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________________ एस धम्मो सनंतनो जलकर गिरकर पड़ी है देह; वे वह भी देखते हैं जो उड़ गयी आत्मा, जो मुक्त हो गयी आत्मा। उन्हें कुछ और भी दिखायी पड़ता है। ____एक तो वह है, जिसे दिखायी पड़ता है कि बीज सड़ गया, खतम हो गयाबेचारा! और एक वह है, जिसे दिखायी पड़ता है कि पौधा पैदा हो गया। धन्यभागी! बीज मरता है, तभी तो पौधा पैदा होता है। परवाना मरता है, तभी तो परतंत्रता से मुक्त होता है; परम दशा को पाता है। 'इस राह में अपनी मौत सही...।' सही नहीं होने ही वाली है। मौत के बिना कभी कुछ होता ही नहीं। मौत के बिना जीवन ही नहीं होता। जितनी बड़ी मौत, उतना बड़ा जीवन। जितनी घनी मौत, उतना बड़ा जीवन। तुम उसी मात्रा में जीते हो, जिस.मात्रा में तुम साहस रखते हो मरने का। वही तो है जिंदगी, है जिसमें अट्ट एहसास बका का है मौत का जिसमें खौफ हरदम, वो जिंदगी जिंदगी नहीं है वही तो है सरवरी जो बंदों से दोस्ती बन के हो नुमायां । जो कुर्सिए-अर्श पर मकी है, वो सरवरी सरवरी नहीं है वही तो है आगही, न जिसमें हो जहदो-इसियां में फर्क कोई . . हो नेकोबद की तमीज जिसमें, वो आगही आगही नहीं है वही अखुव्वत है, फर्क हो जब न आदमी आदमी में कोई रवा जो रखे ये फर्क, वो कौमे-अहमदी अहमदी नहीं है. वही तो है आदमी जो जीता है दूसरों के लिए हमेशा जिए फकत अपने ही लिए, वो आदमी आदमी नहीं है वही तो है शायरी जो राजे-जमाले-फितरत की तरजुमां हो जो घिर के रह जाए रंगो-बू में, वो शायरी शायरी नहीं है वही तो है जिंदगी, है जिसमें अटूट एहसास बका का है मौत का जिसमें खौफ हरदम, वो जिंदगी जिंदगी नहीं है आज इतना ही। 66
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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