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विराट की अभीप्सा
उसकी किसी को कानो-कान खबर नहीं होगी। उसके भीतर ही, आत्मगुप्त, चुपचाप फूल खिल जाएगा।
जो अपने आपको प्रेरित करता रहेगा, जो अपने आपको जगाने की चेष्टा करता रहेगा, वह जाग जाता है और किसी को कानो-कान खबर भी नहीं होती।
अत्ता हि अत्तनो नाथो अत्ता हि अत्तनो गति। तस्मा सञमयत्तानं अस्सं भद्रं'व वाणिजो।।
'मनुष्य अपना स्वामी आप है; आप ही अपनी गति है।' यह बुद्ध का परम उपदेश है
अत्ता हि अत्तनो नाथो अत्ता हि अत्तनो गति।
किसी दूसरे की कोई वस्तुतः जरूरत नहीं है। अगर तुम अपने को जगाने में लग जाओ, निश्चित ही जाग जाओगे।
___ अत्ता हि अत्तनो नाथो...।
मनुष्य अपना स्वामी आप।
अत्ता. हि अत्तनो गति।
अपनी गति आप। आत्म-शरण बनो।
बुद्ध का जो अंतिम वचन था, मरने के पहले, वह भी यही था ः अप्प दीपो भव-अपने दीए स्वयं बन जाओ।
आज इतना ही।
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