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सम्यक त्याग, निर्मल शक्ति और परम अनुशासन मुक्ति में प्रवेश
मित्र ठीक से श्रम ले रहे हैं, दस प्रतिशत शायद थोड़े पीछे पड़ रहे हैं। वे भी पीछे न पड़ें, थोड़ी हिम्मत जुटाएं, थोड़ा साहस, और छलांग लें। शरीर की थकान से न घबराएं। शरीर थक जाएगा, दो दिन बाद ठीक हो जाएगा। भयभीत न हों कि पैर में दर्द होने लगता है, कि गला जवाब देने लगता है, दो दिन बाद सब ठीक हो जाएंगे। छोटी-छोटी बातों को बाधा न बनाएं।
दूर-दूर फैल जाएं, ताकि नाचना-कूदना पूरे भाव से हो सके। आंख पर पट्टियां बांध लें। जिन पर पट्टियां न हों, उन्हें भी आंख फिर चालीस मिनट खोलनी नहीं है। दूसरों को बिलकुल भूल जाएं, आप अकेले ही हैं इस पर, इस जगह पर पूरे पागल हो जाना है। पागल होने से कम में काम नहीं चलेगा। बांध लें आंखें। दूर-दूर फैल जाएं। जिनको वस्त्र अलग करने हों, वे कर दें। बीच में भी खयाल आ जाए तो वस्त्र फेंक दें। कोई संकोच नहीं, दूसरे की कोई चिंता नहीं ।
ठीक। अब शुरू करें!
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