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________________ एस धम्मो सनंतनो बिड़ला परिवार की एक महिला को कोई मेरे पास लाया। उसकी कठिनाई क्या थी? उसकी कठिनाई थीः हवाई जहाज में उड़ने में उसे बड़ा भय लगता। और रेलगाड़ी में वह चल भी नहीं सकती। वह प्रतिष्ठा से नीचे है। अब यह दुख कोई गरीब कैसे जानेगा! और हवाई जहाज में उड़ने में डर लगता है। पसीना-पसीना हो जाती है। हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है। और रेलगाड़ी में चले कैसे? ___ अब यह दुख कोई गरीब जान सकता है? यह बहुत मुश्किल है मामला। गरीब को यह दुख कहां! गरीब झोपड़े में रहने का दुख जान सकता है। महलों में रहने का दुख अमीर ही जान सकता है; गरीब नहीं जान सकता। गरीब रूखी-सूखी रोटी का दुख जानता है। अमीर सुस्वादु भोजनों का दुख जानता है। __यहां मेरे पास जितने अमीर आते हैं, उनके दुख अलग। जो गरीब आते हैं, उनके दुख अलग। गरीब के दुख भी बड़े दीन-हीन होते हैं। लड़के को नौकरी नहीं लग रही है! अमीर का दुख यह होता है कि लड़का शराब पी रहा है! अब ये बड़े अलग दुख हैं। गरीब का लड़का शराब पीए तो पीए कहां से! नौकरी ही नहीं लगी है अभी; अब यह शराब तो बड़ी आगे की मंजिल है! ___एक महारानी मुझसे मिलने आयीं कुछ दिन पहले। उनका लड़का दिनभर नशा किए पड़ा रहता है। और काम ही नहीं करता कुछ। उठ भी नहीं सकता बिस्तर से, इतना नशा किए रहता है। __महारानी का लड़का है! मैंने कहाः यह योग्य भी है। कोई गरीब का लड़का नहीं है। गरीब का लड़का होता, तो कुछ और तरह के दुख झेलता। अमीर का लड़का है, तो ये ही दुख झेलेगा। अब धीरे-धीरे तो और तरह के ड्रग्स में पड़ गया है। शराब से अब काम नहीं चलता। शराब इतनी पी डाली है कि अब शराब से नशा नहीं होता। अब तो शराब ही बह रही है उसके खून में! अब तो मच्छड़ भी उनको काटते होंगे, तो नशा चढ़ता होगा! तो अब उसको और ड्रग्स चाहिए-एल.एस.डी.। अब गरीब ने तो एल.एस.डी. का नाम भी नहीं सुना। मारिजुआना; अब गरीब ने तो यह नाम भी नहीं सुना। और अब मुंह से ही लेने से काम नहीं चलता। अब वह अपने को खुद ही इंजेक्शन मारता रहता है! और यह आखिरी दशा है। बस, उठकर सुबह से एक इंजेक्शन मार लिया; फिर पड़ गए। फिर जब होश आया, फिर एक इंजेक्शन मार लिया। अब उसकी हालत खराब होती जा रही है। रोज-रोज खराब होती जा रही है। अब महारानी मुझसे कहती थी कि क्या करूं; इसको अमरीका ले जाऊं? मैंने कहाः अमरीका ले जाने से क्या होगा! अमरीका तो इसका यहीं आ ही गया! अमरीका में यही हो सकता था। यह तो इसने कर ही लिया। अब इसको वहां काहे 94
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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