रहे हैं। यह | चाहिए। अन्यथा दस साल में जो घटना घटी, उसे मैं कैसे याद कर मैं कैसे हो सकता हूं! लेकिन यह आपकी पहली तस्वीर है। इसे | सकता हूं। मैं तो नहीं था, जो मैं आज हूं, यह तो मैं नहीं था। जो अपने एल्बम में लगाकर रखना चाहिए। और अगर यह आप नहीं | | भी आज दिखाई पड़ता है, यह दस साल में मैं नहीं था। किसे याद हैं, तो जो तस्वीर आपकी आज है, वह भी आप नहीं हो सकते हैं। | है? यह स्मृति का सूत्र कहां है? कोई जरूर मेरे गहरे में कोई कील क्योंकि कल वह भी बदल जाएगी। होनी चाहिए, जिस पर सब बदल गया है। रास्ते बदल गए हैं, __ अगर हम एक आदमी की, पहले दिन पैदा हुआ था तब की अनेक-अनेक रास्तों पर वह रथ घूम चुका है, लेकिन कोई एक तस्वीर, और जिस दिन मरता है उस दिन की तस्वीर को आस-पास कील जरूर होनी चाहिए, जिसने चक्के की हर स्थिति देखी है। रखें, क्या इन दोनों के बीच कोई भी तालमेल दिखाई पड़ेगा? कोई चक्का खुद याद नहीं रख सकता है, बदल रहा है पूरे समय। कोई भी संबंध हम जोड़ पाएंगे? क्या हम कभी कल्पना भी कर पाएंगे अनबदला तत्व चाहिए। कि यह वही बच्चा है, जो पैदा हुआ था, वही यह बूढ़ा मर रहा है! तो कृष्ण कह रहे हैं कि बचपन था, जवानी थी, बुढ़ापा था। इस नहीं कोई संगति दिखाई पड़ेगी, बड़ी असंगत बात दिखाई पड़ेगी| | सब बदलाहट के बीच कोई थिर, कोई नहीं बदलने वाला, कोई कि कहां यह कहां वह, इसका कोई संबंध दिखाई नहीं पड़ता है। | अपरिवर्तित, कोई अनमूविंग तथ्य, उसकी स्मृति जगाने की है। तब लेकिन इतने असंगत प्रवाह की भी हम कभी चिंता, कभी विचार | फिर हम ऐसा न कह सकेंगे कि मैं बच्चा था; फिर हम ऐसा न कह नहीं करते हैं। सकेंगे कि मैं जवान था; फिर हम ऐसा न कह सकेंगे कि मैं बूढ़ा हूं। कृष्ण यही विचार उठाना चाह रहे हैं अर्जुन में। वे यह कह रहे | । नहीं, तब हमारी बात और होगी। तब हम कहेंगे कि मैं कभी हैं कि जिन आकृतियों को तू कह रहा है कि ये मिट जाएंगी, इसका बचपन में था, मैं कभी जवानी में था, मैं कभी बुढ़ापे में था। मैं कभी मुझे डर है; ये आकृतियां मिट ही रही हैं। ये चौबीस घंटे मिटती ही | जन्मा, मैं कभी मरने में था। लेकिन यह जो मैं है, यह इन सारी रही हैं। ये सदा मिटने के क्रम में ही लगी हैं। स्थितियों से ऐसे ही टूट जाएगा, जैसे कोई यात्री स्टेशनों से गुजरता आदमी पूरी जिंदगी सिवाय मरने के और कुछ करता ही नहीं है। | है। तो अहमदाबाद के स्टेशन पर नहीं कहता कि मैं अहमदाबाद उसकी सारी जिंदगी मरने का ही एक लंबा क्रम है। जन्म में जो शुरू | हूं। वह कहता है कि मैं अहमदाबाद के स्टेशन पर हूं। बंबई होता है, मृत्यु में वह पूरा होता है। जन्म की प्रक्रिया एक कदम है, | पहुंचकर वह यह नहीं कहता कि मैं बंबई हो गया हूं। वह कहता मृत्यु की प्रक्रिया दूसरा कदम है। | है, मैं बंबई के स्टेशन पर हूं। क्योंकि अगर वह बंबई हो जाए, तो और ऐसा भी नहीं है कि अचानक मौत एक दिन आ जाती है।। | फिर अहमदाबाद कभी नहीं हो सकेगा। अहमदाबाद हो जाए, तो मौत जन्म के दिन से रोज-रोज आती ही रहती है; तभी तो पहुंच | | फिर बंबई कभी नहीं हो सकेगा। पाती है। उसको सत्तर साल लग जाते हैं आप तक आने में। या ऐसा | | आप अगर बच्चे थे, तो जवान कैसे हो सकते हैं? और अगर समझिए कि आपको सत्तर साल लग जाते हैं उस तक पहुंचने में। | आप जवान थे, तो बूढ़े कैसे हो सकते हैं? निश्चित ही कोई आपके लेकिन यात्रा पहले दिन ही शुरू हो जाती है। भीतर होना चाहिए जो बच्चा नहीं था। इसलिए बचपन भी आया ___ यह सब बदल रहा है, लेकिन फिर भी यह खयाल नहीं आता | | और गया; जवानी भी आई और गई; बुढ़ापा भी आया और जाएगा। कि इतनी बदलाहट के बीच मुझे यह खयाल क्यों बना रहता है कि | जन्म भी आया, मृत्यु भी आई; और कोई है, जो इस सब के भीतर मैं वही हूं, जो बच्चे में था; मैं वही हूं, जो जवान में था; मैं वही हूं, | खड़ा है और सब आ रहा है और जा रहा है स्टेशंस की तरह। जो बूढ़े में है। यह आइडेंटिटी, यह तादात्म्य, इतनी बदलाहट के ___ अगर यह फासला दिखाई पड़ जाए कि जिन्हें हम अपना होना बीच यह सातत्य, यह स्मृति, यह रिमेंबरिंग कहां बनी रहती है, मान लेते हैं, वे केवल स्थितियां हैं। हमारा होना वहां से गुजरा है, किसे बनी रहती है, क्यों बनी रहती है? एक स्वर तो जरूर भीतर | लेकिन हम वही नहीं हैं—उसके स्मरण के लिए कृष्ण कह रहे हैं। होना चाहिए जो अनबदला है, अन्यथा कौन याद करेगा? मैं कहता हूं कि दस साल का था, तो ऐसी घटना घटी। मेरे भीतर जो दस साल में था, वह जरूर किसी तल पर आज भी होना | प्रश्नः भगवान श्री, यह शरीर छोड़कर आत्मा अन्य 96
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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