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भ्रांति भंजन, कामादि वृत्ति दहन, अनाहत मंत्र और अक्रिया में प्रतिष्ठा
इसमें तो बड़ा गड़बड़ हो जाए।
कबीर बोले, पागल, पहले क्यों न सोचा? अगर ऐसा कोई उपाय हो सकता है, तो कर। कमाल ने कहा, क्या कह रहे हैं? चोरी! चोरी कह रहा हूं!
कबीर को स्मरण अब कहां कि चोरी बरी है. कि चोरी पाप है। इति स्मृतेः। ऐसी जगह जाकर तो सब स्मृति खो जाती है। अब तो कबीर को याद दिलानी पड़ेगी उस जगत की, जिस जगत को, समय हुआ, वे छोड़ चुके, जहां चोरी पाप थी; उस लोक की, जहां चोरी पाप थी और चोरी ही नियम थी; जहां समझाया जाता था, चोरी मत करना और चोरी चलती थी; जहां चोर तो चोर था ही, जहां मजिस्ट्रेट भी चोर था। उस जगत से कबीर का अब कोई नाता न रहा, वह आयाम न रहा, वह यात्रा और हो गई। कबीर को पता ही नहीं कि चोरी भी पाप है। ___कबीर ने पूछा कमाल से कि तू कुछ ऐसा बेचैन दिखता कि क्या कोई गलती बात हो रही है? कमाल ने कहा, हद हो गई। चोरी के लिए कह रहे हैं! दूसरों का सामान उठा लाऊं? कबीर ने कहा, इसमें मुझे कुछ हर्ज नहीं दिखाई पड़ता। दूसरा, यानी कौन? एक ही तो बचा है। सामान किसका? कौन उठा लाएगा?
कमाल ने सोचा कि परीक्षा लेनी ही पड़ेगी। कमाल लड़का गजब का था। उसने कहा, ऐसे नहीं चलेगा। रात उसने कहा कि चलिए मैं चोरी को जा रहा है, आप भी साथ चलिए। कबीर उठे और साथ हो लिए। कमाल तब तो बहुत घबराया। उसने कहा कि क्या चोरी करवाकर ही रहेंगे? हद हो गई, अब तो सीमा के बाहर बात चली जा रही है। होश में हैं कि बेहोश हैं! मगर उनका ही तो बेटा था। उसने कहा, ऐसे न छोडूंगा, आखिरी क्षण तक जांच ही कर लेनी जरूरी है।
जाकर सेंध खोदी। कबीर खड़े रहे। सेंध खोदकर कमाल मकान के भीतर घुसा। एक गेहूं का बोरा खींचकर बाहर लाया। कबीर खड़े रहे। कमाल ने कहा, आप सहारा दें उठाने में, मुझ अकेले से न उठेगा। कबीर सहारा देने लगे।
कमाल ने सोचा, हद हो गई। अब और कहां तक? अब तो यह चोरी हुई ही जा रही है। कमाल ने कहा, ले चलें घर? कबीर ने कहा, घर के लोगों को कह दिया न कि ले जा रहे हैं? लौटकर जा, घर के लोगों को कह आ। सुबह नाहक खोजेंगे, परेशानी में पड़ेंगे। कह दे कि हम एक बोरा गेहूं चोरी करके ले जा रहे हैं। इति स्मृतेः। ऐसी जगह जाकर सब स्मृति खो जाती है।
परब्रह्म में बहना ही उनका आचरण है।
जस्ट फ्लोटिंग इन द डिवाइन। चलते भी नहीं, तैरते भी नहीं, बस उस दिव्य परमात्मा में बहते हैं। यही उनका आचरण है।
आज इतना ही। फिर रात हम शेष बात करेंगे।
अब हम बहें-जस्ट फ्लोटिंग। आज आंख पर पट्टियां नहीं बांधनी हैं, लेकिन आंख बंद रखनी है। क्योंकि इन सात दिन के प्रयोग ।
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