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एस धम्मो सनंतनो
जीवन तुम्हारे हाथ में नहीं है; मृत्यु तो तुम्हारे हाथ में भी है। तुम चाहो, तो आज मर सकते हो। मगर जीवन तुम्हारे हाथ में नहीं है। जीवन तुमसे बड़ा है। मृत्यु तुमसे छोटी है, इसीलिए हाथ में है। तुम जीवन पैदा नहीं कर सकते, हालांकि आत्मघात कर सकते हो। __खयाल किया इस बात पर! इसका मतलब क्या होता है ? इसका मतलब हुआ कि मौत तो हमारी मुट्ठी में भी हो सकती है। लेकिन जीवन हमसे इतना बड़ा है कि हम उसे मुट्ठी में नहीं बांध सकते।
जो बड़ा है, जो विराट है, उसमें डूबो; उसमें तैरो; उसमें संतरण करो।
और मौत तो अपने आप आ जाएगी। यह रुग्ण विचार तुम्हारे भीतर चलता क्यों है? यह इसीलिए चल रहा है कि तुम किसी भांति जीवन से चूके जा रहे हो और चूक गए हो।
आदमी आत्मघात की तभी सोचता है, जब जीवन में उसे कोई फूल खिलते दिखायी नहीं पड़ते; जब वह जीवन में हारा होता है। तुमने किसी सुखी आदमी को आत्मघात करने की बात सोचते देखा? तुमने कभी किसी प्रेमी को प्रेम के क्षण में आत्मघात करने की बात सोचते देखा? तुमने कभी किसी संगीतज्ञ को वीणा बजाते हुए आत्मघात की बात सोचते हुए देखा?
जब जीवन में कोई संगीत होता, फूल खिलते, सृजन होता, प्रेम होता तो कोई आत्मघात की नहीं सोचता। तुम्हारा जीवन अनखिला रह गया होगा। तुम्हारे जीवन में सृजनात्मकता नहीं होगी। तुम्हारे जीवन में प्रेम ने पदार्पण नहीं किया। तुम्हारे जीवन में आनंद की कली नहीं खिली। तुम रेगिस्तान जैसे रह गए होओगे, इसलिए आत्मघात की बात उठती है।
और आत्मघात कर लेने से कोई कली नहीं खिल जाएगी। कली खिल जाए, तो आत्मघात का विचार विदा हो जाए।
लेकिन बहुत लोग हैं दुनिया में जो आत्मघात का विचार करते रहते हैं। सच तो यह है, मनस्विद कहते हैं कि ऐसा आदमी खोजना कठिन है, जिसने जिंदगी में एक दो बार आत्मघात का विचार न किया हो। कभी न कभी, किसी दुख, किसी पीड़ा के क्षण में, किसी विषाद के क्षण में सभी ने सोचा है। किया नहीं—यह और बात है। और तुम भी करोगे नहीं-यह भी पक्का है। क्योंकि इतना सोचने वाले करते नहीं। सुना नः भौंकने वाले कुत्ते काटते नहीं।
आत्मघात के लिए सोचने की क्या जरूरत है! करना हो तो कर ही लो। इतने दिन से सोच रहे हो; सम्यक विधि की तलाश कर रहे हो! यह विधि की तलाश कर रहे हो और जीए जा रहे हो! यह जरा रुग्ण जीवन हो गया कि जी रहे हैं मौत की विधि की तलाश करने के लिए! कि मरने का विचार कर रहे हैं, इसलिए जीना पड़ रहा है, क्या करें! अभी ठीक विधि हाथ नहीं लगी।
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