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________________ संन्यास की मंगल-वेला जरा इसको सूक्ष्म से देखना। जरा ऊपर की धूल को झाड़कर देखना। तुम भीतर बड़े अंगारे पाओगे। ___ पहली तो बात यह कि मोरारजी को महात्मा गांधी अद्वितीय थे या नहीं- इससे कोई प्रयोजन नहीं है। गांधी अद्वितीय थे, यह बात तो इसलिए कही जा रही है, ताकि जयप्रकाश नारायण को उनकी जगह पर न रखा जाए। अब वस्तुतः तो मोरारजी चाहेंगे कि वे महात्मा गांधी हो गए हैं—जयप्रकाश कहां बीच में आते हैं! चीजों को तुम सीधे देखोगे, तो कभी नहीं समझ पाओगे। मोरारजी महात्मा गांधी हैं! महात्मा गांधी की सब जड़ताएं उनमें हैं। और एक जड़ता और ज्यादा है-स्व-मूत्र का पीना। वे महात्मा गांधी से बड़े महात्मा हैं! फिर कहते हैं कि जयप्रकाश नारायण ने इसका कोई दावा किया भी नहीं है। अब जरा मजा देखनाः अगर जयप्रकाश नारायण दावा न करें, तो जब दावा ही नहीं किया, तो कैसे हो सकते हैं! और अगर कल दावा करें, तो इसीलिए फिर महात्मा गांधी नहीं हो सकते–कि कहीं दावेदार महात्मा गांधी हए। देखना, तर्क बड़ा मजेदार होता है! दावा नहीं किया जयप्रकाश नारायण ने! जैसे कि महात्मा गांधी होने का दावा करके फिर किसी अदालत से फैसला लेना होगा कि हां, ये महात्मा गांधी हो गए! दावा नहीं किया, इसलिए कैसे इसको मानना? और अगर दावा करें, तो मोरारजी कहेंगे कि दावेदार कहीं महात्मा गांधी होते हैं। महात्मा गांधी तो ऐसे विनम्र थे! विनम्रता! और ये दावेदार! लेकिन असली बात कुछ और है। असली बात यह है कि मोरारजी नहीं चाहेंगे कि उनसे ऊपर कोई आदमी प्रतिष्ठित हो। उनसे ऊपर किसी का यश हो। और महात्मा गांधी से किसको क्या लेना है! मैंने सुना है कि महात्मा गांधी की हत्या के पहले मोरारजी को पता चल गया था। खबर उनको दी गयी थी। कुछ भी उन्होंने किया नहीं। वल्लभ भाई पटेल को भी, कहते हैं, खबर मिल गयी थी। लेकिन कुछ किया नहीं। . महात्मा गांधी के मरने के पहले वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दो सभाओं में गांधी की आलोचना किए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रशंसा किए। और जिस दिन गांधी की हत्या हुई, उसके घंटेभर पहले गांधी ने जो वल्लभ भाई पटेल से कहा था, वह वचन याद करने जैसा है। __ महात्मा गांधी ने वल्लभ भाई पटेल को कहा था-घंटेभर पहले मरने के-कि सरदार! जैसा मैं तुम्हें जानता था, अब तुम वैसे नहीं रहे। तुम बदल गए। तुम अब वही नहीं हो, जिस व्यक्ति को मैं जानता था। पद पर पहुंचकर तुम कुछ के कुछ हो गए। ___ फिर गांधी की हत्या हो गयी। और इतने दिन हो गए गांधी की हत्या हुए, मोरारजी ने एक बार भी इसके पहले नहीं कहा कि इसमें आर.एस.एस. का कोई
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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