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________________ भ्रांति भंजन, कामादि वृत्ति दहन, अनाहत मंत्र और अक्रिया में प्रतिष्ठा राजनीतिज्ञ, नेता है, भूतपूर्व मंत्री है। और एक और खूबी है कि उसकी नाक इतनी बड़ी है कि उसका मुंह दिखाई नहीं पड़ता, दब जाता है। तो पत्नी ने मुल्ला से कहा कि देखो, एक बात का ध्यान रखना। जो अतिथि आ रहे हैं, उनकी नाक की चर्चा मत चलाना। बात ही मत उठाना। कसम खा लो। नहीं तो कोई गड़बड़ कर दोगे। मुल्ला ने कहा, क्यों उठाएंगे? अपने को दबाकर रखेंगे। संयम रखेंगे। बोलेंगे ही नहीं, पहली बात तो। लेकिन नाक इतनी बड़ी थी कि मुल्ला बड़ी मुश्किल में पड़ गया। देखे तो नाक दिखाई पड़े, आंख बंद करे तो नाक दिखाई पड़े। मुंह तो दिखता ही नहीं था, नाक बहुत बड़ी थी। उन सज्जन की तरफ देखे तो नाक दिखाई पड़े, उनकी तरफ मुंह न करे तो नाक दिखाई पड़े। बहुत परेशानी हो गई। और दमन-दबाता रहा, दबाता रहा, दबाता रहा। .. ___अतिथि ने आखिर पूछा कि नसरुद्दीन, बोलते बिलकुल नहीं हो? नसरुद्दीन ने कहा कि न ही बोलूं उसी में सार है। नहीं, ऐसी क्या बात है? पत्नी भी बड़ी हैरान थी कि बहुत संयम रखा। भोजन पूरा होने के ही करीब था। पत्नी ने कहा, ऐसी कोई बात नहीं है। इशारा किया हाथ से कि थोड़ा-बहुत बोल सकते हो। नसरुद्दीन ने भी सोचा, क्या बोलूं। थोड़ी सी मिठाई उठाकर मेहमान को देने लगा। मेहमान ने कहा कि नहीं। तो नसरुद्दीन ने कहा, आपकी नाक में डाल दूं! क्योंकि मुंह तो दिखाई नहीं पड़ता था। बस, भूल हो गई। वह नाक ही नाक तो चल रही थी भीतर। मुंह तो दिखाई पड़ता नहीं था, नाक ही दिखाई पड़ती थी। लगता था कि सज्जन नाक से ही भोजन कर रहे हैं। नहीं। दमन से इस जगत में कोई चीज कभी नहीं जाती, सिर्फ इकट्ठी होती है, और फूटती है, विस्फोट होते हैं। ऋषि कहते हैं, कामादि वृत्ति दहनम्। . जैसे बीज को कोई जला दे, तो फिर वह कभी भी अंकुरित न हो सकेगा। दबा दे, तो अंकुरित होगा। जला दें, दग्ध कर दे, तो फिर कभी अंकुरित न हो सकेगा। तो संन्यासी अपनी काम की वृत्ति के दहन में लगे रहते हैं, जलाने में लगे रहते हैं। किस आग में जलेगी काम की वृत्ति? तो समझना पड़े। काम की वृत्ति किस पानी से पल्लवित होती है? ठीक उसके विपरीत करने से जल जाएगी। कभी आपने खयाल किया कि जब कामना, वासना पकड़ती है मन को, तो चित्त बिलकुल मूछित हो जाता है, बेहोश हो जाता है। ऐसा पकड़ लेता है भीतर से जैसे कि नशे में हो गए। वैज्ञानिक कहते हैं, शरीर-शास्त्री कहते हैं कि शरीर के पास भीतरी ग्रंथियां हैं, जिनके पास विषाक्त द्रव्य हैं, जहरीले द्रव्य हैं। और अब नवीनतम खोजें कहती हैं कि शरीर के पास ऐसी ग्रंथियां भी हैं, जिनमें सम्मोहन पैदा करने वाले रस हैं, ड्रग्स हैं। तो जब एक स्त्री आपको सुंदर दिखाई पड़ती है या एक पुरुष सुंदर दिखाई पड़ता है, तब आपके शरीर में नए रासायनिक द्रव्य छूटने शुरू हो जाते हैं, जो कि हेल्यूसिनेशन पैदा कर देते हैं, जो कि सौंदर्य का भ्रम पैदा कर देते हैं। और जब आप कामवासना से भरे होते हैं, तब आप होश में नहीं होते, आप करीब-करीब बेहोश होते हैं, नशे में होते हैं। नशे में कुछ भी हो सकता है। होश आते ही पछताते हैं। ऐसा आदमी खोजना मुश्किल है, जो अपनी वासना-पूर्ति के बाद पछताता न हो। पश्चात्ताप करता है, रोता है, सोचता है, क्या किया! क्या पागलपन ! क्या नासमझी! लेकिन फिर थोड़े ही घंटे बीते हैं कि 2717
SR No.002398
Book TitleNirvan Upnishad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1992
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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