________________ जम्मपद के तो अंतिम सूत्र का दिन आ गया, लेकिन इस सत्संग को भूल मत जाना। इसे सम्हालकर रखना। यह परम संपदा है। इसी संपदा में तुम्हारा सौभाग्य छिपा है। इसी संपदा में तुम्हारा भविष्य है। फिर-फिर इन गाथाओं को गुनगुनाना। फिर-फिर इन अपूर्व दृश्यों को स्मरण में लाना। ताकि बार-बार के आघात से तुम्हारे भीतर * सुनिश्चित रेखाएं हो जाएं। पत्थर पर भी रस्सी आती-जाती रहती है, तो निशान पड़ जाते हैं। 2150 A REBEL, BOOK