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________________ मेरे लिए ओशो का कोई भी कथन एक विशेष महत्व रखता है। क्योंकि सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हर वक्तव्य के साथ ध्यान जुड़ा है। कुछ भी समझाने की चेष्टा उसमें नहीं है, कुछ करवाने का अथक प्रयास है। ऐसा कुछ जिससे हर व्यक्ति का जीवन 'आनंद आमार जाति, उत्सव आमार गोत्र' हो सके! संगीत की भाषा में कहूं तो संगीत को शब्दों के माध्यम से समझाने के बाद, गले से उन स्वरों को निकालना और प्राणों की गहराइयों तक उस निशब्द को अनुभव / करना और करवाना-इतना सब वे एक साथ करते हैं और वह भी रसपूर्णता से, आनंद से, अहोभाव से। जीवन के किसी अंग का अस्वीकार या निषेध किए बिना! ___ मेरे हृदय से अगर कोई उनका परिचय पूछे तो कह दूंगा _ 'और राग सब बने बाराती दूल्हा राग बसंत!' | वे जीवन के बसंत हैं। उनकी मधुरिमा हर जगह महसूस होती है। उनके लिए मैं / _ सिवाय मौन के, प्रार्थना के, संगीत के क्या अभिव्यक्त करूं? -पडित जसराज 1160. SEELBOOK
SR No.002398
Book TitleNirvan Upnishad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1992
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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