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________________ एस धम्मो सनंतनो जिसको तोड़ना हो। औजार की कोई जरूरत ही नहीं है। ताला लगा ही नहीं है; सब दरवाजे खुले हैं। सिर्फ तुम्हारी आंखें बंद हैं। अब आंखें खोलने के लिए तो औजार इत्यादि थोड़े ही होते हैं। मैंने सुना ः एक डाक्टर एक मरीज को देखने आया। एक स्त्री बीमार थी। गर्भवती थी। नौ महीने पूरे हो गए थे। पति बड़ा बेचैन था। बाहर खड़ा है—पर्दे के बाहर। डाक्टर भीतर गया। भीतर से डाक्टर बाहर झांका खिड़की में से और बोला कि हथौड़ी होगी? थोड़ा डरा पति कि हथौड़ी! पत्नी गर्भवती है; हथौड़ी की क्या जरूरत! मगर उसने कहा, होगी कोई जरूरत। उसने हथौड़ी लाकर दे दी। - फिर थोड़ी देर बाद डाक्टर बोला : स्क्रू ड्राइवर? अब मार डाला इस आदमी ने। यह डाक्टर है कि कोई मैकेनिक आ गया, कि क्या मामला है ? मगर अब मांगता है तो उसको स्क्रू ड्राइवर दे दिया। थोड़ी देर में बोलाः आरा। तब उसने कहाः अब . जरूरत से ज्यादा हो गयी बात। हद्द हो गयी! मामला क्या है? मेरी पत्नी को हुआ क्या? उसने कहाः पत्नी की बकवास मत करो। अभी मेरी पेटी ही नहीं खुली है! तुम पत्नी की लगा रहे हो। ___तुम औजार मांग रहे हो! यहां परमात्मा के ऊपर कोई दरवाजे नहीं हैं। परमात्मा खुला है; प्रगट है। तुम आंख से ओझल किए बैठे हो। तुम आंख पर पर्दा डाले बैठे हो। तुम्हारी आंख बंद है। अब आंख खोलने के लिए कोई स्क्रू ड्राइवर या हथौड़ी या कोई आरे की थोड़े ही जरूरत है। जब खोलना चाहो, तब खोल लो। तुम्हारी मर्जी की बात है। ___ खोलने के लिए प्रयास भी क्या करना है! खोलना चाहो अभी खोल लो; और अभी विमुक्त हो जाओ। और अभी ये फूल-पत्तियों का राज बदल जाए। और अभी ये हवाएं कुछ और संदेश लाने लगें। और ये सूरज की नाचती किरणें अभी परमात्मा का नृत्य बन जाएं। और ये लोग जो तुम्हारे चारों तरफ बैठे हैं, इनके भीतर वही छिपा है। तुम्हारे भीतर वही छिपा है। खोजने जाते कहां हो। खोजने वाले में भी वही छिपा है। ___ न कोई विधि है, न कोई विधान। समझ चाहिए। बस समझ चाहिए और समझ यानी दर्पण जैसा चित्त चाहिए। समझ शब्द से तुम मत समझ लेना, समझदारों की समझ। समझदार तो बड़े नासमझ हैं। नासमझों की समझ से मेरा मतलब है। सुकरात ने कहा है : जब मैं जानता था, तब कुछ भी नहीं जानता था। और जब से सब जानना छूट गया है, क्या जानने को बचा! सब जान लिया। ___ लाओत्सू ने कहा है : जो कहे जानता हूं, समझ लेना कि नहीं जानता। जानने वाले कैसे कहेंगे कि जानते हैं? क्योंकि जानने को है क्या? सिर्फ रहस्य है। रहस्य को जाना कैसे जा सकता है? 320
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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