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________________ एस धम्मो सनंतनो बात में जझना ही मत। हारोगे, तो भी कम से कम इतना तो रहेगा खयाल कि बात इतनी बड़ी थी, इसलिए हारा। छोटी बात से लड़ोगे, हारोगे, तो बड़ी ग्लानि होगी कि बात इतनी छोटी थी, और नहीं जीता! ___आचार्य तुलसी लोगों को अणुव्रत समझाते हैं। मैं महाव्रत समझाता हूं। अणुव्रत खतरनाक है। छोटा सा व्रत लेना ही मत। जीते, तो कुछ लाभ नहीं। समझो कि सिगरेट पीते थे, और जीत गए। अब नहीं पी। तो क्या खास लाभ है? कुछ खास लाभ नहीं है। जीते, तो कोई आत्म-गरिमा पैदा नहीं होगी। अगर किसी से कहोगे कि मैंने सिगरेट पीना छोड़ दिया, तो वह कहेगा : इसमें क्या रखा है! हम पहले से नहीं पीते। इसमें कोई खास बात नहीं हो गयी। धुआं भीतर ले गए; धुआं बाहर लाए। अब नहीं ले जाते, इसमें कौन सा गुण-गौरव है? इसमें तुमने कौन सी कला सिद्ध कर ली? जीते, तो कुछ लाभ नहीं। और अगर हारे...। और सौ में निन्यानबे मौके हैं हारने के, जीतने के नहीं। अगर हारे-जिसके निन्यानबे मौके हैं तो बड़ी हानि है। ___मैंने सुना है, ईसप की कहानी है : एक गधे ने एक सिंह को ललकारा कि आ, हो जाएं दो-दो हाथ! आज तय हो जाए कि कौन इस जंगल का राजा है। सिंह पूंछ दबाकर भाग गया! एक लोमड़ी देखती थी; वह बड़ी हैरान हुई। यह सिंह तो हाथियों की भी चुनौतियों को कभी डरा नहीं। यह गधे से पूंछ दबाकर भाग गया। मामला क्या है? __ लोमड़ी ने पीछा किया। पूछा कि आप राजा हैं, सम्राट हैं, और एक गधे से...! उसने कहाः गधे की वजह से ही भागा। अगर गधा हारा, तो हमारी जीत से कुछ लाभ नहीं। लोगे कहेंगे, क्या जीते! गधे से जीते! और बदनामी होगी। अगर गधा जीत गया भूल-चूक; गधा ही है, इसका क्या भरोसा! दुलत्ती मारे या कुछ हो जाए और कभी जीत जाए संयोग से, तो हम सदा के लिए मारे गए। हम नहीं मारे गए, हमारी संतति भी मारी गयी। फिर सदा के लिए सिंहों का सिर झुक जाएगा। छोटे से नहीं लड़ना। मैं भी तुमसे यही कहता हूं : छोटे से मत लड़ना। लड़ना हो, तो कोई बड़ा दुश्मन चुनना। जितना बड़ा दुश्मन चुनो, उतना लाभ है। लड़ना हो, तो धूम्रपान मत चुनना; ध्यान चुनना। लड़ो, तो सिंह से लड़ो। हारे, तो भी कहने को तो रहेगा कि सिंह से हारे। जीते, तब तो कहना ही क्या! दोनों हाथ लड्डु होंगे। छोटे से मत लड़ना। आचार्य तुलसी ने मुझे एक दफा निमंत्रित किया था उनके एक सम्मेलन में। मैंने उनसे कहा कि नहीं; अणुव्रत शब्द मुझे नहीं जमता। छोटी-छोटी बातों में मैं आदमी को नहीं उलझाना चाहता। छोटी-छोटी बातों में ही उलझकर आदमी मरा है। कुछ महाव्रत की बात हो। 76
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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