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एस धम्मो सनंतनो
तो अपने पैरों का बल निर्मित करना ही चाहिए। .. रास्ता सीधा-साफ है। प्रबल प्यास हो, तो अकेले भी पहुंच जाओगे। रास्ता इतना सीधा-साफ है कि इस पर किसी के भी साथ की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन अगर अकेले पहुंचने की हिम्मत न बनती हो, तो थोड़े दिन किसी का साथ बना लेना। लेकिन साथ को बंधन मत बना लेना। फिर ऐसा मत कहना कि बिना साथ के हम जाएंगे ही नहीं। नहीं तो तुम कभी न पहुंचोगे। क्योंकि सत्य तक तो अंततः अकेले ही पहुंचना होगा। एकांत में ही घटेगी घटना। उस एकांत में तुम्हारा गुरु भी तुम्हारे साथ मौजूद नहीं होगा। ___ गुरु तुम्हें संसार में मुक्त होने में सहयोगी हो सकता है। लेकिन परमात्मा से मिलने में सहयोगी नहीं हो सकता। संसार से छुड़ाने में सहयोगी हो जाएगा। संसार छूट जाए, तो फिर तुम्हें एकांत में परमात्मा से मिलना होगा। वह मिलन भीड़-भाड़ में नहीं होता।
किस कदर सीधा सहल साफ है यह रस्ता देखो न किसी शाख का साया है, न दीवार की टेक न किसी आंख की आहट, न किसी चेहरे का शोर न कोई दाग जहां बैठ के सुस्ताए कोई दूर तक कोई नहीं, कोई नहीं, कोई नहीं चंद कदमों के निशां, हां, कभी मिलते हैं कहीं साथ चलते हैं जो कुछ दूर फकत चंद कदम और फिर टूट के गिरते हैं यह कहते हुए अपनी तनहाई लिए आप चलो, तन्हा, अकेले साथ आए जो यहां कोई नहीं, कोई नहीं
किस कदर सीधा सहल साफ है यह रस्ता देखो थोड़ी दूर किसी के कदम के साथ चल लो, ताकि चलना आ जाए। मंजिल नहीं आती इससे, सिर्फ चलने की कला आती है। थोड़ी दूर किसी के पग-चिह्नों पर चल लो, ताकि पैरों को चलने का अभ्यास हो जाए। इससे मंजिल नहीं आती; मंजिल तो तुम्हारे ही चलने से आएगी; किसी और के चलने से नहीं। ____ मेरी आंख से तुम कैसे देखोगे? हां, थोड़ी देर को तुम मेरी आंख में झांक सकते हो। तुम मेरे हृदय से कैसे अनुभव करोगे? हां, थोड़ी देर किसी गहन भाव की दशा में तुम मेरे हृदय के साथ धड़क सकते हो। निश्चित ही किसी प्रेम की घटना में थोड़ी देर को तुम्हारा हृदय और मेरा हृदय एक ही लय में बद्ध हो सकते हैं। उस समय क्षणभर को तुम्हें रोशनी दिखेगी। उस समय क्षणभर को आकाश खुला दिखायी पड़ेगा; सब बादल हट जाएंगे। लेकिन यह थोड़ी ही देर को होगा। अंततः तो तुम्हें अपने हृदय का सरगम खोजना ही है।
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