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________________ im+ अर्जुन का पलायन-अहंकार की ही दूसरी अति - में बैठते हो, यह धूप में खड़ा होता है। यह नंबर एक रहेगा, यह | क्यों रखवाते हैं? रामायण पर क्यों नहीं रखवा लेते? उपनिषद पर कहीं भी रहे। यह नंबर एक होना नहीं छोड़ सकता; यह तुम्हें मात क्यों नहीं रखवा लेते? बड़ा कारण है। पता नहीं अदालत को पता करके रहेगा। इसने सम्राटों को मात किया, तुम भिखारियों को कैसे | है या नहीं, लेकिन कारण है; कारण बड़ा है। मात नहीं करेगा! अहंकार अति चुनता है। राम, कितने ही बड़े हों, लेकिन इस मुल्क के चित्त में वे पूर्ण __ अर्जुन कह रहा है कि छोड़ दूं सब साम्राज्य, कुछ अर्थ नहीं। | अवतार की तरह नहीं हैं; अंश है उनका अवतार। उपनिषद के ऋषि भिक्षा मांग लेंगे। मांग सकता है, बिलकुल मांग सकता है। | कितने ही बड़े ज्ञानी हों, लेकिन अवतार नहीं हैं। कृष्ण पूर्ण अवतार अहंकार की वहां भी तृप्ति हो सकती है। मध्य में नहीं रुक सकता। | हैं। परमात्मा अगर पूरा पृथ्वी पर उतरे, तो करीब-करीब कृष्ण जैसा अति से अति पर जा सकता है। अति से अति पर जाने में कोई | होगा। इसलिए कृष्ण इस मुल्क के अधिकतम मन को छू पाए हैं; रूपांतरण, कोई ट्रांसफार्मेशन नहीं है। बहुत कारणों से। एक तो पूर्ण अवतार का अर्थ होता है, मल्टी फिर बुद्ध एक दिन उस सम्राट के पास गए सांझ को। रुग्ण, डायमेंशनल, बहआयामी; जो मनुष्य के समस्त व्यक्तित्व को बीमार, वह राह के किनारे पड़ा था। बुद्ध ने उससे कहा, मैं एक स्पर्श करता हो। राम वन डायमेंशनल हैं। बात पूछने आया हूं। मैंने सुना है कि तुम जब सम्राट थे, तो वीणा हर्बर्ट मारक्यूस ने एक किताब लिखी है, वन डायमेंशनल मैन, बजाने में बहुत कुशल थे। मैं तुमसे पूछने आया हूं कि वीणा के तार एक आयामी मनुष्य। राम वन डायमेंशनल हैं, एक आयामी हैं, अगर बहुत कसे हों, तो संगीत पैदा होता है ? उसने कहा, कैसे पैदा एकसुरे हैं, एक ही स्वर है उनमें। स्वभावतः एक ही स्वर का आदमी होगा! तार टूट जाते हैं। और बुद्ध ने कहा, बहुत ढीले हों तार, तब सिर्फ उस एकसुरे आदमियों के लिए प्रीतिकर हो सकता है, सबके संगीत पैद होता है? उस सम्राट ने कहा कि नहीं, बहुत ढीले हों लिए प्रीतिकर नहीं हो सकता। महावीर और बुद्ध सभी एकसरे हैं। तो टंकार ही पैदा नहीं होती संगीत कैसे पैदा होगा? बुद्ध ने कहा, | एक ही स्वर है उनका। इसलिए समस्त मनुष्यों के लिए महावीर अब मैं जाऊं। एक बात और तमसे कह जाऊं कि जो वीणा के तारों और बद्ध प्रीतिकर नहीं हो सकते। हां, मनष्यों का एक वर्ग होगा. का नियम है—न बहुत ढीले, न बहुत कसे; अर्थात न कसे न | जो बुद्ध के लिए दीवाना हो जाए, जो महावीर के लिए पागल हो ढीले, बीच में कहीं; जहां न तो कहा जा सके कि तार कसे हैं, न जाए। लेकिन एक वर्ग ही होगा, सभी मनुष्य नहीं हो सकते। . कहा जा सके कि तार ढीले हैं-ठीक मध्य में जब तार होते हैं, तभी लेकिन कृष्ण मल्टी डायमेंशनल हैं। ऐसा आदमी जमीन पर संगीत पैदा होता है। जीवन की वीणा का भी नियम यही है। | खोजना कठिन है, जो कृष्ण में प्रेम करने योग्य तत्व न पा ले। चोर काश! अर्जुन बीच की बात करता, तो कृष्ण कहते, जाओ, बात | | भी कृष्ण को प्रेम कर सकता है। नाचने वाला भी प्रेम कर सकता समाप्त हो गई, कोई अर्थ न रहा। लेकिन वह बीच की बात नहीं है। साधु भी प्रेम कर सकता है; असाधु भी प्रेम कर सकता है। युद्ध कर रहा है। वह एक अति से दूसरी अति की बात कर रहा है। दूसरी के क्षेत्र में लड़ने वाला भी प्रेम कर सकता है; गोपियों के साथ नृत्य अति पर अहंकार फिर अपने को भर लेता है। | करने वाला भी प्रेम कर सकता है। कृष्ण एक आर्केस्ट्रा हैं। बहुत | वाद्य हैं; सब बज रहे हैं। जिसे जो वाद्य पसंद हो, वह अपने वाद्य | को तो प्रेम कर ही सकता है। और इसलिए पूरे कृष्ण को प्रेम करने प्रश्नः भगवान श्री, यहां पर एक मुद्दे का प्रश्न आ वाले आदमी पैदा नहीं हो सके। जिन्होंने भी प्रेम किया है, उन्होंने गया है श्रोतागणों से। पूछते हैं कि कोर्ट में सब से | कृष्ण में चुनाव किया है। पहले गीता पर क्यों हाथ रखवाते हैं? कोर्ट में सूरदास तो बालकृष्ण को प्रेम करते हैं, गोपियों से वे बहुत डरते रामायण या उपनिषद क्यों नहीं रखते? क्या गीता में | हैं। इसलिए बालकृष्ण को प्रेम करते हैं। क्योंकि बालकृष्ण उन्हें एक श्रद्धा है या सिर्फ अंधश्रद्धा है? जमते हैं कि बिलकुल ठीक हैं। ठीक है कि बालक है; तो चलेगा। जवान कृष्ण से सूरदास को डर लगता है, क्योंकि जवान सूरदास से सूरदास को डर लगा है। तो अपना चुनाव है उनका। वह अपना छा है कि अदालत में शपथ लेते वक्त गीता पर हाथ चुनाव कर लेंगे।
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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