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________________ एक खास कारण 'खराब रीति से लिया हुआ और संपूर्ण जत्थे में नहीं लिया हुआ भोजन है' और यही रीति शराब पीने को प्रेरणा करती है। पुनः इस रीपोर्ट द्वारा मालूम होता है कि- खोराक को बराबर रीति से तैयार करने में बहुतसा अज्ञानपना देखने में आता है जो खोराक थोडे खर्च में संपूर्ण पोषण देता है वह खोराक ज्ञानस बहुत दु:ख कम हो, इस लिये लंडन के दूसरे शहरों के लार्डमेयरो, और मेयरो, विगैरह को ऐसे ज्ञानके प्रचार करने के लिये सूचना करते हैं। इस में खोराक की मांसरूढी की हिमायत नहीं करके कहते हैं कि-गेहूँ का आटा, जव, चावल, मकई, मटर, दाल, सूखा मेवा, ताजी और सूखी फूट, हरी वनस्पति विगैरह “ वेजीटेरियन खोराकों की करकसर की रीतिसे और पुष्टि देनेवाली बाबत में, वास्तविक तत्त्वकी योग्यता पहेंचानना सिखलाओ, क्योंकि इस अन्न, फल, वनस्पति के खोराक के उपयोग से समस्त वर्गकी तन्दुरस्ती बढ़ा सकोगे." इस सूचना में प्रसिद्ध नामों के अतिरिक्त और भी हस्ताक्षर हैं:सर जेम्स, किचटन ब्राउन, एफ. आर, एस. सर विल्यम, क्रुकस, एफ, आर, एस. सर लोडर ब्रान्टन एफ, आर, एस. डॉ. रोबर्ट हचीन्सन. ' डॉ. जॉन बरडो एफ, आर, एस. डॉ. राबर्ट मीलर. डॉ. डबल्यु, आर, स्मिथ. .. मि. ए, डी, क्रीप, के, सी, पी, ओ, सी, वी. ....... मि. उबल्यु, बी, तेगेटमीर एफ, एल, एम.
SR No.002390
Book TitleAhimsa Digdarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1923
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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