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________________ इसका उत्तर यह है कि हाथी फलाहारी होने से शान्तस्वभाव है और सिंह मांसाहारी होने से क्रूरात्मा है, इसलिए हाथी को दबा देता है, अन्यथा शुण्डादण्ड से यदि हाथी सिंह को पकड़ ले तो उसकी रग रग का यूर कर सकता है । अतएव यह बात सभीको स्वीकार करनी पड़ेगी कि मांसाहार से क्रूरता बढ़ती है और क्रूरता किसी पुण्यकृत्य को अपने सामने ठहरने नहीं देती है। और यह भी सब लीग सहज में समझ सकते हैं कि जो मांसाहारी लोग अपने घर में झगड़े के समय मार पीट करने से बाज नहीं आते, वह क्या निर्दयता का फल नहीं है ? इसलिये मांसाहारही का फल निर्दयता स्पष्ट मालूम पड़ता है। __अब रही वीरता। वह भी मांस का गुण नहीं है किन्तु पुरुष काही स्वाभाविक धर्म है; क्योंकि अगर नपुंसक को ताकतदेने वाले हजारों पदार्थ खिलाए जावे तौभी वह युद्ध के समय अवश्य भागही जायगा; इससे प्रत्यक्ष दृष्टान्त यह है कि-बङ्ग, मगध आदि देश के मनुष्य प्रायः मांसाहारी होने पर भी ऐसे कातर होते हैं कि यदि चार आदमी भी छपरे जिले के हों तो बङ्गदेशीय पचास आदमी भाग जायँगे; लेकिन बेचारे छपरे जिले के आदमी प्रायः सत्तूही खाकर गुज़र करते हैं । ___ गुरु गोविन्दसिंह के शिष्य सिक्खलोग, जो कि किले के फतह करने में अव्वल नम्बर के गिने जाते हैं वे भी प्रायः फलाहारी ही देखने में आते हैं; इलका कारण यह है कि जैसी लड़ाई स्थिरचित्त से फलाहारी लोग लड़ते हैं वैसी मांसाहारी कदापि नहीं लड़ सकते।
SR No.002390
Book TitleAhimsa Digdarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1923
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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