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________________ यात्रा - अमृत की, अक्षय की — निःसंशयता, निर्वाण और केवल - ज्ञान की दिनभर पट्टी बांधी है, उन्हें जो मजा आएगा, वह उनको नहीं आ सकेगा जो पट्टी नहीं बांधे हैं। दिनभर आंख बंद रही हो तो चालीस मिनट पूरी खुली रहेगी, पलक भी नहीं झपेगा। शक्ति इतनी इकट्ठी हो जाएगी। वह आप जानें। कल से फिकर करें। अभी तीस मिनट पहले तो मेरी तरफ आप देखेंगे। मुझे देखते रहें, देखते रहें, देखते रहें पूरी आंख - पानी झरने लगे, पलक थक जाए, कोई फिकर नहीं, आप देखते चले जाएं। थोड़ी ही देर में थकान मिट जाएगी, पानी सूख जाएगा, आंख निर्मल और ताजी और तेजस्वी हो जाएगी, और आप मुझे देखते रहेंगे। अगर आपने ठीक से, अपलक मुझे देखा, तो कई बार ऐसा होगा कि मैं आपको यहां खो गया मालूम पडूंगा। कि नहीं, आंख पूरी खुली होगी, मैं यहां नहीं होऊंगा। जब भी ऐसा मालूम पड़े तो परेशान न हों, घबराएं न, वह ठीक क्षण है। उसका अर्थ हुआ कि आपकी आंख सध गई। जब मैं न दिखाई पडूं, समझना कि आंख सध गई। ठीक जगह पर है, वहां से ध्यान में गति हो जाएगी। किसी को मैं बहुत बड़ा या मालूम पड़ सकता हूं, किसी को बहुत छोटा हो गया मालूम पड़ सकता हूं, उससे भय न लेना। किसी को मेरी जगह सिर्फ प्रकाश ही दिखाई पड़ सकता है, उससे भी परेशान न हों। जो भी हो। अगर यहां कुछ भी न बचे, खाली स्थान रह जाए, तो उस खाली स्थान पर आंखें गड़ाए रखना। तीस मिनट आंखें गड़ाए रखना है। खड़े होकर यह प्रयोग होगा। आप कूदते रहेंगे, चिल्लाते रहेंगे, हू की आवाज करते रहेंगे और बीच-बीच में मैं-मैं तो चुप रहूंगा, हाथ से आपको इशारा करूंगा - जब मैं हाथ नीचे से ऊपर की तरफ ले जाऊं, तब आप अपने भीतर अनुभव करना कि पूरे प्राणों की शक्ति, आपकी कुंडलिनी उठ रही, ऊपर की तरफ दौड़ रही, ऊर्ध्व यात्रा पर जा रही । आप एक ज्योति बन गए, लपट, और ऊपर की तरफ जा रहे। जोर से चीख आएंगी, चिल्लाएं, नाचें और ऊपर की तरफ जो भीतर की शक्ति जग रही है उसको साथ दें। पहले मैं ऊपर हाथ ले जाऊंगा। बार-बार ऊपर हाथ ले जाऊंगा। जब मुझे लगेगा कि आप उस स्थिति में आ गए बहुत से मित्र कि आपके भीतर की ऊर्जा नाच रही है, तब मैं हाथ ऊपर से नीचे की तरफ लाऊंगा, वह परमात्मा के लिए निमंत्रण है कि इतने लोग इतने प्यास से भरकर नाच रहे हैं तो परमात्मा नीचे उतरे। और जब परमात्मा की शक्ति नीचे मैं, हाथ नीचे की तरफ लाऊंगा, तब भी आप जितनी शक्ति लगाकर कूद सकें, चिल्ला सकें, चिल्लाएं - तो आपको उस शक्ति का स्पर्श आपके रोएं - रोएं में, आपके हृदय की धड़कन धड़कन तक पहुंच जाएगा। पहले सारे लोग खड़े हो जाएंगे। दूर-दूर खड़े होंगे। थोड़ा फासला कर लेंगे। चारों तरफ, मेरे पीछे भी आ जाएं, ताकि मैं आपको दिखाई पड़ता रहूं। पीछे मैं खड़ा हो जाऊंगा तो आपको दिखाई पड़ता रहूंगा। 63
SR No.002398
Book TitleNirvan Upnishad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1992
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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