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एस धम्मो सनंतनो
डर लगता था अपने पदचिह्नों से। तो उसने भागना शुरू किया। भागना चाहता था कि दूर निकल जाए छाया से; और दूर निकल जाए अपने पदचिह्नों से; दूर निकल जाए अपने से। मगर अपने से कैसे दूर निकलोगे? जितना भागा, उतनी ही छाया भी उसके पीछे भागी। और जितना भागा, उतने ही पदचिह्न बनते गए। ___ च्वांगत्सू ने यह कहानी लिखी है इस पागल आदमी की। और यही पागल आदमी जमीन पर पाया जाता है। इसी की भीड़ है। ___ च्वांगत्सू ने कहा है : अभागे आदमी, अगर तू भागता न, और किसी वृक्ष की छाया में बैठ जाता, तो छाया खो जाती। अगर तू भागता न, तो पदचिह्न बनने बंद हो जाते। मगर तू भागता रहा। छाया को पीछे लगाता रहा। और पदचिह्न भी बनाता रहा।
जिनसे तुम डरते हो, अगर उनसे भागोगे, तो यही होगा। दुख से डरे कि दुखी रहोगे। दुख से डरे कि नर्क में पहुंच जाओगे; नर्क बना लोगे। दुख से डरने की जरूरत नहीं है। दुख है, तो जानो, जागो, पहचानो। ___ जिन्होंने भी दुख के साथ दोस्ती बनायी और दुख को ठीक से आंख भरकर देखा, दुख का साक्षात्कार किया, वे अपूर्व संपदा के मालिक हो गए। कई बातें उनको समझ में आयीं।
एक बात तो यह समझ में आयी कि दुख बाहर से नहीं आता। दुख मैं पैदा करता हूं। और जब मैं पैदा करता हूं, तो अपने हाथ की बात हो गयी। न करना हो पैदा, तो न करो। करना हो, तो कुशलता से करो। जितना करना हो, उतना करो। मगर फिर रोने-पछताने का कोई सवाल न रहा। ____ जिन्होंने दुख को गौर से देखा, उन्हें यह बात समझ में आ गयी कि यह मेरे ही गलत जीने का परिणाम है। यह मेरा ही कर्म-फल है। जैसे एक आदमी दीवाल से निकलने की कोशिश करे। उसके सिर में टक्कर लगे। और लहूलुहान हो जाए। और कहे कि यह दीवाल मुझे बड़ा दुख दे रही है। ____ छोटे बच्चे अक्सर ऐसा करते हैं। मगर इस दुनिया में सब छोटे बच्चे हैं। बड़ा कोई कभी मुश्किल से हो पाता है। प्रौढ़ता आती कहां है! छोटे बच्चे अक्सर ऐसा करते हैं। निकल रहे थे। टेबल का धक्का लग गया। हाथ में खरोंच आ गयी। गुस्से में आ जाते हैं। उठाकर डंडा टेबल को मारते हैं।
यही तुम कर रहे हो। बच्चे को समझाने के लिए उसकी मां को भी आकर टेबल को मारना पड़ता है कि टेबल बड़ी दुष्ट है। मेरे बेटे को चोट कर गयी। तब बच्चा बड़ा प्रसन्न होता है। टेबल को पिटते देखकर बड़ा प्रसन्न होता है कि ठीक हुआ। ठीक सजा दी गयी। ____ मगर टेबल का कोई कसूर न था। और तुम यह मत सोचना कि सिर्फ बच्चे ऐसा करते हैं। तुम भी ऐसा करते हो। तुम क्रोध में होते हो, तो दरवाजा ऐसा
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