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एस धम्मो सनंतनो
अच्छे थे वे लोग कि कम से कम उत्तप्त होते थे ।
जीसस को लोगों ने सूली दी। अब अगर आएं, तो शायद उपेक्षा करें। और उपेक्षा ज्यादा बड़ी सूली हो जाएगी।
बुद्ध को लोगों ने गालियां दीं। ठीक था । गाली देने का मतलब ही यह होता है कि तुम उद्विग्न तो हो गए। संबंध तो जुड़ने लगा । शत्रुता का सही । शत्रुता मित्रता में बदल सकती है। शत्रुता भी एक तरह की मित्रता है।
उसकी खबर घर पहुंची। ब्राह्मणी के पति को भी भयंकर क्रोध आया। उसने कहाः यह तो हद्द हो गयी ! मेरा भाई भी मेरे हाथ से गया । मेरी पत्नी तो पहले ही जा चुकी थी; मेरा भाई भी मेरे हाथ से गया !
वह भी भगवान को नाना प्रकार के आक्रोशन करता हुआ, रास्ते पर गालियां देता हुआ, असभ्य शब्दों को बोलता हुआ वेणुवन गया, जहां भगवान विहरते थे । और वह भी भगवान के पास जा ऐसे बुझ गया, जैसे जलता अंगार जल में गिरकर बुझ जाता है। ऐसा ही उसके अन्य दो भाइयों के साथ भी हुआ । भिक्षु भगवान का चमत्कार देख चकित थे ।
चमत्कार कुछ भी नहीं है। जल में अंगारा गिरे, बुझ जाए; चमत्कार क्या है? स्वाभाविक है। अंगार का जलना स्वाभाविक है। जल का शीतल होना स्वाभाविक है । फिर अंगार का जल में गिरकर बुझ जाना स्वाभाविक है । सब स्वाभाविक है।
कहने लगे : आवुसो ! बुद्ध-गुण में बड़ा चमत्कार है। ऐसे दुष्ट, अहंकारी, क्रोधी व्यक्ति भी शांतचित्त हो संन्यस्त हो गए हैं और ब्राह्मण-धर्म को छोड़ दिए हैं! भगवान ने कहा : भिक्षुओ, भूल न करो। उन्होंने ब्राह्मण - धर्म नहीं छोड़ा है। वस्तुतः पहले वे ब्राह्मण नहीं थे और अब ब्राह्मण हुए हैं।
फिर भी बुद्ध को यह देश समझ नहीं पाया। इस देश ने यही समझा कि बुद्ध ने हिंदू-धर्म नष्ट कर दिया। बुद्ध इस पृथ्वी के सबसे बड़े हिंदू थे । उनसे बड़ा हिंदू न पहले पैदा हुआ, न पीछे पैदा हुआ। मगर हिंदू नासमझ थे और चूक गए। बुद्ध ने ब्राह्मणत्व को जो महिमा दी थी, वह किसी ने भी कभी नहीं दी है।
लेकिन अक्सर यह भूल हो जाती है। अक्सर ऐसा हो जाता है I
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जीसस सबसे बड़े यहूदी थे पृथ्वी के । उनसे बड़ा कोई यहूदी न पहले हुआ, न पीछे हुआ। लेकिन यहूदियों ने ही छोड़ दिया। फांसी लगा दी। बुद्ध सबसे बड़े हिंदू थे। और हिंदुओं ने ही उनका त्याग कर दिया। और हिंदुस्तान से बुद्ध-धर्म को उखाड़ फेंका। पता नहीं मनुष्य कब समझदार होगा ! कब इसकी आंखें खुलेंगी! यह अपने घर में आयी संपदा को अस्वीकार करने की इसकी पुरानी आदत है।
जीसस ने कहा है: पैगंबर अपने गांव में नहीं पूजा जाता; अपने लोगों के द्वारा नहीं पूजा जाता। इससे पैगंबर की कुछ हानि होती है, सो नहीं । पैगंबर की क्या हानि होनी है! लेकिन वे लोग, जो सर्वाधिक लाभान्वित हो जाते, सबसे ज्यादा वंचित रह
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