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जीने की कला
पहला प्रश्नः
. आत्मा और परमात्मा को अस्वीकार करने वाले गौतम बुद्ध
धर्म-गंगा को पृथ्वी पर उतार लाने वाले विरले भगीरथों में गिने गए। और आपने अपने धम्मपद-प्रवचन को नाम दिया-एस धम्मो सनंतनो। धम्मपद-प्रवचन के इस समापन-पर्व में हमें संक्षेप में एक बार फिर इस धर्म को समझाने की अनुकंपा करें।
आत्मा और परमात्मा को मानना-वस्तुतः किसी भी चीज को मानना–कमजोरी
और अज्ञान का लक्षण है। मानना ही अज्ञान का लक्षण है। जानने वाला मानता नहीं। जानता है, मानने की कोई जरूरत नहीं। मानने वाला जानता नहीं। जानता नहीं, इसीलिए मानता है। __ मानने और जानने के फर्क को खूब गहरे से समझ लेना। मानने से जानने की भ्रांति पैदा हो जाती है। वह सस्ता उपाय है। वह झूठी दवा है।। ___ मान लिया—ईश्वर है। इस मानने में बड़ी तरकीब है मन की। अब जानने की कोई जरूरत न रही। मानने से, जानने का भ्रम खड़ा कर लिया। मानते रहे वर्षों तक,
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