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एस धम्मो सनंतनो
रोशनी मिलती रहे, तो लोग भूल ही जाएंगे कि अपने पास रोशनी नहीं है; कि हम अंधे हैं। चालीस साल तक किसी जागे का साथ मिलता रहे, तो स्वभावतः भूल हो जाएगी। लोग यह भरोसा ही कर लेंगे कि हम भी पहुंच ही गए। रोशनी तो सदा रहती है । भूल-चूक होती नहीं। भटकते नहीं। गड्ढों में गिरते नहीं।
और आनंद बुद्ध के सर्वाधिक निकट रहा । चालीस साल छाया की तरह साथ रहा। सुबह-सांझ, रात-दिन । चालीस साल में एक दिन भी बुद्ध को छोड़कर नहीं गया। बुद्ध भिक्षा मांगने जाएं, तो आनंद साथ जाएगा। बुद्ध सोएं, तो आनंद साथ सोएगा। बुद्ध उठें, तो आनंद साथ उठेगा। आनंद बिलकुल छाया था । भूल ही गया होगा। उसको हम क्षमा कर सकते हैं। चालीस साल रोशनी ही रोशनी ! उठते-बैठते रोशनी । जागते-सोते रोशनी । भूल ही गया होगा ।
फिर बुद्ध का अंतिम दिन आ गया। रास्ते अलग हुए। और बुद्ध ने कहा कि अब मेरी आखिरी घड़ी आ गयी। अब मैं विदा लूंगा । भिक्षुओ ! किसी को कुछ पूछना हो, तो पूछ लो । बस, आज मैं आखिरी सांस लूंगा।
जिन्होंने अपने दीए जला लिए थे, वे तो शांत अपने दीए जलाए बैठे रहे परम अनुग्रह से भरे हुए - कि न मिलता बुद्ध का साथ, तो शायद हमें याद भी न आती कि हमारे भीतर दीए के जलने की संभावना है। न मिलता बुद्ध का साथ, न बुद्ध हमें चोट करते रहते बार - बार कि जागो, जागो, जलाओ अपना दीया, तो शायद हमें पता भी होता शास्त्र से पढ़कर, कि हमारे भीतर दीए के जलने की संभावना है, तो भी हमने न जलाया होता। हमें यह भी पता होता कि संभावना है, जल भी सकता है, तो विधि मालूम नहीं थी ।
आखिर दीया बनाना हो, तो विधि भी तो होनी चाहिए ! बाती बनानी आनी चाहिए। तेल भरना आना चाहिए। फिर दीया ऐसा होना चाहिए कि तेल बह न जाए। फिर दीए की सम्हाल भी करनी होती है। नहीं तो कभी बाती तेल में ही गिर जाएगी और दीया बुझ जाएगा। वह साज - सम्हाल भी आनी चाहिए; विधि भी आनी चाहिए। फिर चकमक पत्थर भी खोजने चाहिए । फिर आग पैदा करने की कला भी होनी चाहिए ।
तो अनुग्रह से भरे थे। जिन्होंने पा लिया था, वे तो शांत, चुपचाप बैठे रहे गहन आनंद में, गहन अहोभाव में।
आनंद दहाड़ मारकर रोने लगा। उसने कहा : यह आप क्या कह रहे हैं! यह कहो ही मत । मेरा क्या होगा ?
आ गया रास्ता अलग होने का क्षण । आज उसे पता चला कि ये चालीस साल मैं तो अंधा ही था। यह रोशनी उधार थी। यह रोशनी किसी और की थी। और यह विदाई का क्षण आ गया। और विदाई का क्षण आज नहीं कल, देर-अबेर आएगा ही ।
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