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एस धम्मो सनंतनो
तभी सिगरेट हाथ में उठाऊंगा।
तीस साल बीत गए और उसने सिगरेट हाथ में नहीं उठायी। यह बिना लडे छोड़ना है। यह सिर्फ एक बात दिखायी पड़ गयी—कि यह तो हद्द मूढ़ता की बात है। मगर यह क्या मेरी भी दशा यही होगी? ऐसा सोचते ही सिगरेट हाथ से छोड़ दी। छोड़ दी कहना, शायद ठीक नहीं; छूट गयी। लड़ा नहीं। सिगरेट और माचिस सदा टेबल पर रखी रही तीस साल तक, जब तक वह मरा नहीं। इस प्रतीक्षा में रहा कि उस दिन पीऊंगा, जिस दिन ऐसी दशा हो जाएगी कि अब कुछ भी पी सकता हूं। मगर वह दशा कभी न हुई। और वह बहुत हैरान हुआः तलब उठी ही नहीं!
तुम तलब उठने के पहले ही माने हो कि उठेगी; उठने ही वाली है। बचना मुश्किल है। तुम्हारी मान्यता ही तुम्हें भरमा रही है।
छोटी-छोटी क्षुद्र बातों से मत लड़ना। और बड़ी तो एक ही बात है : लड़ना हो, तो परमात्मा के लिए लड़ना। लड़ना हो, तो ध्यान के लिए लड़ना। वहां पूरी ऊर्जा लेकर लड़ना। इस विराट की लड़ाई में तुम अकेले भी नहीं रहोगे। इस विराट की लड़ाई में, जो भी उसको उपलब्ध हो गए हैं, सबके आशीष तुम्हें उपलब्ध होंगे। आशीष लेकर लड़ना। __ क्यों आशीष लेकर लड़ना? ताकि तुम्हारे साथ बुद्ध की ऊर्जा जुड़ जाए; किसी जिन की ऊर्जा जुड़ जाए; किसी संत की ऊर्जा जुड़ जाए। किसी संत का भाग्य अपने साथ जोड़ लेना-यह आशीष का अर्थ है। जब किसी संत का भाग्य अपने भाग्य से जोड़ा जा सकता हो, तो नासमझ है जो न जोड़े। .
बुद्ध का आशीष लिया। चाहते थे, ध्यान की गहराइयों में उतरना है। समाधि से कम उनका लक्ष्य नहीं था। __इससे कम लक्ष्य रखना भी नहीं। छोटे-छोटे लक्ष्य रखना ही नहीं। दूर आकाश के तारे पर आंख होनी चाहिए। और अगर तुम्हें दो मील जाना हो, तो दस मील जाने का संकल्प होना चाहिए, तो दो मील पहुंचोगे। जितना तुम्हें पाना हो, उससे बड़ा संकल्प रखना। ___अक्सर लोग उलटा कर लेते हैं। जाना तो चाहते हैं सूरज तक, संकल्प बड़ा छोटा सा होता है। दीए तक पहुंचने का भी नहीं होता। फिर सूरज तक कैसे पहुंचोगे?
संकल्प तो आत्यंतिक होना चाहिए। जिन लोगों ने धन को चुना है संकल्प की तरह, उन्होंने बड़े क्षुद्र को चुन लिया। जिन्होंने ध्यान को चुना है, उन्होंने ही ठीक चुना है। चुनौती बड़ी चाहिए, ताकि तुम्हारे भीतर सोयी हुई शक्तियां जाग जाएं। इसलिए क्षुद्र के साथ लड़ाई में हार हो जाती है, क्योंकि क्षुद्र की चुनौती में तुम्हारे भीतर सोयी हुई शक्तियां जागती ही नहीं। शक्तियां जागती तभी हैं, जब उनके सामने खतरा खड़ा हो जाए। ___ बड़ी चुनौती दो। जितनी बड़ी चुनौती होगी, उतना ही विराट तुम अपने भीतर
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