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असार बोध, अहं विसर्जन और तुरीय तक यात्रा-चैतन्य और साक्षीत्व से
का छोड़ा भी जा सकता है, लेकिन हीरे की अंगूठी के बिना नहीं चला जा सकता। जो गैर-जरूरी है, वह तात्कालिक मांग करता है। जो जरूरी है, उसे पोस्टपोन किया जा सकता है।
जा रहा था बहुत जरूरी काम से। पत्नी के लिए कुछ दवा वगैरह खरीदने निकला था। फिर सोचा कि दवा की जरूरत क्या, जब मैजिक बैग अपने पास है। इसी में से निकाल लेंगे। मन में तो खयाल पहले तो आया कि पत्नी के लिए दवा निकाल लेंगे, लेकिन मन ऐसा है कि मन ने सोचा कि नई पत्नी ही क्यों न निकाल लें, जब मैजिक बैग ही पास है। मरने दो पुरानी को। फौरन जितने पैसे थे, दे दिए।
चलते वक्त उस आदमी ने कहा कि जरा एक बात खयाल रखना, दीज बैग्स आर वेरी टेंपरामेंटल। ये बड़े मूडी हैं। यह मैजिक बैग है, कोई साधारण नहीं है। यह जादू का झोला है। यह बहुत संवेदनशील है। जरा होशियारी से, कुशलता से परसुएड करना। नाराज हो गया, तो मुश्किल हो जाएगी। मुल्ला ने कहा, मैं समझता हूं। जब इतनी ऊंची चीज है, तो टेंपरामेंटल तो होगी ही। लेकर और कहा कि जल्दबाजी मत करना। घर जाना, आराम से बैठकर सुस्ताना। क्योंकि तब तक वह जादूगर जरा दूर निकल जाए न!
पर मुल्ला को घर पहुंचना बहुत मुश्किल हुआ। रास्ते में ही जोर से प्यास लग आई। उसने कहा, ऐसा भी क्या टेंपरामेंटल होगा, एक गिलास पानी तो दे ही सकता है। अंदर हाथ डाला और कहा, प्यारे,
जादू के बस्ते, जरा एक पानी का गिलास दो। वहां से कुछ भी न आया। कहा, अरे, क्या खरगोश और • आम वगैरह निकालने की आदत तो नहीं है इसकी! कहा, कोई हर्ज नहीं, अच्छा आम का पौधा ही निकाल। उसका भी कोई पता नहीं चला। पूरे बैग में अंदर हाथ डाला, वह बिलकुल खाली था। जो चीजें निकल सकती थीं, वे निकल चुकी थीं। बहुत टेंपरामेंटल मालूम होते हो, उसने कहा। ऐसी भी क्या नाराजगी। अभी एक अपशब्द भी तुमसे नहीं बोला। अच्छा, जो तुम्हारी मर्जी हो, वही निकालो। हाथ डाला, फिर भी कुछ नहीं आया। बड़ी मुसीबत हो गई। पैसे भी खराब गए, अब क्या करें। इसका कोई उपयोग तो होना ही चाहिए।
आदमी ऐसा ही सोचता है। इतने पैसे खराब किए, तो अब इसका कोई उपयोग तो होना ही चाहिए। तो उसने सोचा, अब इसका और क्या उपयोग हो सकता है ? मुल्ला के पास एक गधा था, लेकिन उसके मुंह का जो तोबड़ा था, वह तो था। तो उसने सोचा इस तोबड़े के लिए एक गधा खरीद लेना चाहिए। और क्या कर सकते हैं! भागा बाजार, गधा खरीदने लगा, तो गधा बेचने वाले ने कहा, दो-दो गधे का क्या करोगे? उसने कहा, दो-दो कहां, एक गधा और उसका तोबड़ा; और एक तोबड़ा और उसका गधा। दो-दो कहां हैं!
आदमी पूरे वक्त मैजिकल बैग लेकर जी रहा है। टेंपरामेंटल है। कुछ निकालो, कुछ निकल आता है। कभी नहीं भी निकलता। जो डालो, वही निकलता है।
यह जो हम जिसको माया कहते हैं, उसका अर्थ है कि हम इस पूरे जगत में बहुत से इल्यूजन्स पैदा करते हैं, बहुत से भ्रम पैदा करते हैं और उन भ्रमों के सहारे ही जीते हैं। नहीं तो जीना बहुत मुश्किल है। हर आदमी अपना मैजिक बैग लिए हुए है और उसी से चीजें निकालता रहता है। हालांकि कोई उसकी मानता नहीं, लेकिन कम से कम वह खुद मानता है। कोई नहीं मानता उसकी। वह खुद तो कम से कम भरोसा करता है। ऐसा आदमी खोजना मुश्किल है...।
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